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राजनैतिक दलों को सूचना के अधिकार में लाने के लिए भालोजिपा ने दिया संसद पर 15वां धरना

भारतीय प्रशासनिक सेवा के क्रांतिकारी अधिकारी रहे धर्मसिंह रावत द्वारा स्थापित की गयी भारत की लोक जिम्मेदार पार्टी

 
नई दिल्ली(प्याउ)। भारत की लोक जिम्मेदार पार्टी ने भारतीय व्यवस्था तंत्र में पारदर्शिता/दायित्वशीलता के अभाव में हो रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए देश की तमाम राजनैतिक दलों को सूचना के अधिकार के तहत लाने की मांग को लेकर 24 जुलाई को संसद की चैखट जंतर मंतर पर अपना 15वां धरना एवं उपवास किया। भालोक जिम्मेदार पार्टी  के महासचिव डीएस रावल के नेतृत्व में एक शिष्टमण्डल ने प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भी दिया।
इस अवसर पर भालोजिपा के महासचिव ने बताया कि पार्टी ने अपने संस्थापक धर्मसिंह रावत के आदर्शों के अनुसार ही पूरी व्यवस्था में दायित्वशीलता(जवाबदेही) एवं पारदर्शिता लाने के लिए 10 अगस्त 2013 को पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को संबोधित करते हुए देश की राजनैतिक दलों को सूचना के अधिकार के तहत लाने की मांग को लेकर जंतर मंतर पर धरना व उपवास करके ज्ञापन दिया था। तबसे भालोजिपा ने समय समय पर धरना/उपवास कर इसकी पुरजोर मांग की। 24 जुलाई को प्रधानमंत्री को दिये गये ज्ञापन में भालोजिपा ने इस बात पर खेद प्रकट किया कि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अबतक का सबसे अधिक खर्च हुआ। एक आंकलन के अनुसार एक एम पी पर लगभग 129 करोड़ खर्च आंका गया। जबकि चुनाव आयोग ने इस खर्च की सीमा 70 लाख रखी है। प्रधानमंत्री मोदी ने संसदीय दल का नेता चुने जाने के पर साफ कहा कि जवाबदेही का युग शुरू हो गया पारदर्शिता से कार्य करेंगे। परन्तु इसके बाबजूद सत्तासीन भाजपा सहित तमाम विपक्षी दल देश से भ्रष्टाचार हटाने के लिए भ्रष्टाचार की स्रोत सा बन गये राजनैतिक दलों को सूचना के अधिकार के तहत लाने के लिए तैयार ही नहीं है। ये राजनैतिक दल इतना बताने के लिए तैयार नहीं है। 3 जुलाई 2019 को राज्य सभा में चुनाव सुधारों पर बहस विपक्षी के पहल पर की गयी। 70 वर्षो में पहली बार सुखद बहस हुई। हमें आशा है प्रधानमंत्री अपने दायित्वशीलता व पारदर्शिता के आश्वासन को साकार करेंगे।
24 जुलाई के धरने में भालोजिपा के महासचिव डीएस रावल, देवेन्द्र भगत, कुंवर बहादूर, तेजासिंह बिष्ट, सुरेन्द्र सिंह रावत, सुनील कुमार सिंह, वेदानंद व देवसिंह रावत आदि सम्मलित हुए।

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