महबूबा सरकार के दो मंत्री व अधिवक्ता संघ सहित लाखों की संख्या में लोग कर रहे इस प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग
महबुबा के साथ अपनी सरकार बचाने के लिए आत्मघाती आत्मसम्र्पण कर रही है भाजपा
देवसिंह रावत
जम्मू कश्मीर प्रांत के कठुआ के रसना गांव की अबोध आठ वर्षीय बच्ची की जिन हैवानों ने निर्मम हत्या की उनको कड़ी सजा दिलाने के लिए आखिरकार जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, देश की सर्वोच्च जांच ऐजेन्सी सीबीआई को सोेंपने का साहस क्यों नहीं जुटा पा रही है। मुख्यमंत्री इस प्रकरण की जांच जम्मू कश्मीर अपराध शाखा से करा रही है। वहीं प्रदेश की जम्मू क्षेत्र की जनता व जम्मू कश्मीर अधिवक्ता संघ ही नहीं अपितु जम्मू कश्मीर में सत्तारूढ़ महबूबा सरकार के दो मंत्री व सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रमुख घटक भाजपा के कई नेता मुख्यमंत्री से इस प्रकरण के गुनाहगारों को कड़ी सजा दिलाने के लिए सीबीआई से जांच कराने की मांग कर रहे है। इसके लिए जम्मू में जनता ने विशाल प्रदर्शन भी किये। परन्तु जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, जांच सीबीआई को सोेंपने का साहस क्यों नहीं जुटा पा रही है।प्रदेश की मुख्यमंत्री ने कठुआ प्रकरण की जम्मू कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा द्वारा की जा रही जांच पर पूरा विश्वास प्रकट कर जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रामालिंगम सुधाकर को पत्र लिख कर 90 दिनों में सुनवाई पूरी करके इस काण्ड के दोषियों को कठोर दंड देने की गुहार लगायी।वहीं जम्मू कश्मीर सरकार व पीड़िता का परिवार जहां जम्मू कश्मीर पुलिस के द्वारा की जा रही जांच से संतुष्ट से।
जहां इस प्रकरण पर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री द्वारा जम्मू कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा द्वारा कराये जाने की हट किये हुए है। वहीं प्रदेश की राजनीति में पीडीएफ से 36 का आंकडा रखने वाली नेशनल कांफ्रेस ने सरकार के रूख का पूरा समर्थन किया। नेशनल कान्फ्रेंस (नेकां) पार्टी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला जम्मू एवं कश्मीर के विशेष विधानसभा सत्र के दौरान नाबालिगों के साथ दुष्कर्म के दोषियों के लिए मृत्युदंड की सजा की मांग की। ‘अब्दुला ने कहा कि राज्य की सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इस संदर्भ में बिल पारित करने के लिए विशेष सत्र का आयोजन करना चाहिए।’
लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर मुख्यमंत्री मबबूबा इस प्रकरण का सीबीआई जांच करने की पुरजोर मांग को क्यों नकार रही है? आखिर किसको बचाने के लिए या किसको फंसाने के लिए सीबीआई की जांच कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। इस प्रकरण पर जनता की नजरों में पहले से बेनकाब हो चूकी पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस व कांग्रेस के साथ अब भाजपा भी पूरी तरह से बेनकाब हो चूकी है। आखिर इन दलों को इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए उप्र की तरह क्यों नहीं सीबीआई से जांच कराने की मांग तक नहीं कर पा रहे है। कांग्रेस से पहले ही निराश जम्मू की जनता सत्ता मोह में महबूबा के समक्ष आत्मसम्र्पण कर चूकी भाजपा को देख कर जनता को गहरा आघात लगा।जम्मू कश्मीर के साथ पूरे देश के लोग चाहते हैं कि ऐसे कृत्य करने वाले हैवानों को फांसी की सजा हो परन्तु इसके लिए निष्पक्ष जांच की आश लोगों को जम्मू कश्मीर पुलिस से नहीं है। इसलिए वे इसकी निष्पक्ष जांच देश की सर्वोच्च जांच ऐजेन्सी सीबीआई से कराना चाहते है।
आतंकियों व सेना पत्थर मारने वालों की हमदर्द प्रदेश की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के दवाब में सत्ता मोह में अपने सिद्धांतों को खुद जमीदोज करने वाली भाजपा न तो प्रदेश सरकार से जनभावनाओं का सम्मान करते हुए इस काण्ड के दोषियों को कड़ी सजा देने के लिए सीबीआई की जांच की मांग तक कर पा रही है। उल्टा इस मांग के समर्थन कर रहे अपने दो मंत्रियों से इस्तीफा दिला रही है। महबूबा को खुश करने के लिए भाजपा ने अपने संगठन के महबूबा ने अब अतिरिक्त महाधिवक्ता को हटाया।
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को मनाने की दिशा में अपनी सफाई सा देते हुए दिखी भाजपा। इस दिशा में भाजपा ने दोनों मंत्रियों चैधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा के त्यागपत्र मंजूर करने के लिए मुख्यमंत्री के पा भेजा, जिसे मुख्यमंत्री ने तत्काल स्वीकार कर दिया। संघ से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बने राम माधव ने कहा कि हमने दो मंत्रियों का त्यागपत्र लेकर जम्मू कश्मीर के ही नहीं बल्कि देश के लोगों में गलतफहमी दूर कर दी है।
उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह के आवास पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए राम माधव ने कहा कि हमारी पार्टी सरकार के साथ रही है। रसाना की घटना की जांच में न हमने जांच को प्रभावित किया व नहीं किसी ने हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं की।
मुख्यमंत्री महबूबा कहीं नाराज न हो जाये इसके लिए भाजपा ने सीबीआई की मांग करने की रैली में सम्मलित हुए अपने पदाधिकारियों को हटा दिया। इसकी जानकारी भी खुद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सत शर्मा ने कहा कि हिंदू एकता मंच से जुड़े पार्टी के प्रदेश सचिव विजय शर्मा को पद से हटा दिया गया है। गौरतलब है कि ये पदाधिकारी घटनास्थल पर गए थे और हिंदू एकता मंच के साथ आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई का विरोध कर रहे थे।
इस प्रकरण पर जिस प्रकार से जम्मू कश्मीर पुलिस ने जो धार्मिक विभाजन वाली कहानी बनायी वह जम्मू क्षेत्र के लोगों के गले नहीं उतर रही है। पुलिसिया कहानी के अनुसार इस बच्ची के पिता के अनुसार 10 जनवरी को उनकी बच्ची घोड़े का चारा लेने के लिए जंगल गयी परन्तु वापस लोटी नहीं। दो दिन तक ढूंढने पर जब बच्ची कहीं नहीं मिली तो उसके बाद उन्होने 12 जनवरी को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस को 17 जनवरी के दिन कठुआ के ही रासना गांव के पास के जंगलों में बेहद बुरी हालत में उसकी लाश मिली। इस मामले में पुलिस ने एक नाबालिक को गिरफ्तार किया। इसके बाद इस मामले की जांच अपराध शाखा को सोंपा गया। अपराध शाखा ने 9 अप्रैल को इस मामले में 8 लोगों के खिलाफ 18 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की।
इस के अनुसार मुख्य आरोपी राजस्व विभाग के एक पूर्व अधिकारी सांझी राम सहित अन्य आरोपियों ने बच्ची का अपहरण कर उसको मंदिर में रखा उसके साथ कई दिन तक सामुहिक बलात्कार करने के बाद आरोपियों ने पत्थरों से उस बच्ची का सिर कुचलने व गला घोंटकर हत्या करने के बाद उसकी लाश जंगल में फेंक दी। उसकी हत्या इसलिए की थी कि उससे भयभीत हो कर बंजारा समुदाय उस गांव से भाग जाय।
पुलिस ने रसाना हत्याकांड में हीरानगर थाने में तैनात दोनों आरोपित स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स (एसपीओ) दीपक खजूरिया और सुरेंद्र कुमार की सेवाओं को पुलिस विभाग ने समाप्त कर दिया है। आइजी जम्मू एसडी सिंह ने आरोपित एसपीओ की सेवाएं समाप्त करने की पुष्टि की। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने इस हत्याकांड में मुख्य आरोपितों की मदद के अलावा हत्या के सुबूत मिटाने में भी मदद की थी।
पुलिस की इस कहानी न केवल आरोपी परिवार अपितु जम्मू कश्मीर अधिवक्ता संघ, जनता के साथ महबूबा सरकार के मंत्रियों के भी गले नहीं उतरी। हजारों की संख्या में लोग इस काण्ड की सीबीआई जांच की मांग को लेकर सडकों पर उतरे।ऐसा नहीं कि लोगों का अविश्वास अकारण या पहली बार अविश्वास जम्मू कश्मीर सरकार व पुलिस पर है। अविश्वास के पीछे जिस प्रकार से जम्मू कश्मीर पुलिस व सरकार लाखों कश्मीरी पण्डितों को आतंकियों द्वारा कश्मीर से खदेडे जाने पर मूक रही। जम्मू कश्मीर सरकार व पुलिस की शह पर ही आतंकियों ने कश्मीरी पण्डितों की निर्मम हत्या, दुराचार व उनको कश्मीर से भगाने का काम किया। जिस प्रकार आतंकियों से मिली भगत से सेना व सुरक्षा बलों पर हमले हो रहे है। कश्मीरी पण्डितों को श्रीनगर में सुरक्षित बसाने के का विरोध कराने वाली महबूबा व नेशनल कांफ्रेस दोनों बेनकाब तब हुए जब आतंकियों व पत्थराव करने वाले आतंकी समर्थकों से आत्मरक्षा में गोली चलाने वाले सुरक्षा बलों पर मुकदमा दर्ज कराने के मामले में दोनों एकजूट हुए। ऐसे में लोगों को कठुवा प्रकरण को धार्मिक रंग दे रही जम्मू कश्मीर की पुलिस की कहानी पर अगर लोग अविश्वास करते है तो इसमें किसी को आश्चर्य नहीं हो रहा है। लोगों को आशंका है इस प्रकरण के पीछे महबूबा व कांफ्रेंस का जम्मू कश्मीर में भी काबिज होने के षडयंत्र की बू आ रही है।
एक तरफ जम्मू बार एसोसिएशन और बीजेपी के कुछ नेता इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं, जबकि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का कहना है की क्राइम ब्रांच इसकी निष्पक्ष जांच कर रही है और यह मामला सीबीआई को सौंपने की कोई जुरूरत नहीं कह कर जनता के जख्मों को कुरेदने का कृत्य कर रही है।
कठुआ में 8 वर्षीया मासुम बालिका का दुराचार करके उसकी निर्मम हत्या की घटना से पूरा देश शर्मसार है। जम्मू कश्मीर की पुलिस ने इस प्रकरण में जिन आरोपियों को गिरफ्तार कर इस प्रकरण को धार्मिक रंग दिया उसको पूरा जम्मू के अधिवक्ता ही नहीं आम जनमानस सिरे से नकार कर इस काण्ड की कड़ी भत्र्सना कर इसकी निष्पक्ष जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरों से कराकर असली गुनाहगारों को कडी सजा देने की मांग कर रहे है।
देश की सरकार का फर्ज है न्याय की ऐसी व्यवस्था हो जिस पर लोगों का विश्वास हो। जब जम्मू कश्मीर सरकार व पुलिस की जांच पर प्रदेश की जनता के एक बडे वर्ग का विश्वास नहीं है। यह कोरा अविश्वास नहीं अपितु कई बार पुलिस व सरकार की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में रही है। इसलिए निष्पक्ष जांच के लिए तुरंत इस काण्ड के गुनाहगारों का सजा देने के लिए इस प्रकरण को सीबीआई को सोंप देना चाहिए।
होना तो चाहिए था कि कठुआ जघन्य कांड के गुनाहगार हैवानों को कड़ी सजा दिलाने के लिए सरकार ने निष्पक्ष जांच कराने के लिए उन्नाव कांड की तरह प्रदेश सरकार को तुरंत सीबीआई की जांच करानी चाहिए थी। क्योंकि ऐसे प्रकरणों में पहले भी सीबीआई ने मुजफ्फरनगर काण्ड-94 में उप्र की गुनाहगार पुलिस अपनी जांच रिपोर्ट में पूरी तरह बेनकाब कर दिया था। वहीं अब उप्र में उन्नाव प्रकरण में भी सरकार ने सीबीआई जांच करा रही है।
पुलिस द्वारा कठुआ कांड के मुख्य आरोपी बनाये गये सांझी राम व उनके बेटे के मामले में उनके परिवार वालों ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि अगर वे सीबीआई की जांच में दोषी ठहराये जाते है तो उनको सरेआम फांसी दी जाय। इस प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग को लेकर बेठी सांझी राम की बेटी ने कहा कि हम भी चाहते है दोषियों को कडी से कडी सजा मिले परन्तु इसके लिए निष्पक्ष जांच की जरूरत है। इसलिए हम सीबीआई जांच की मांग कर रहे है। जिसको समाचार जगत बहुत ही गलत ढंग से ऐसे समाचार परोस रहा है कि जैसे हम दोषियों को बचाने का काम कर रहे है।
वहीं प्रदेश सरकार ने पैरवी के लिए सिख समुदाय से दो स्पेशल पथ्बलक प्रास्ीक्यूटर नियुक्त किये परन्तु सीबीआई की जांच कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।इस प्रकरण में पीड़िता के परिजन तो पीड़ित है। उन्होने अपनी बेटी खोई। इस प्रकरण की सीबीआई जांच हो ताकि जो भी गुनाहगार हो उसे मोत की सजा मिले । बेगुनाहों पर अत्याचार करने का किसी को हक नहीं है। न सरकार, न व्यक्ति न किसी भी संगठन को।