मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत, केंन्द्रीय मंत्री निशंक, कबीना मंत्री सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, धनसिंह रावत, अनिल बलूनी, तीरथ रावत व विजय बहुगुणा आदि पौडी जनपद के दिग्गज भाजपाई नेता काबिज है उतराखण्ड व देश की राजनीति में
प्यारा उतराखण्ड डाट काम
उतराखण्ड की वर्तमान राजनीति में खासकर वर्तमान सरकार में एक प्रकार से पौडी जनपद का पूरी तरह से एकतरफा दबदबा है। परन्तु जिस प्रकार से प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत का गृह जनपद, त्रिवेन्द्र सरकार में सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, धनसिंह रावत जैसे कबीना मंत्रियों का गृह जनपद पौडी है। यही नहीं केन्द्र में प्रदेश के एकमात्र व मोदी मंत्रिमंडल में प्रभावशाली मंत्रालय के मंत्री रमेश पौखरियाल निशंक ही नहीं प्रदेश से राज्य सभा के सांसद अनिल बलूनी व लोकसभा सांसद तीरथ रावत का गृह जनपद भी पौडी गढवाल है। इस पौडी गढ़वाल में जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को पछाड दिया। इतने ताकतवर नेताओं के होने के बाबजूद ये प्रदेश में भाजपा को चंपावत की तरह एक तरफा जीत नहीं दिला पाये। पौड़ी जिले में कुल 38 सीटों में से कांग्रेस ने 13 और भाजपा ने 11 सीटें जीती हैं। कांग्रेस ने यहां बडी टक्कर दी जबकि यहां के सभी दिग्गज नेता भाजपा के खेमे में है। यहीं नहीं जिस प्रकार से भाजपा के नेता देश के सेना प्रमुख विपिन रावत व देश के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का भी श्रेय लेते है । यह जगजाहिर है कि इन दोनों प्रतिभाओं का गृह जनपद भी पौडी है। वेसे इसी क्रम में ये लोग उप्र के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का भी श्रेय खुद लेते है। क्योंकि योगी जी की जन्म जनपद भी पौड़ी गढवाल है। इसके अलावा विजय बहुगुणा को गृहजनपद भी पौड़ी है। इसके बाबजूद पौड़ी में भाजपा को पंचायती चुनाव में करारी हार का सामना करना पडे तो प्रदेश के इन तमाम दिग्गजों की हनक तो कटघरे में होगी ही। शायद ही इसका प्रमुख कारण कोई भाजपा नेता चाहे व संगठन का हो या सत्ता का वह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व मोदी व शाह को बताये।यह कारण है कि ये सत्तामद में चूर नेता कांग्रेसी नेताओं की तरह ही राजधानी गैरसैंण सहित राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को निर्ममता से रौंद रहे है। हैरानी की बात यह है कि पौडी के ही संत भोले जी महाराज व उनकी धर्मपत्नी माता मंगला द्वारा प्रदेश के विकास व जनहित कार्यो में खुल कर संसाधन लगाने के बाबजूद पौड़ी में भाजपा की स्थित तक नहीं सुधार पाये भाजपाई दिग्गज। प्रदेश भाजपा की राजसत्ता पर काबिज पौडीत्र के नेताओं की भरमार के बाबजूद पौड़ी जनपद में भाजपा की ऐसी दुर्गति पर प्रतिक्रिया करते हुए उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलन के प्रखर आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने कहा कि ऐसा लगता है कि इन दिग्गजों पर या तो जनता का विश्वास उठ गया या ने दिग्गज सत्तामद में इतने मस्त है कि इनको अंध विश्वास है कि चुनाव तो मोदी के नाम व शाह के प्रबंधन से वे जीत जायेंगे। इसी कारण प्रदेश की सत्ता में काबिज ये नेेता राजधानी गैरसैंण बनाने की पुरजोर मांग व प्रदेश में एक मात्र विधानसभा गैरसैंण में बनी होने के बाबजूद न तो प्रदेश की राजधानी गैरसैंण घोषित कर रहे है। न हीं ये प्रदेश के सम्मान को रौंदने वाले मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा देने के लिए ईमानदारी से ठोस न्यायिक कदम ही उठा रहे है, यही नहीं प्रदेश सरकार रोजगार व विकासोनुमुख सुशासन देने के बजाय निरंतर जनहित, जनभावनाओं व प्रदेश के हितों को निर्ममता से रौंद रहे है। इससे प्रदेश की जनता मोदी की सरपरस्ती से बनी प्रदेश की सरकार से बेहद नाखुस है। जनता को विश्वास है कि मोदी जी अपने वादे के अनुसार उतराखण्डियों के अच्छे दिन लाने के प्रतीक राजधानी गैरसैंण बनाने का काम अवश्य प्रदेश सरकार से करायेगी।
पौड़ी की तरह उत्तरकाशी में भी कांग्रेस आगे भाजपा से आगे रही। उत्तरकाशी जिले में कांग्रेस के चार उम्मीदवार जीते। जबकि भाजपा यहां तीन सीटें जीत पाई है। परन्तु भाजपा की लाज चंपावत ने बचायी जहां कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला खुल सका।
दूसरी तरफ चुनाव परिणाम आने पर भाजपा ने देहरादून से जिला पंचायत की प्रत्याशी मधु चैहान को घोषित कर दिया है। वहीं जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में उक्रांद को अल्मोड़ा में उम्मीदवारों ने जीत दर्ज का तोहफा मिला। वहीं बसपा ने ऊधमसिंहनगर, अल्मोड़ा में एक-एक सीट जीत कर अपना खाता खोला।