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कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रख कर सपा व बसपा ने खुद की 2019 में मोदी की ताजपोशी की राहे आसान

भाजपा की आशाओं पर पानी फेरने के लिए सपा बसपा ने किया 26 साल बाद पुन्न गठजोड

भाजपा व कांग्रेस दोनों भ्रष्टाचारी व तानाशाही है-मायावती

उप्र में व्यवस्था परिवर्तन के लिए नहीं अपने वजूद बचाने के लिए हो रहा है सपा व बसपा का गठजोड-भाजपा

भाजपा के अत्याचारी व जनविरोधी कुशासन का सफाया करेगा सपा व बसपा का गठबंधन-अखिलेश यादव
उप्र में 38-38 सीटों पर लोकसभा चुनाव लडेगी बसपा व सपा  

प्यारा उतराखण्ड डाट काम
12 जनवरी को देश की राजनीति में जबरदस्त तूफान लाने वाला सपा व बसपा के गठबंधन का ऐलान लखनऊ के ताज होटल में 12 बजे हुए महत्वपूर्ण संवाददाता सम्मेलन में बसपा प्रमुख मायावती व सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने किया।  आज 12 जनवरी को आगामी लोकसभा चुनाव 2019 में देश के सबसे बडे राज्य उप्र में 26 साल बाद समाजवादी पार्टी व बहुजन समाजवादी पार्टी गठबंधन किया। आगामी लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन के तहत उप्र में 38-38 सीटों पर लोकसभा चुनाव लडेगी बसपा व सपा । 2 सीटें कांग्रेस के लिए रायबरेली व अमेठी छोडी गयी और 2 सीटें अन्य दलों के लिए छोडी है।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सपा व बसपा प्रमुख ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी सरकार को जनविरोधी व तानाशाही बता कर वादा खिलाफी का आरोप लगाया। वहीं उन्होने मोदी सरकार के नोटबंदी, जीएसटी व संकीर्ण सहित कुशासन से दलितों, पिछडों, अल्पसंख्यकों, किसान, व्यापारी, मजदूरों व कमजोर वर्गो का जीना दुश्वार है। भाजपा के कुशासन से मुक्त करने  के लिए सपा व बसपा ने देश को नई दिशा देने के लिए यह गठबंधन किया। सपा प्रमुख अखिलेश की उपस्थिति में मोदी सरकार पर गेस्ट हाउस प्रकरण का उल्लेख करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि मोदी शासन की तरह कांग्रेस के शासन में भी देश में भारी भ्रष्टाचार हुआ। इसलिए इस गठबंधन के लिए भाजपा व कांग्रेस दोनों को समान जनविरोधी बताया। कांग्रेस से गठबंधन करके सपा व बसपा को लाभ नहीं होता है। कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से भाजपा को ही लाभ होगा। इसलिए कांग्रेस को इस गठबंधन से दूर रखा। मायावती ने आशा प्रकट की कि यह गठबध्ंान मोदी को सत्ता से दूर रखेगा। मायावती ने भाजपा के साथ कांग्रेस के पूर्व शासन में देश में अघोषित आपातकाल रहा। इस गठबंधन ने बसपा 38 व सपा 38 पर लडेगी। राय बरेली व अमेटी की सीटें कांग्रेस के लिए छोडी है।
मायावती ने शिवपाल यादव के नेतृत्व में चल रही पार्टी को भाजपा द्वारा बनी पार्टी बता कर समाज को इनसे दूर रहने का आवाहन किया। इसके साथ मायावती ने अखिलेश यादव पर सीबीआई की कार्यवाही को इस गठबंधन से भयभीत हो कर राजनैतिक द्वेष के साथ किया कृत्य बता कर इसे गठबंधन को रोकने का हथकण्डा बता कर निंदा की। भाजपा की अत्याचारी कुशासन का अंत होगा।
इसके साथ अखिलेश ने भी देश में नफरत बढाने, जातिवादी, भ्रष्टाचार रूपि कुशासन देने का आरोप लगाया। उन्होने मायावती को इस गठजोड़ करने के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया। अखिलेश ने भाजपा के शासन को भय बढाने वाला, आम जनता का जीना हराम करने वाला बताया। उन्होने भाजपा के कुशासन को समाप्त करके जनता को सुशासन देने के लिए सपा व बसपा का गठबंधन बनाया गया। अखिलेश यादव ने कहा कि उप्र ने सदा प्रधानमंत्री देने का काम किया। आशा है भविष्य में भी उप्र यह काम करेगा।
1992 में बाबरी मस्जिद को ढहने के बाद देशव्यापी रामनामी सुनामी से अपने अस्तित्व को बचाने के लिए 1993 में बसपा  प्रमुख काशीराम व रामभक्तों पर गोली चलाने के लिए कुख्यात रहे सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने पहली बार गठजोड किया उससे उप्र में सपा बसपा गठबंधन ने प्रदेश की सत्ता में काबिज हो कर भाजपा की चूलें हिला दी थी। वह गठबंधन 1995 में अतिथि गृह काण्ड की भैंट चढ़ गया। उसके बाद 2014 में मोदी लहर से उप्र की राजनीति से हासिये में धकेले गये सपा बसपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने बचे खुचे अस्तित्व को बचाने के लिए पुरानी कटुता को दरकिनारे रखते हुए 2019 में पुन्न एक बार फिर चुनावी गठजोड़ किया। परन्तु मोदी व योगी की सरपरस्ती वाली भाजपा की आशाओं में पानी फेरने के नाम पर किये गये इस गठजोड से जिस प्रकार से पूरे देश के अनैक राज्यों में भाजपा को कडी टक्कर देने वाली विपक्ष की सबसे बडी पार्टी कांग्रेस पार्टी को अछूत समझ कर दूर रखने का काम किया गया, उससे 2019 में मोदी की ताजपोशी की राहे ही आसान हो गयी।
भले ही इस गठबंधन होने से राजनैतिक समीक्षक कायस लगा रहे है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उप्र की 80 लोकसभा सीटों में से 50 सीटों पर यह गठबंधन काबिज हो जायेगा। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह के 74 सीटों पर फतह करने की हुंकार भरने के बाबजूद भाजपा के खाते में केवल 28 सीटें ही दे रहे है। बाकी 2 सीटें कांग्रेस को मिलने की कायश लगा रहे है।
हालांकि इस गठबंधन को भाजपा भी अवसरवादी व अस्तित्व बचाने वाला गठबंधन बता रही है। भाजपा का मानना है कि  जिस प्रकार से मोदी के नेतृत्व में 2014 के लोकसभा चुनाव में उप्र से बसपा व सपा व कांग्रेस का सुफडा साफ करते हुए उप्र की 80 में से 73 सीटें जीती थी।  2014 के लोकसभा चुनाव  उप्र -80 लोकसभा सीटो के लिए हुए चुनाव में भाजपा  -42.63 प्रतिशत मत  अर्जित कर -73 सीटें जीती थी। वहीं सपा ने 22.35 प्रतिशत मत अर्जित कर-5सीटें जीती। वहीं बसपा ने 19.77 प्रतिशत अर्जित करने के बाद भी एक भी सीट नहीं जीत पायी थी। वहीं 7.53 प्रतिशत मत अर्जित करने वाली कांग्रेस को 2 सीट जीती थी। वेसे इस गठंधन का शुभारंभ 1992 में कल्याण सिंह सरकार के इस्तीफे के बाद काशी राम व मुलायम सिंह यादव द्वारा किया।
सह जगजाहिर है कि सपा और बसपा के गठबंधन का मुख्य कारण है तो वह मुस्लिम वोट बैंक । लोकसभा चुनाव के दौरान इस वोट बैंक में दोनों ही दल बिखराव नहीं चाहते। जिसे वह अपनी जीत की कुंजी मान रहे हैं।
लोकसभा चुनाव में यह मुस्लिम वोट बैंक एकजुट रहे, जिसमें कोई बिखराव ना हो और उसके साथ ही उन्हें दलित, पिछड़ों और अति पिछड़ों का भी साथ मिले, जिससे वह भाजपा को हरा सकें।
पर हकीकत यह है कि 543 लोकसभा सीटों में से अकेले 80 सीटों का प्रतिनिधित्व करने वाले उतर प्रदेश की राजनीति में आगामी लोकसभा चुनाव में गत लोकसभा चुनाव 2014 में 73 सीटें जीतने वाली भाजपा को हासिये में धकेलने का दावा करने वाले अखिलेख यादव व मायावती ने पूरे देश में भाजपा को कडी टक्कर दे सकने  वाली कांग्रेस पार्टी को इस गठबंधन में साथ न लेकर एक प्रकार से 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का उप्र से सफाया करने के अपने दावे का खुद ही गला घोंटकर मोदी की ताजपोशी की राह आसान कर दी है।
उतर प्रदेश में जहां सपा व बसपा का गठजोड उप्र में दलित में जाटव, यादव व मुस्लिमों को एकजूट करेगा। वहीं भाजपा पिछडों व अन्य दलितों के साथ 51 प्रतिशत मतों को अर्जित करने का करेगा।  पर इस गठबंधन को कांग्रेस पहले ही आगाह कर चूका है कि कोई भी उप्र में कांग्रेस को कमतर आंकने की कोशिश न करे। कांग्रेस उप्र सहित पूरे देश को भाजपा के कुशासन से मुक्त कराने का काम करेगा।

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