चंद्रबाबू नायडू के अनुरोध पर ममता ने समाप्त किया बंगाल में धरना और अगले सप्ताह दिल्ली में देगी धरना
शारदा घोटाले के आरोपी की ढाल बनी ममता का समर्थन करके बेनकाब हुए केजरी, राहुल व वामपंथी
भ्रष्टाचारी पुलिस अधिकारी को संरक्षण देने के लिए धरने में बेठी ममता
भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने वालों को देश कभी स्वीकार नहीं करता
ममता सरकार द्वारा बंगाल में योगी के हेलीकप्टर को न उतरने देने ही हटधर्मिता के बाद सडक मार्ग से बंगाल में प्रवेश कर पुरलिया में योगी ने की सभा
नई दिल्ली (प्याउ)। 5 दिसम्बर को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले व योगी द्वारा बंगाल में घुसकर दी गयी खुली चुनौती से हुआ प्रधानमंत्री बनने की आश को लेकर धरना प्रारम्भ करने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आशाओं पर बज्रपात। वहीं इसी निराशा भरे माहौल में ममता बनर्जी ने 5 दिसम्बर की सांयकाल अपना धरना समाप्त कर दिया। भले ही ममता बनर्जी, सर्वोच्च न्यायालय के केअब्यू(सीबीआई) बनाम पश्चिम बंगाल सरकार के विवाद के मामले में दिये गये फैसले को अपनी जीत बता रही हो। परन्तु यह जग जाहिर है कि ममता बनर्जी,अपने 3 फरवरी से प्रारम्भ किये धरने को अपनी जीत बता रही हैै। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने बंगाल के पुलिस प्रमुख को दो टूक निर्देश दिये कि आपको सीबीआई के समक्ष उपस्थित होकर जांच में सहयोग करना चाहिए। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को भी निर्देश दिये कि पुलिस प्रमुख को गिरफ्तार न किया जाय। परन्तु पूछताछ कर सकती है। गौरतलब है कि इसी पुलिस अधिकारी को बचाने के लिए ममता ने मुख्यमंत्री पद की मर्यादाओं को खुद रौंदते हुए धरना शुरू कर दिया। ममता बनर्जी का यह धरना एक प्रकार से मोदी के खिलाफ पूरे विपक्ष को अपने पीछे लामंबद कर प्रधानमंत्री का मजबूत दावेदारी करना था। इसी को भांप कर मायावती ने खुल कर ममता प्रकरण को समर्थन नहीं दिया।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले केे बाद अपनी झेंप मिटाते हुए खुद अपनी पीठ थपथपाते हुए इसे अपनी जीत बताया। बंगाल में धरना खत्म करके ममता ने दिल्ली में ही मोदी हटाओं देश बचाओं के तहत धरना अगले सप्ताह देने का ऐलान किया। बंगाल के धरने को समाप्त करने के आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के अनुरोध को स्वीकार करते हुए इस धरने को अपनी जीत बतायी।
5 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय से मिली इसी पराजय के बाद 5 फरवरी को ही ममता को एक और करारी चुनौती मिली। वह चुनौती मिली उप्र के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से। जिनको रोकने के लिए ममता लम्बे समय से उनके हेलीकप्टर को उतरने की इजाजत नहीं दे रही थी। आदित्यनाथ योगी ने 5 फरवरी को बंगाल से लगे सीमा झारखण्ड के बोकारो में उतर कर वहां से सडक मार्ग से पुरूलिया में एक सभा को संबोधित कर ममता बनर्जी व तृणमूल पार्टी कर खुली चुनौती दी कि अगर भाजपा की सत्ता बंगाल में आयी तो यहा ंसे भी तृणमूल के गुण्डों को भी उप्र में सपा व बसपा के गुण्डों की तरह अपनी जान बचाने की गुहार लगानी पडेगी। भाजपा, बंगाल से भी ममता बनर्जी को लोकशाही का पाठ पढ़ा कर तृणमूल की गुण्डागर्दी समाप्त कर देगी। बंगाल में अराजक, अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा, ममता ने कहा कि यूपी संभल नहीं रहा। मैं कहना चाहता हूं कि यूपी बहुत अच्छे ढंग से संभल रहा है, जिस दिन बीजेपी की सरकार बंगाल में आएगी टीएमसी के गुंडे अपने गले में तख्ती लटकाकर वैसे ही घूमेंगे, जैसे उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी के गुंडे अपने गले में तख्ती लटकाकर चलते हैं और कहते हैं कि हमें बख्श दो, हम किसी के साथ अन्याय नहीं करेंगे। योगी ने अफसोस प्रकट किया कि जिस बंगाल की धरती ने विपरीत परिस्थितियों में देश को संबल दिया था। आप सब जानते हैं कि ये बंगाल की ही धरती है जिसमें रामकृष्ण परमहंसजी ने आध्यात्मिक साधना के दम पर लोगों को नया संबल दिया था। स्वामी विवेकानंदजी ने पूरी दुनिया के अंदर रहने वाले हिंदुओं को कहा था कि गर्व से कहो हम हिंदू हैं। यह भाव पैदा करने वाली धरती है। स्वामी विवेकानंदजी ने दुनिया के अंदर रहनेवाले भारतवासियों से कहा था कि अपने धर्म और संस्कृति पर गौरव की अनुभूति करो। यह वही बंगाल की धरती है, जिसने इस देश को राष्ट्रगान गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के द्वारा दिया। राष्ट्रगान का वह गौरव इस धरती ने देश को दिया।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मुझे आश्चर्य होता है कि बंगाल की धरती तो वास्तव में भारतीय जनता पार्टी की धरती होनी चाहिए क्योंकि बीजेपी पूर्ण जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसी बंगाल की धरती की देन थे। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने, जिन्होंने बंगाल के अंदर एक निर्मम, एक बर्बर, एक अलोकतांत्रिक, एक भ्रष्ट ममता बनर्जी के नेतृत्ववाली टीएमसी सरकार के खिलाफ मोर्चा लिया, मैं इसके लिए आप सभी का हृदय से अभिनंदन करता हूं।
योगी की इस दहाड से जहां तृणमूल सरकार के दमन से सहमें भाजपा के कार्यकर्ताओं के होशले बुलंद हो गये वहीं विरोधियों के दमन पर उतारू तृणमूल के कार्यकर्ता अंदर से सहम से गये है।
गौरतलब है कि जैसे जैसे लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है वेसे वेसे बंगाल में भाजपा व ममता के बीच में भारी टकराव हो रहा है। इसी के तहत 3 फरवरी को पूरा देश यह देख कर स्तब्ध है कि सर्वोच्च न्यायालय के देखरेख में 37000 करोड़ रूपये के शारदा चिटफंड घोटाले के आरोपी बंगाल पुलिस प्रमुख से मात्र जांच करने को पुलिस प्रमुख के कार्यालय पंहुचे केन्द्रीय अनवेषक ब्यूरों(सीबीआई) के पांच अधिकारियों को बंगाल पुलिस से हिरासत में लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने
संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने के बजाय उल्टा भ्रष्टाचारी अधिकारी के बचाव में कौलकोता के धरने में धरने में बैठ गयी। यही नहीं ममता बनर्जी ने जिस प्रकार से पुलिस व सेना से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ खुला आवाहन किया और आरोपी पुलिस अधिकारी ने जिस प्रकार से सार्वजनिक रूप से ममता के धरने में भाग लिया।
वहीं ऐसे भ्रष्टाचार की ढाल बनी ममता को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कडी कार्यवाही करके गरीब जनता के पैेसे वापस दिलाने की सलाह देने के बजाय अण्णा हजारे के नेतृत्व में देशव्यापी भ्रष्टाचार की लडाई लड कर दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री बने अरविन्द केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अखिलेश, माया, पंवार, लालू की तरह ममता का समर्थन करके जनता के सामने खुद को बेनकाब कर दिया। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अखिलेश, माया, पंवार, लालू का ममता का समर्थन करना तो जनता को समझ में आता है। लोग जानते हैं ये ममता के समर्थन करके खुद का बचाव कर रहे है। पर जनता हैरान है कि अण्णा आंदोलन में भ्रष्टाचार के आरोपी चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ सीधे जांच करने की हुंकार भरने वाले अरविन्द केजरीवाल कैसे सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर 37000 करोड़ रूपये के शारदा घोटाले की जांच का स्वागत करने के बजाय आरोपी पुलिस प्रमुख की जांच को रोकने वाली ममता का समर्थन कर रहे है।
अरविन्द केजरीवाल की तरह मोदी पर राफेल युद्ध विमान सौदे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी को ममता बनर्जी के इस कृत्य पर समर्थन करते देख कर भी जनता राहुल गांधी के इस कदम से निराश है। केजरीवाल व राहुल गांधी अन्य विरोधी दलों द्वारा मोदी सरकार पर सीबीआई का दुरप्रयोग का आरोप के साथ अन्य मुद्दों पर विरोध करने पर जनता समर्थन कर सकती थी परन्तु एक भ्रष्ट अधिकारी पर जांच करने पर इतना हाय तोबा मचाने वाली ममता का समर्थन करते हुए विरोधी नेताओं को देश का एक भी जागरूक जनता स्वीकार नहीं कर सकती। ऐसा ही कार्य बंगाल में ममता बनर्जी के साथ सीधा टकराव करने वाले वामपंथी दलों द्वारा ममता बनर्जी के इस कृत्य का समर्थन करते देख कर स्तब्ध है। आम गरीब, मजदूर व मेहनतकशों के लिए खुद को समर्पित रहने का दंभ भरने वाले वामपंथी दलों को इन गरीबों के पैसे को डकारने वाले गुनाहगारों के पक्ष में खडे देख कर लोग स्तब्ध है। मोदी व भाजपा का सिद्धांतों व मुद्दों पर विरोध को जनता स्वीकार कर सकती पर भ्रष्टाचार के पक्ष में खडे दलों व नेताओं को देश की जागरूक जनता एक पल के लिए भी स्वीकार नहीं कर सकती।
मोदी सरकार व न्यायालय द्वारा दोनों के खिलाफ समय गंवाये बिना त्वरित कार्यवाही न करने से भी जनता स्तब्ध है। अदालत ने ऐसी सरकार व अधिकारी को एक पल के लिए देश की एकता व अखण्डता को रौंदने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।
देशवासियों को आशा थी कि ममता बनर्जी को शारदा घोटाले प्रकरण में चल रही जांच को युद्धस्तर पर कराकर इस प्रकरण के गुनाहगारों को कडी सजा दिलाती और जिन आम लोगों के जीवन भर की मेहनत की कमाई को घोटाले में उडाया गया। गुनाहगारों की सम्पतियों को नीलाम कर जिनके पैसे यहां फंसे उनको लोटाने का काम करना चाहिए। केअब्यू के अधिकारियों बनर्जी को भ्रष्टाचारी पुलिस अधिकारी को बचाने के लिए धरना नहीं अपितु जांच में सहयोग करना चाहिए।