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2019 लोकसभा चुनाव फतह करने के लिए मोदी की भाजपा को वरदान है उपचुनाव में मिली करारी हार

गोरखपुर, फूलपुर व अररिया संसदीय सीट तथा जहानाबाद विधानसभा सी  पर हुए उप चुनाव में भाजपा की करारी हार

इस उपचुनावों में मिली विजय के बाद नहीं लगा पायेगा विपक्ष, मोदी की भाजपा पर मशीनों से छेडछाड का आरोप
मोदी की चल रही चोतरफा आंधी से सहमें विपक्षी दलों को मिली विजयी रूपि संजीवनी

देवसिंह रावत
जैसे ही 14 मार्च को उत्तर प्रदेश की गोरखपुर व फूलपुर तथा बिहार के अररिया संसदीय सीट के लिए 11 मार्च को हुए  उपचुनाव के परिणामों में  देश व  अधिकांश प्रदेशों में एकक्षत्र शासन कर रही भाजपा को मिली करारी हार से मोदी मोदी की जाप करने वाली भाजपा के कार्यकत्ताओं को ही नहीं भाजपा के बडे नेताओं को मानो सांप सा सुंघ गया। भाजपाई समर्थकों के चेहरे मुरझा गये। वहीं विपक्षी फूले नहीं समा रहे है।
वहीं दूसरी तरफ इन चुनाव में विजय मिली अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी व मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी के गठजोड़ को। उप्र से लेकर दिल्ली में सपा व बसपा नेताओं व कार्यकत्र्ताओं को भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। वहीं बिहार की  अररिया लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में राजद को विजयी मिली। इन तीन सीटों पर हुए उप चुनाव में भाजपा को मिली हार से न केवल विजयी रहने वाले राजद, बसपा व सपा को खुशी मिली। वहीं पूरे देश में मोदी की आंधी में सहमें हुए विपक्षी दलों में भी आशा की नयी किरण दिखाई दी। सभी को यह आशा जग गयी कि मोदी की भाजपा को चुनावी दंगल में हराया जा सकता है।
भले ही भाजपा को मिली करारी हार से भाजपाई नेता व समर्थक स्तब्ध है और देश में पूरे विपक्ष का उत्साह सातों आसमान है परन्तु भाजपा के आला नेतृत्व व भाजपा की चुनावी रणनीति पर गहरी नजर रखने वाले चंद गंभीर विशेषज्ञों को छोड़ कर किसी को इस बात का भान तक नहीं है कि इन उपचुनावों में मिली करारी हार 2019 के लोकसभा चुनाव में फतह करने के लिए कमर कस चूकी मोदी की सरपरस्ती वाली भाजपा के लिए किसी बरदान से कम नहीं है।
मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा पर जो आरोप लग रहा था कि वह चुनाव में मतदान मशीन से छेडछाड कर जीत हासिल कर रही है। इन उप चुनाव में हारने के बाद मोदी नेतृत्व वाली भाजपा पर उसके विरोधी भी यह आरोप नहीं लगा सकते हैं कि भाजपा, चुनावी मशीनों से छेडछाड कर रही है। इन उप चुनाव में मिली विपक्ष की जीत से मोदी सरकार पर मशीनों से छेडछाड करने के आरोपों की धार कूंद हो गयी। जीत के जश्न में विपक्षी दल उत्साह व खुशी में कूपे हो रहे है। वे भाजपा को 2019 में इन्हीं उप चुनाव की तरह धूल चटाने की हुंकार भर रहे है। जनता को भी यह विश्वास हो गया कि चुनाव बिलकुल निष्पक्ष हो रहे है। यही विश्वास से मोदी सरकार अपने पर लगने वाले मशीनों से छेडछाड के गंभीर आरोपों से मुक्त हो गयी। अब आने वाले समय में अगर लोकसभा चुनाव में 2014 की तरह 2019 में भी भाजपा को अभूतपूर्व विजय मिलती है तो जनता विपक्ष के इन आरोपों को कान नहीं देंगे कि भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए मतदान मशीनों से छेडछाड किया। अगर इन उपचुनावों में भाजपा नहीं हारती तो 2019 के लोकसभा चुनाव तक विपक्ष देशव्यापी माहौल बना कर भाजपा को इसलिए बदनाम कर देता कि वह चुनाव केवल मशीनों में छेडछाड कर ही जीत रही है। अगर जनता सडकों पर उतरती तो यह देश के लिए गंभीर समस्या खडी हो जाती।
भले ही इन तीन संसदीय क्षेत्रों में मिली करारी हार से भाजपा नेताओं व समर्थकों के साथ कार्यकत्र्ताओं का मनोबल पर कुप्रभाव डाल सकता है। परन्तु इन तीन उपचुनाव में मिली हार से सत्ता को कोई नुकसान नहीं होने वाला। बिहार में भाजपा के समक्ष नितीश का आभामण्डल कमजोर होगा। वहीं उप्र में 30 साल में पहली बार गोरखपुर संसदीय सीट पर मात खाने से उप्र के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी व फूलपुर में मिली हार से केशव प्रसाद मौर्य की चैधराहट कमजोर होगी। इन तीनों से सीटों पर मिली हार से भाजपा के आला नेतृत्व मोदी की राह निर्मूल हो गया।
यह क्षणिक नुकसान, मोदी नेतृत्व वाली भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव को फतह करने के लिए बरदान साबित होगा। क्योंकि इन चुनावी जीत से गदगद सपा व बसपा नेतृत्व कांग्रेस को शायद ही उप्र में सम्मानजनक स्थान देंगा। नहीं राहुल गाध्ंाी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सहज तैयार होंगे। यही से संयुक्त विपक्ष की एकजुटता कमजोर होगी। रही बाकी कसर मुलायम सिंह यादव कर देंगे। वहीं अमित शाह व मोदी की जोड़ी विपक्ष की एकजूटता व चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक देंगे। जीत के लिए महारथ हासिल मोदी व शाह 2019 के चुनाव के फतह के लिए अपनी बिसात पहले ही बिछा चूके है। अब उन पर लगने वाले मशीनों से छेडछाड के आरोपों को न जनता कान देगी व नहीं विपक्षी ही लगा सकेंगे।वहीं सत्तामद व अति आत्मविश्वास में चूर हो कर जनता से कट गयी भाजपा को पुन्न अपनी कमजोरियों को दूर करने का अवसर मिलेगा और विपक्ष की एकजूटता के खिलाफ समय रहते मजबूत रणनीति बनाने का स्वर्णीम अवसर भी मिलेगा। 
उल्लेखनीय है कि इन तीन सीटों के लिए हुए चुनाव में से सबसे महत्वपूर्ण 2 सीटे उप्र की रही। पहली गोरखपुर लोकसभा सीट जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और फूलपुर संसदीय सीट उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से रिक्त हुई थी। दोनों सीटों पर भाजपा की प्रतिष्ठा दाव पर लगा हुआ था। गोरखपुर में भाजपा के उपेंद्र दत्त शुक्ल को सपा के प्रवीण निषाद ने 21961 मत और फूलपुर में भाजपा के कौशलेंद्र पटेल को सपा के नागेंद्र पटेल ने 59613 मतों से हरा दिया। वहीं अररिया सीट पर राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार सरफराज आलम ने 61988  मतों से जीत हासिल की है।

बिहार के अररिया लोकसभा सीट और जहानाबाद एवं भभुआ विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव की गिनती अब खत्म हो गई है। विधानसभा की दोनों सीटों भभुआ और जहानाबाद के नतीजे आ चुके हैं। जहानाबाद विस उपचुनाव में राजद प्रत्याशी सुदय यादव करीब 35 हजार वोटों से जीत दर्ज की है, तो बीजेपी ने भभुआ सीट पर जीत हासिल की है। यहां से भाजपा प्रत्याशी रिंकी पांडे ने जीत दर्ज की है। जबकि अररिया लोकसभा सीट पर भी राजद के सरफराज आलम ने भाजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार सिंह को 61788 वोटों से पराजित कर दिया है। गौरतलब है कि अररिया से राजद के सांसद रहे मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, जहानाबाद से राजद के विधायक रहे मुंद्रिका सिंह यादव तथा भभुआ से भाजपा के विधायक रहे आनंद भूषण पांडेय के निधन के कारण चुनाव आयोग द्वारा गत नौ फरवरी को इस सीटों पर उपचुनाव की अधिसूचना जारी की थी।
फूलपुर सीट पर 22 उम्मीदवार मैदान में हैं। वहीं गोरखपुर सीट के लिये 10 उम्मीदवार मैदान में हैं। गोरखपुर सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विधान परिषद की सदस्यता ग्रहण करने के बाद त्यागपत्र देने के कारण खाली हुई थी।

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