उप्र में बुआ बबुआ के चक्रव्यूह में घिरी भाजपा अब प्रियंका की सुनामी से भी आशंकित
जो भी गुनाहगार है सब पर बिना पक्षपात की कार्यवाही होनी चाहिए
खत्म हो राजनैतिक दलों का एक दूसरे के घोटालों को उछाल कर सरंक्षण देने का हथकण्डा
नई दिल्ली(प्याउ)। तीन माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव 2019 में पुन्न देश की सत्ता में आसीन होने को पूर्ण आश्वस्त हो चूकी भाजपा बाग बाग थी। परन्तु चंद महीने पहले देश के सबसे बडे प्रांत उतर प्रदेश में जैसे ही बुआ बबुआ ने मोदी, योगी व शाह के भाजपा अश्वमेधी रथ की राह को रोकने की हुंकार भरी तो भाजपाई सुरमाओं की नींद हराम हो गयी। परन्तु माया व अखिलेश के इस समझोते में कांग्रेस को कोई भाव नहीं दिये जाने से भाजपा उत्साहित हुई। सपा बसपा के इस गठजोड से अपने पुन्न सत्तासीन होने के सपनों को विखरने से आशंकित व परेशान भाजपा अभी उबर भी नहीं पायी थी कि कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव में अपना तुरप की इक्का चलते हुए प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतार कर उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाने के साथ पूर्वी उप्र में लोकसभा चुनाव की भी कमान सौंप दी।
प्रियंका को राजनीति में आने की खबर से ही 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार से बेदम हो गयी कांग्रेंसियों को लगा की एक प्रकार से संजीवनी सी मिल गयी। देश भर के कांग्रेसियों में न केवल ऊर्जा संचालित हो गयी अपितु उन्हें लगने लगा कि प्रियंका ही मोदी को मात दे सकती है। प्रियंका की राजनीति में उतरने के अटकलें पिछले कई वर्षो से लगायी जा रही थी। परन्तु कांग्रेसियों को ही नहीं अपितु भाजपा सहित तमाम विरोधी दलों को इसका विश्वास नहीं था कि राहुल गांधी की सरपरस्ती में प्रियंका 2019 में ही सक्रिय राजनीति में उतरेगी या उतारी जायेगी। क्योंकि चंद महीने पहले ही मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान जैसे तीन राज्यों की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मोदी की भाजपा को जिस ढंग से परास्त किया, उससे राहुल गाध्ंाी की असफल छवि धूल गयी और ऐसा संदेश पूरे देश में गया कि राहुल के नेतृत्व में 2014 की लोकसभा चुनाव में अभूतपूर्व ढंग से विरोधियों को धूल चटाने वाले मोदी की भाजपा को भी चुनावी समर में ं पराजित किया जा सकता है। हालांकि विरोधी दलों के क्षत्रपों में दिल में पल रहे प्रधानमंत्री बनने के मुंगेरीलाल के हसीन सपनों के कारण वे खुल कर राहुल का नेतृत्व स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। पर तीन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की विजय ने राहुल को मजबूती प्रदान की। इसके बाबजूद राहुल गांधी ने जिस प्रकार से प्रियंका को राजनीति में 2019 में ही उतार कर अपना ब्रह्मास्त्र चल दिया उससे भारतीय राजनीति में भारी उत्थल पुथल मचा दी। भले ही भाजपा व बुआ बबुआ अभी खुल कर प्रियंका के प्रभाव को नकार रहे हो। पर देश के चुनावी विशेषज्ञ जानते हैं कि भले ही नयी पीढ़ी इंदिरा गाध्ंाी के प्रभाव से मुक्त हो परन्तु बुजुर्ग व युवा पीढी के दिलो दिमाग में आज की इंदिरा गांधी की करिश्माई छवि विद्यमान है। वहीं देश में प्रियंका में इंदिरा गाध्ंाी की झलक देखने वालों की संख्या भी बडी संख्या में है। जो कांग्रेस को मजबूती देने के साथ भाजपा के सपनों को विखर सकता है। भाजपाई मठाधीशों को इस बात का भी आशंका है कि बुआ व भतीजे की जोड़ी तो केवल उप्र में भाजपा की राहों में अवरोध खडा करेगी। परन्तु प्रियंका तो पूरे देश में भाजपा की राहों में अवरोध खडा कर सकती है।
इसी को देख कर भाजपा ने आनन फानन में रामजन्मभूमि प्रकरण में सरकार द्वारा अधिग्रहित गैर विवादस्त भूमि को वापस देने, 10 प्रतिशत गरीब आरक्षण, 5 लाख रूपये तक की आय को करमुक्त बनाने व किसानों को 6 हजार वार्षिक सहयोग आदि दाव चला।
परन्तु भाजपाई दिग्गज जानते है चुनावी समय पर दी गयी इन सौगातों को लोग कहीं 15 लाख रूपये की तरह जुमला न मान लें। इसी को देख कर मोदी सरकार ने अखिलेश, माया, ममता व प्रियंका के प्रभाव को कमजोर करने के लिए ईडी, सीबीआई आदि विभिन्न केन्द्र सरकार की ऐजेंसियों प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष से शिकंजा कस रही है। इसी के तहत चुनाव से चंद महीने पहले प्रियंका गांधी के पति रोबर्ट बढेरा के विभिन्न मामलों में ईडी द्वारा शिकंजा कस रही है। इसका नजारा यह भी देखने को मिला कि जिस दिन प्रियंका गांधी ने कांग्रेस में अपना पदभार संभाला उसी दिन ईडी के कार्यालय में रावर्ट बढेरा से कई घण्टों की पूछताछ हुई। प्रियंका ने भी रार्बट बढेरा पर हो रही कार्यवाही को राजनैतिक द्वेष से प्रेरित हो कर कार्यवाही बताया। पर जनता के मन में सवाल है कि जो भी गुनाहगार है सब पर बिना पक्षपात की कार्यवााही होनी चाहिए। रार्बट बढेरा का प्रकरण कोई नया नहीं है। 2014 से ही भाजपा उनको दण्डित करने की बात कर रही थी। अगर बढेरा ने गलत किया तो उनको पहले साल ही दण्डित करना चाहिए था। परन्तु भाजपाई रणनीतिकार जानते हैं चुनाव के समय प्रियंका व कांग्रेस को निश्तेज करने के लिए बढेरा का प्रकरण चर्चा में रहे तो उसका भाजपा को लाभ मिलेगा।
वेसे भी मोदी सरकार की कार्यवाही पूरी तरह से राजनैतिक लाभ के रूप में होने का आरोप लगाने वालों का कहना है कि यह सब कार्यवाही निष्पक्ष रूप से समय रहते सभी गुनाहगारों पर होनी चाहिए थी केवल चुनावी लाभ लेने के लिए अपने राजनैतिक विरोधियों पर ही नही। मोदी सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदारी से कार्यवाही करनी चाहिए थी। इसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान की पूर्व भाजपाई सरकारों पर लगे भ्रष्टाचार के मामले में वेसी कार्यवाही नहीं हुई जिसकी जरूरत है। व्यापकम घोटाले में 4 दर्जन से अधिक आरोपी व गवाहों की निर्मम हत्या हो चूकी परन्तु कोई कार्यवाही मुख्य दोषियों पर नहीं हुई। यही नहीं जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप खुद भाजपाई लगाते रहे,उनको भी बडी बेशर्मी से भाजपा में सम्मलित करके उनको अभयदान देने का कृत्य किया जा रहा है। इसके बाबजूद देश की जनता देश को भ्रष्टाचार का चुना लगाने वाले हर गुनाहगार को सजा मिलते देखना चाहता है। देश की जनता जानती है कि इस देश के तमाम राजनैतिक दलों में एक अघोषित समझोता है कि वे एक दूसरे के भ्रष्टाचार को राजनैतिक लाभ के लिए उछालेगे व जांच भी करायेंगे परन्तु पूरी सजा नहीं दिलायेेगे। इसी का नजारा दशको से यह देश देख रहा है। इसी लिए देश की जनता को लगता है कि ये दल सभी एक ही थाली के चट्टे बट्टे है। जनता चाहती है कि ये राजनैतिक दल अपने अघोषित समझोते को तोड़े कम से कम अपने विरोधी भ्रष्टाचारियों को तो दण्डित कराये। इससे जनता को विश्वास है कि जैसे कभी दण्डित दल सत्तासीन होगा तो वह भी पूर्व में सत्तासीन रहे विरोधी के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगायेगा। इससे भ्रष्टाचारियों को तो दण्ड मिलेगा।
अब 2019 के लोकसभा चुनाव में देखना है कि कांग्रेसी ब्रह्मास्त्र प्रियंका गांधी के प्रभाव को कम करने के लिए जांच के शिकंजे में घिरे रोबर्ट बढेरा कहां तक ढाल बन पाते है। वहीं कांग्रेस को भी चाहिए कि बढेरा से दूरी बनाये। पर हैरानी यह है कि जिस दिन प्रियंका ने पदभार संभाला उसी दिन राहुल व प्रियंका के साथ बढेरा की तस्वीरें कांग्रेस मुख्यालय के आसपास लगायी गयी। कुछ ऐसे निहित स्वार्थी तत्व हैं जो बढेरा को सक्रिय व कांग्रेस से निकटता दिखा कर कांग्रेस को कमजोर करने को उतारू हैं। कांग्रेस को इन पर अंकुश लगाना होगा।
हकीकत यह है कि कांग्रेस को मोदी से अधिक खतरा है राबर्ट बढेरा, मणिशंकर, थरूर, कपिल व दिग्विजय से। इनकी काली साया से जितना दूर रहेगी उतना कांग्रेस व देश का भला होगा। इनको जितना पास रखेगी उतना राहुल-प्रियंका आदि की तमाम मेहनत के बाबजूद कांग्रेस को भारी नुकसान ही होगा।