भारतीय भाषा आंदोलन ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली (प्याउ)। 3जून 1930 को कर्नाटक में जन्म देश के अग्रणी समाजवादी, विद्रोही, श्रमिक नेता,भारत के पूर्व रक्षा मंत्री व राजग के संयोजक जार्ज फर्नाड़िस का 29 जनवरी 2019 को 89 वर्ष की उम्र मे निधन दिल्ली के मैक्स अस्पताल में निधन हो गया। आपातकाल में इंदिरा गांधी के आपातकाल के खिलाफ खुला संघर्ष करने वाले महा नेता जार्ज फर्नाडिस के विद्रोही तैवरों को देखते हुए आपातकाल के दिनों तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हर हाल में गिरफ्तार करना चाहती थी। इससे बचने के लिए वे पादरी व मछुवारा भी बने थे। जॉर्ज फर्नांडीस ने 1967 से 2004 तक 9 लोकसभा चुनाव जीते। वे राज्यसभा के भी सदस्य रह चुके हैं। जार्ज ने समता पार्टी की स्थापना की। वे भारत के केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में रक्षामंत्री, संचार मंत्री, उद्योगमंत्री, रेलमंत्री आदि के रूप में कार्य कर चुके हैं।, कई वर्षों से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है । 1974 में दुनिया की सबसे बडी रेल हडताल के प्रणेता भी जार्ज फर्नाडिस।
1977 में आपातकाल हटा दिए जाने के बाद फर्नांडीस ने अनुपस्थिति में बिहार में मुजफ्फरपुर सीट जीती और उन्हें इंडस्ट्रीज के केंद्रीय मंत्री नियुक्त किया गया। केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने निवेश के उल्लंघन के कारण अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों आईबीएम और कोका.कोला को देश छोड़ने का आदेश दिया। वह 1989 से 1990 तक रेल मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कोंकण रेलवे परियोजना के पीछे प्रेरणा शक्ति थीं। वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार य1998.2004 में रक्षा मंत्री थे। उन्हीं के कार्यकाल में कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान और भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए गये। बराक मिसाइल घोटाले और तहलका मामले सहित कई विवादों में घिरने के बाबजूद जार्ज फर्नाडिस मजबूती से जवाब देते रहे।
चैदहवीं लोकसभा में वे मुजफ्फरपुर से जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर सांसद चुने गए। वे 1998 से 2004 तक की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की केन्द्रीय सरकार में रक्षा मंत्री थे।
देश का आम जनमानस ही नहीं अपितु देश के तथाकथित राजनेता, बुद्धिजीवी कितने खुदगर्ज होते हैं इसके सबसे बडे पीडित रहे जार्ज फर्नाडिस। देश के राजनेताओं ने जिस प्रकार से दिग्गज नेता जार्ज की उपेक्षा की उससे हर देश व समाज के लिए समर्पित लोगों को जरूर दुख होगा। जार्ज विगत 5 साल से अस्वस्थ रहे देश का बडे नेता उनकी सुध लेने नहीं गया। मुम्बई में टेक्सी यूनियन के सबसे बडे नेता रहे। वे अंग्रेजी की गुलामी के खिलाफ भी लोहिया के नेतृत्व में सबसे मुखर समाजवादी नेता रहे। बेटा उनका जापान में सेवारत है। उनकी पत्नी लैला कबीर फर्नाडिस ने अंतिम दिनों उनकी सेवा की।
भारतीय भाषा आंदोलन ने देश में अंग्रेजी की गुलामी के खिलाफ मुखर रहे व भारतीय भाषाओं के पक्षधर रहे जार्ज फर्नाडिस के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए उनको अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी।