उत्तराखंड

2014 की तरह 2019 में उतराखण्ड में लहरा सकता है भाजपा के परचम से आशंकित कांग्रेसी

पाकिस्तान पर करारे हमले के बाद देश में चल रही प्रचण्ड राष्ट्रवाद की आंधी के बीच हो रहे लोकसभा चुनाव

 

प्रदेश की जनता अब तक की तमाम सरकारों से काफी निराश है

 

देहरादून(प्याउ)। पाकिस्तान पर हुए करारे हमले से उतराखण्ड सहित पूरे देश में चल रही राष्ट्रवाद की लहर से उत्साहित भाजपा 2014 की तरह एक बार फिर 2019 में भी उतराखण्ड में प्रदेश की सभी पांचों सीटों पर परचम फेहराते देख रही है। हालत यह है विरोधी दलों का कोई भी प्रत्याशी पूरे दमखम से चुनावी दंगल में उतरने का साहस नहीं जुटा पा रहा है। भले ही पाकिस्तान पर हुए हवाई हमले से पहले कांग्रेस में भी अनैक प्रत्याशी चुनावी दंगल में उतरने का मन बना रहे थे। परन्तु जैसे ही भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में  आतंकी ठिकानों पर हवाई हमला किया उसके बाद पूरे देश में पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए चल रही राष्ट्रवाद की आंधी की चपेेट में विरोधी दलों के मंसूबों पर एक प्रकार से ग्रहण सा लग गया है। उप्र, बंगाल, तमिलनाडू, कश्मीर, पूर्वोतर आदि प्रदेशों को छोड़ कर देश के अधिकांश क्षेत्रों में राष्ट्रवाद की आंधी काफी असर कर रही है।
खासकर उतराखण्ड जहां लोग राष्ट्रवाद से पूरी तरह औतप्रौत रहते है वहां पर भाजपाईयों की बाहें खिली हुई है परन्तु सबसे निकटतम विरोधी दल कांग्रेस के अधिकांश प्रत्याशी जीत का वह दावा अब नहीं कर पा रहे हैं जो तीन महिने पहले कर रहे है। अन्य दल के प्रत्याशी केवल रस्म अदायगी के लिए चुनावी दंगल में उतरेंगे। परन्तु जीतने के लिए तमाम साम दाम झोंक कर चुनाव जीतने की बाजी शायद ही उतराखण्ड में एकाद सीट को छोड कर कहीं ंदूसरे में दिखाई दे। भले ही कांग्रेस में दावेदारों की भीड़ दिखाई दे रही है पर अधिकांश बंद कमरों में यह तर्क दे रहे हैं कि अगर दल संसाधन जुटाये तो तभी वे चुनावी दंगल में उतरेंगें।
गढवाल लोकसभा के लिए कांग्रेसी दावेदारों में  सुरेन्द्र नेगी, गणेश गौदियाल,, राजेन्द्र भण्डारी पूर्व मंत्री, विधायक मनोज रावत, राजपाल बिष्ट, धीरेन्द्र प्रताप, राजेन्द्र भण्डारी महामंत्री, राजेन्द्र शाह, व रघुवीर बिष्ट है। वहीं भाजपा के दावेदारों में सतपाल महाराज/अमृता रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तीरथ रावत, शौर्य डोभाल, ओमप्रकाश राणा पूर्व रियर एडमिरल व मोहन सिंह ग्रामवासी व वीरेन्द्र जुयाल है। वेसे इस सीट से उक्रांद, वामपंथी आदि दलों के नेता भी चुनावी समर में रस्म अदायगी के लिए उतरेंगे। इस सीट पर कर्नल कोठियाल एक ऐसा दावेदार हैं जिनको भाजपा व कांग्रेस दोनों से प्रत्याशी बनाये जाने की आश है। वेसे इस सीट पर विजय बहुगुणा व रमेश पौखरियाल की नजर भी लगी हुई है। इस सीट पर अगर शौर्य डोभाल ने मन बनाया तो उनका भाजपा प्रत्याशी बनना तय है। गढवाल लोकसभा सीट को वर्तमान में भले ही पूर्व सैनिक बाहुल्य बताया जा रहा है। इस पर वर्तमान सांसद खंडूडी के बेटे का नाम भी चर्चाओं ंमें है। पर इस सीट पर सदैव सांसद पौडी जनपद के ही रहे। चमोली व रूद्रप्रयाग जनपदों की सदा उपेक्षा यहां के राजनैतिक दल करते रहे।

वहीं टिहरी संसदीय सीट से कांग्रेस के दावेदारों में ंवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, किशोर उपाध्याय,  हीरा सिंह बिष्ट, नवप्रभात, चमन सिंह , राजेश्वर पैनूली है।
भाजपा के दावेदारों में वर्तमान सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह का लडना तय माना जा रहा है। इसके अलावा विजय बहुगुणा का नाम भी रह रह कर चर्चा में है।

नैनीताल व ऊधम सिंह नगर संसदीय सीट पर भाजपा के दावेेदारों में वर्तमान सांसद भगत सिंह  कोश्यारी, वंशीधर भगत, .पुष्कर सिंह धामी, यशपाल आर्य व बलराज पासी है।
इस संसदीय सीट पर  कांग्रेसी दावेदार हरीश रावत, महेन्द्रपाल, के सी बाबा, तिलक राज बहेड, इंदिरा हृदेश का नाम चर्चाओं ंमें है। वेसे इस सीट पर हरीश रावत के मंझोले बेटे आनंद रावत का नाम भी चर्चाओं में है। भाजपा के वर्तमान सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की मंशा से भाजपा नेतृत्व पर दवाब बनाने के लिए 2017 में विधानसभा चुनाव के पहले 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव नहीं लडने का चैकाने वाला ऐलान किया था, जो अब उनके गले की हड्डी बन गया है। इसी कारण भाजपा में भी कई नेताओं ने इस सीट पर अपनी दावेदारी कर दी है। हालांकि इस सीट पर रानीखेत विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने वाले प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट भी चुनावी दंगल में उतरने की चर्चायें थी। परन्तु केन्द्रीय नेतृत्व की मंशा को भांप कर उन्होने अपना दावा आगे नहीं बढ़ाया। इस सीट पर उक्रांद के शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी के भी चुनावी दंगल में उतरने की अटकलों से कांग्रेसी प्रत्याशियों के चेहरे पर सिकन नजर आने लगा है।

प्रदेश की एकमात्र आरक्षित संसदीय सीट अल्मोडा संसदीय सीट पर कांग्रेसी दावेदारों में राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, हरीश चंद्र आर्य(आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रदेश संयोजक), गीता ठाकुर, हरीश आर्य, बाल किशन दास, सज्जन राम, सरिता आर्य,  हरीश प्रकाश आर्य आदि प्रमुख है।
वहीं भाजपा के दावेदारों मे वर्तमान सांसद व मोदी सरकार में राज्यमंत्री  अजय टम्टा व प्रदेश सरकार में मंत्री रेखा आर्य है। पर ऐसे भी कायश लगाया जा रहा है कि कांग्रेस यहां से अपना सबसे मजबूत दावेदार प्रदीप टम्टा को उतारने जा रही है, जो वर्तमान सांसद अजय टम्टा पर भारी पडते नजर आ रहे है। इससे उबरने के लिए यह भी अटकले लगायी जा रही है कि यहां पर यशपाल आर्य को चुनावी दंगल में भाजपा उतारेगी। पर कुछ लोक ऐसा भी कायश लगा रहे है कि यहां से रेखा आर्य को भाजपा उतारेगी। ऐसे में कांग्रेस गीता ठाकुर या सरिता आर्य का दाव भी चल सकती है। पर प्रदेश के चुनावी समीकरणों को देख कर अल्मोडा संसदीय सीट पर प्रदीप टम्टा एक ऐसा कांग्रेसी उम्मीदवार है जो उसकी आशाओं पर ग्रहण लगा सकता है।

प्रदेश की हरिद्वार संसदीय सीट पर कांग्रेसी दावेदारों में पूर्व मुख्यमंत्री  हरीश रावत, अमरीश  कुमार, संजय पालिवाल, एस पी इंजीनियर व ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी प्रमुख है। वहीं भाजपा के दावेदारों में वर्तमान सांसद रमेश पौखरियाल निशंक, श्रीमती देवयानी धर्मपत्नी चैम्पियन व मदन कौशिक का नाम चर्चाओं में है। हरिद्वार संसदीय सीट पर अजा, पिछडे व अल्पसंख्यकों की भारी तादाद को देखते हुए सपा बसपा के गठबंधन भी भाजपा की जीत व कांग्रेस की आशाओं पर ग्रहण का कारण बनाता दिख रहा है। बसपा के खाते में जहां हरिद्वार सहित तीन सीटें है। वहीं सपा के खाते में नैनीताल संसदीय सीट है। दोनों जगह यह गठबंधन बडी सं्रख्या में कांग्रेस की आशाओं पर ग्रहण लगाते दिख रहा है। इसी से कांग्रेसी भी आशंकित है।

गढ़वाल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र -भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है।  वर्तमान लोकसभा में भाजपा के भुवनचंद खण्डूडी यहाँ से सांसद हैं परन्तु अस्वस्थ होने के कारण चुनाव न लडने का पहले ही कर चूके है। गढवाल लोकसभा सीट में  पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग व चमोली जनपद के सभी विधानसभा सीटों के अलावा टिहरी जनपद के देवप्रयाग व नरेन्द्र नगर तथा नैनीताल जनपद का रामनगर विधानसभा क्षेत्र आते है। इस लोकसभा संसदीय क्षेत्र में -बद्रीनाथ, थराली (अ0जा0), कर्णप्रयाग, केदारनाथ, रूद्रप्रयाग, देवप्रयाग, नरेन्द्रनगर, यमकेष्वर, पौड़ी (अ0जा0), श्रीनगर,चैबट्टाखाल, लैन्सडौन, कोटद्वार और रामनगर। विधानसभा सीटें सम्मलित है। यहां पर पहली से 4वीं लोकसभा (1952 से 1971) तक कांग्रेस के भक्त दर्शन सिंह रावत सांसद रहे। वहीं 5वीं लोकसभा (1971 से 1977 ) में कांग्रेस के प्रताप सिंह नेगी, छटी लोकसभा (1977 . 1980) में जनता पार्टी के जगननाथ शर्मा, 7वें लोकसभा (1980 . 1984) में जनता पार्टी(एस) के हेमवती नंदन बहुगुणा, 8वें व 9वें लोकसभा (1984 . 1991) तक कांग्रेस/जद के चंद्रमोहन सिंह नेगी,सांसद रहे। वहीं दसवीं,12वीं,13वें, 14वें व 16वें लोकसभा (1991,1998, 1999, 2004)में भाजपा के भुवनचंद खंडूडी सांसद रहे। वहीं 11वें व 14वें लोकसभा (1996, 2009) में सतपाल महाराज तिवारी व कांग्रेस के सांसद रहे। वहीं 14वें लोकसभा उप चुनाव में भाजपा के तेजपाल सिंह रावत सांसद रहे।

अल्मोड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र- भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्री अजय टम्घ्टा वर्तमान लोकसभा में यहाँ से सांसद हैं। वे भारतीय जनता पार्टी से सदस्य हैं। इस संसदीय सीट में अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत व पिथौरागढ़ जनपद के धारचूला, -डीडीहाट, पिथौरागढ़, गंगोलीहाट (अ0जा0), कापकोट, बागेश्वर (अ0जा0),द्वाराहाट, सल्ट, रानीखेत, सोमेश्वर (अ0जा0), अल्मोड़ा, जागेश्वर, लोहाघाट और चम्पावत। विधानसभा क्षेत्र आते हैं।

अल्मोडा संसदीय क्षेत्र से दूसरे, तीसरे व चैथे  लोकसभा में कांग्रेस  के     जंग बहादुर सिंह बिष्ट     सांसद रहे। वहीं यहां पर हुए उप चुनाव में हरगोविन्द पंत व पांचवे लोकसभा में नरेन्द्र सिंह बिष्ट भी कांग्रेसी सांसद रहे। पहली बार छटे लोकसभा में 1977 से 1980 में जनता पार्टी के मुरली मनोहर जोशी विजयी रहे। परन्तु 1980 से 1991 तक ७वीं से 9वें लोकसभा में कांग्रेस के    हरीश रावत यहां से सांसद रहे। वहीं दसवीं लोकसभा (१९९१ – १९९६) में भाजपा के     जीवन शर्मा, ११वीं से 14वीं लोकसभा (१९९६ – 2004)     में भाजपा के ही बच्ची सिंह रावत सांसद रहे। पर 15वें लोकसभा (२००९ – २०१४ )    में कांग्रेस के प्रदीप टम्टा व 17वें लोकसभा में भाजपा के अजय टम्टा सांसद हैं।

टिहरी गढ़वाल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में ंटिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी व देहरादून जनपद के
चकराता  टिहरी, देहरादून छावनी , धनौल्टी , पुरोला, प्रतापनगर,मसूरी,यमुनोत्री , रायपुर, राजपुर रोड ,सहसपुर ,घनसाली ,विकासनगर, ,गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र आते है।
टिहरी गढवाल लोकसभा क्षेत्र में पहली लोकसभा में कांग्रेस के कमलेन्दुमति शाह सांसद रहे। वहीं 1957 से 1971  तक कांग्रेस के मानवेन्द्र शाह सांसद रहे। 1971 में कांग्रेस के परिपूर्णानंद पैनूली सांसद रहे। 1971 से 1984 तक जनता पार्टी/कांग्रेस के त्रेपन सिंह नेगी सांसद रहे। 1984 से 1991 तक कांग्रेस के ब्रह्मदत्त सांसद रहे। इसके साथ 1991 से 2007 तक मानवेन्द्र शाह भाजपा के सांसद रहे। 2007 में मानवेन्द्र शाह की मृत्यु के बाद हुए उप चुनाव में कांग्रेस के विजय बहुगुणा  2012 तक सांसद रहे। वहीं 2012 में विजय बहुगुणा के प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से हुए उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की माला राज्य लक्ष्मी शाह धर्मपत्नी मानवेन्द्र शाह भाजपा से सांसद रही जो 2014 में भी विजयी रही।

नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में नैनीताल व ऊधम सिंह नगर जनपद के विधानसभा क्षेत्र है।
१९५२ से २००८ तक यह नैनीताल लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के नाम से उपस्थित थी। 2009 से यह संसदीय क्षेत्र परिसीमन के बाद नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के नाम से जानी जा रही है।
इसमें नैनीताल जनपद के भीमताल, हल्द्वानी, कालाढुंगी, लालकुंवा, नैनीताल तथा ऊधम सिंह नगर जनपद की बाजपुर, गद्दरपुर, जसपुर, काशीपुर, खटीमा, किच्छा, नानकमत्ता, रूद्रपुर, सितारगंज विधानसभा क्षेत्र सम्मलित है। वर्तमान में भाजपा के  भगत सिंह कोश्यारी वर्तमान लोकसभा में यहाँ से सांसद हैं।
नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र जो 2008 से पहले नैनीताल संसदीय क्षेत्र से विख्यात रही।
1957 से 1962 तक कांग्रेस के चंद्र दत्त पाण्डे सांसद रहे।
वहीं तीसरे से पांचवीं लोकसभा (1962 से 1977)में कांग्रेस के कृष्णचंद्र पंत सांसद रहे। वहीं छटी लोकसभा 1977 से 1980 में जनता पार्टी के भारत भूषण सांसद रहे। 7वीं लोकसभा में 1980 से 1984 तक नारायणदत्त तिवारी कांग्रेस के सांसद रहे। 8वें लोकसभा में कांग्रेस के सतेन्द्र चंद गुडिया सांसद रहे। 9वीं लोकसभा में 1989 से 1991 तक जनता दल के महेन्द्र सिंह पाल सांसद रहे। वहीं ं10वीं लोकसभा में 1991 से 1996 तक भाजपा के बलराज पासी सांसद रहे। ग्यारहवीं लोकसभा में  1996 . 1998तक तिवारी कांग्रेस से सांसद रहे। 12वें लोकसभा में 1998 से 1999 तक इला पंत धर्मपत्नी केे सी पंत भाजपा की सांसद रही। 13वीं लोकसभा में 1999 से 2002 तक कांग्रेस के नारायणदत्त तिवारी सांसद रहे। वहीं 2002 में नारायणदत्त तिवारी के उतराखण्ड के मुख्यमंत्री बनने पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के महेन्द्र पाल सांसद रहे। इसके बाद 2004 से 2014 तक कांग्रेस करण चंद सिंह बाबा सांसद रहे। वर्तमान में 2014 से भाजपा के भगत सिंह कोश्यारी सांसद हैं।
हरिद्वार संसदीय क्षेत्र-हरिद्वार संसदीय क्षेत्र 1952 से 76 तक यह क्षेत्र देहरादून नाम से विख्यात रही। हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में हरिद्वार व देहरादून जनपद के विधानसभा क्षेत्र है।वर्तमान में यह संसदीय क्षेत्र सामान्य है परन्तु 1977-2009 तक यह संसदीय सीट अजा के लिए आरक्षित थी। वर्तमान में इस संसदीय क्षेत्र में हरिद्वार जनपद के भेल रानीपुर, भगवानपुर, हरिद्वार, हरिद्वार ग्रामीण, झबरेरा, ज्वालापुर, खानपुर, लक्सर, मंगलौर, पिरान कलियर, रूड़की है। वहीं देहरादून जनपद के धर्मपुर, डोईवाला व रिषिकेश विधानसभा क्षेत्र हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में सम्मलित है।
वहीं देहरादून जनपद के धर्मपुर, डोईवाला व रिषिकेश विधानसभा क्षेत्र हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में सम्मलित है।
हरिद्वार संसदीय सीट पर छटी लोकसभा में 1977 से 1989 तक बीएलडी के भगवान दास राठौर सांसद रहे। 7वीं लोकसभा में 1980 से 1984 तक जेएनपी(एस) के जगपाल सिंह सांसद रहे। वहीं 8वीं लोकसभा में 1984 से 1987 तक कांग्रेस के सुन्दर लाल सांसद रहे। इसके बाद 1987 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस के राम सिंह सांसद रहे।
9वीं लोकसभा में 1989 से 1991 तक कांग्रेस के जगपाल सिंह सांसद रहे। दसवीं लोकसभा में भाजपा के राम सिंह सांसद रहे। 11 से 13 वीं लोकसभा में 1996 से 2004 तक भाजपा के हरपाल साथी सांसद रहे। 14वीं लोकसभा में 2004 से 2009 तक सपा के राजेन्द्र कुमार बदी सांसद रहे। 15वीं लोकसभा में 2009 से 2014 तक कांग्रेस के हरीश रावत सांसद रहे। वर्तमान में 2014 से अब भाजपा के रमेश पौखरियाल सांसद हें।

यहां पर एक बात भी उल्लेखनीय है कि प्रदेश की जनता अब तक की तमाम सरकारों से काफी निराश है। जिस प्रकार से राज्य गठन के बाद की स्वामी, कोश्यारी, तिवारी, खण्डूडी, निशंक, बहुगुणा, हरीश रावत व अब त्रिवेन्द्र रावत की सरकारें राज्य गठन की जनांकांक्षाओं(राजधानी गैरसैंण बनाने, मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा दिलाने, भू कानून, मूल निवास, जनसंख्या पर आधारित विस परिसीमन रोकने व सुशासन ) को साकार करने में पूरी तरह असफल ही नहीं रहे अपितु एक प्रकार से जनता की नजरों में राव व मुलायम से बदतर उतराखण्ड द्रोही साबित हुए। इन दलों की सरकारों में जिस प्रकार उक्रांद व बसपा के साथ निर्दलीयों का भी समर्थन रहा,उससे जनता सभी दलों से निराश है। परन्तु लोकशाही में चुनाव ढौने के लिए जनता मजबूर होती है इसलिए इस लोकशाही के उत्सव रूपि चुनाव के रंग में जनता के पास राजनैतिक दल अपने प्यादों को चुनने का ही अवसर देते हैं। देश प्रदेश की जनहित व देशहित के जमीनी मुद्दों के बजाय इन्हीं के परचम में उलझी रहती है। इस लोकशाही को लूटतंत्र में तब्दील किये जाने के कारण जनता रोजी रोटी व सुशासन की आश में ही इन चुनावों में उलझी रहती है।

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