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40 साल की साहित्य साधना में विशाल साहित्य भण्डार की सौगात देकर अनंत यात्रा पर चले विख्यात साहित्यकार हिंमाशु जोशी

 विख्यात साहित्यकार व पत्रकार हिमांशु जोशी को भावभीनी श्रद्धांजलि

 नई दिल्ली (प्याउ)। देश के विख्यात साहित्यकार व वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु जोशी का  22 नवम्बर की मध्य रात्रि में दिल्ली स्थित अपने निवास में 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। दिवंगत साहित्यकार लम्बे समय से अस्वस्थ थे।  हिमांशु जोशी वर्तमान में  मयूर विहार, फेज-1, दिल्ली में सपरिवार रहते थे।
ई-मेलदृ 23 नवम्बर को दिल्ली के यमुना नदी पर बने निगम बोध घाट पर हिमांशु जोशी के पार्थिक देह का अंतिम संस्कार किया गया। इस अवसर पर परिजनों, मित्रों सहित बड़ी संख्या में  वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकारों ने दिवंगत हिमांशु जोशी को अंतिम विदाई दी। शोकाकुल परिवार में उनकी धर्मपत्नी पार्वती जोशी, पुत्र अमित, सिद्धार्थ व असित सहित अन्य परिजन हैं।
40 वर्षो से साहित्य सृजन व पत्रकारिता में समर्पित रहे हिमांशु जोशी ने  दिल्ली विश्वविद्यालय  से एम. फिल शिक्षा ग्रहण की। पत्रकारिता से अपने पेशेवर जीवन का सफर शुरू करके विश्व विख्यात उपन्यास ‘कगार की आग’ लिख कर साहित्य की दुनिया के चमकते सितारे बनने वाले  हिमांशु जोशी,  देश की अग्रणी पत्रिका कादम्बिनी व ‘साप्ताहिक हिंदुस्तान’ दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार तथा कोलकत्ता से प्रकाशित साहित्यिक मासिक पत्रिका ‘वागार्थ’ के संपादक भी रहे। हिंदी, अंग्रेजी व उर्दू के मर्मज्ञ रहे हिमांशु जोशी ने दूरदर्शन, आकाशवाणी व हिंदी फिल्मों के लिए भी लेखन कार्य किया।
4 मई 1935 को उत्तराखंड में चंपावत जिले के खेतीखान के जोस्यूड़ा गांव  के स्वतंत्रता सैनानी पूर्णानंद जोशी व तुलसी देवी के पुत्र के रूप में जन्मे हिमांशु जोशी ने 8वीं कक्षा तक विद्यालयी शिक्षा  हिंदुस्तानी वर्नाकुलर स्कूल, खेतीखान व उच्च शिक्षा नैनीताल में ग्रहण की।  1953 में जीविकोपार्जन के लिए दिल्ली पंहुच कर उन्होने कुछ समय तक रेलवे में काम किया।
हिमांशु जोशी को अपनी इस साहित्य व पत्रकारिता की लम्बी साधना के दोरान अनैक सम्मान से सम्मानित भी किया गया। इसमें
– ‘छाया मत छूना मन’, ‘अरण्य’, ‘मनुष्य चिह्न’ ‘श्रेष्ठ आंचलिक कहानियां’ तथा ‘गन्धर्व कथा’ को ‘उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान’ के पुरस्कार. – ‘हिमांशु जोशी की कहानियां’ तथा ‘भारत रत्न:पं. गोविन्द बल्लभ पन्त’ को ‘हिंदी अकादमी’ दिल्ली का सम्मान. – ‘तीन तारे’ राजभाषा विभाग बिहार सरकार द्वारा पुरस्कृत. – पत्रकारिता के लिए ‘केंद्रीय हिंदी संसथान’ (मानव संसाधन मंत्रालय) द्वारा ‘स्व. गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
अपने जीवन काल में  हिमांशु जोशी अनैक संगठनों एवं संस्थानों से भी सम्बन्धित रहे। इनमें केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड, भारत सरकार के सदस्य,  हिन्दी अकादमी, दिल्ली. – सचिव, ‘अंतर्राष्ट्रीय हिंदी लेखक मंच’ – सदस्य,   ‘आथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ – सदस्य व  ‘फिल्म राईटर्स ऐसोसिएशन’ मुंबई तथा अन्य अनेक संगठनों में सक्रिय भागेदार रहे।
40 वर्षीय साहित्य साधना में हिमांशु जोशी ने आधा दर्जन उपन्यास, 18 कहानी संग्रह, 3 कविता संग्रह, 2 वैचारिक संस्मरण, 1 साक्षात्कार, 2 यात्रा वृतांत, एक जीवनी और खोज, 4 रेडियो नाटक, 9 बाल साहित्य व 6 सम्पादित कथा संग्रह का विशाल भण्डार साहित्य जगत को सौगात में दिया।  
कगार की आग जैसे विश्व विख्यात उपन्यास लिखने वाले साहित्यकार हिमांशु जोशी ने  अरण्य , महासागर , छाया मत छूना मन , कगार की आग’ , समय साक्षी है , तुम्हारे लिए व  सु-राज उपन्यास भी लिखे। उल्लेखनीय है 1974 मेें साप्ताहिक हिंदुस्तान की रजत जयंती के उपलक्ष में साहित्यकार हिमांशु जोशी  ने ‘ कगार की आग’ नामक उपन्यास का प्रथम संस्करण प्रकाशित किया। अब तक इसके 17 संस्करण प्रकाशित हो चूके है। यह उपन्यास दुनिया की 17 भाषाओं में भी प्रकाशित हो चूका है।
हिमांशु जोशी के कहानी संग्रह में 1. अंत-तः तथा अन्य कहानियां 2. मनुष्य-चिह्न तथा अन्य कहानियां 3. जलते हुए डैने तथा अन्य कहानियां 4. रथ-चक्र 5. हिमांशु जोशी की चुनी हुई कहानियां 6. तपस्या तथा अन्य कहानियां 7. गन्धर्व-गाथा 8. चर्चित कहानियां 9. आंचलिक कहानियां 10. श्रेष्ठ प्रेम कहानियां 11. इस बार फिर बर्फ गिरी तो 12. नंगे पांवों के निशान 13. दस कहानियां 14. प्रतिनिधि लोकप्रिय कहानियां 15. इकहत्तर कहानियां 16. सागर तट के शहर 17. स्मृतियाँ 18. परिणति तथा अन्य कहानियां।
हिमांशु जोशी के कविता संग्रहः1. अग्नि-सम्भव 2. नील नदी का वृक्ष 3. एक आँख की कविता ।
हिमांशु जोशी के वैचारिक संस्मरणः – उत्तर-पर्व व  आठवां सर्ग ।
हिमांशु जोशी के साक्षात्कारः– मेरे साक्षात्कार
हिमांशु जोशी के यात्रा वृत्तान्त– यात्राएं  व  नार्वे दृ सूरज चमके आधी रात ।
हिमांशु जोशी ने आजादी आंदोलन के  ‘अमर शहीद अशफाक-उल्ला खान ’ की जीवनी प्रकाशित की। इसके साथ हिमांशु जोशी ने गहन खोज कर . ‘यातना-शिविर में (अंडमान की अनकही कहानी)’ नाम पुस्तक भी प्रकाशित की।
हिमांशु जोशी ने 4 रेडियो नाटक भी लिखे। उनके रेडियो नाटक में 1. ‘कगार की आग’ तथा अन्य एकांकी 2. सु-राज तथा अन्य एकांकी 3. समय की शिला पर 4. इस बार।
हिमांशु जोशी ने 9 बाल साहित्य की पुस्तके भी लिखी । उनके लिखित बाल साहित्य में 1. तीन तारे 2. अग्नि संतान (उपन्यास) 3. हिम का हाथी (कहानी संग्रह) 4. बचपन की याद रही कहानियां 5. विश्व की श्रेष्ठ लोक-कथाएँ 6. काला पानी 7. सुबह के सूरज 8. भारत-रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पन्त (जीवनी) व  9. अमर कैदी ।
हिमांशु जोशी द्वारा सम्पादित कथा-संग्रह में 1. चीड़ के वनों में 2. अँधेरे के विरुद्ध सन्धिपत्र नहीं 3. श्रेष्ठ समान्तर कहानियां 4. भारतीय भाषाओँ की प्रतिनिधि कहानियां 5. 25 श्रेष्ठ कहानियां (दो भाग) 6. आप्रवासी हिंदी लेखकों की श्रेष्ठ कहानियां (साहित्य अकादमी) (इन के अलावा पांच अन्य पुस्तकें भी सम्पादित की। ‘कथा शताब्दी’ के अंतर्गत गत सौ वर्षों में हिंदी के प्रतिनिधि सौ लेखकों की सौ श्रेष्ठ कहानियों का संकलन – हिंदी अकादमी दिल्ली के लिए)।

हिमांशु जोशी के विशाल साहित्य पर 35 शोधार्थियों ने शोध कर डाक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त की। कई विश्वविद्यालयों में रचनाएँ पाठ्य-क्रम में पढाई जाती हैं। राजीव जोशी ने कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल से वर्ष 2010 में प्रो.देवसिंह पोखरिया के निर्देशन में हिमांशु जोशी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर वृहद शोध किया। उनका शोध श्हिमांशु जोशीरूरूप एक रंग अनेकश् नाम से आधारशिला प्रकाशन से ग्रन्थाकार रूप में प्रकाशित भी हो चुका है। डॉ.राजीव जोशी एक अच्छे कहानीकार और गजलकार के रूप में अपनी पहचान बना रहे हैं। हिमांशु जोशी पर शोधार्थियों के लिए यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी हो सकती है।
हिमांशु जोशी भारत सरकार की अनैक हिंदी-सलाहकार समितियों के सदस्य भी रहे। इनमें वे 3 साल तक प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित ‘केंद्रीय हिंदी सलाहकार समिति’ का सदस्य,  9 वर्ष तक गृह मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति’ के सदस्य सहित एक दर्जन से अधिक समितियों के सदस्य भी रहे। उन्होने जीवन में अमरीका, नॉर्वे, स्वीडन, डेनमार्क, जर्मनी, फ्रांस, नेपाल, ब्रिटेन, मारीशस, त्रिनिदाद, थाईलैंड, सूरीनाम, नीदरलैंड, जापान. कोरा आदि अनेक देशों की यात्राएं की जिसकी सारी छाप उनके साहित्य साधना में साफ दिखाई देता है।
वरिष्ठ साहित्यकार हिमांशु जोशी के निधन पर उनको देश के अनैक प्रख्यात साहित्यकार, पत्रकार व सामाजिक संगठनों ंने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्यारा उतराखण्ड समाचार पत्र, साहित्य व पत्रकारिता के  महान पुरोधा ‘हिमांशु जोशी ’की पावन स्मृति को शतः शतः नमन करता है।

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