बहुसंख्यक समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए मुसलमानों की तरफ से जमीयत उलेमा हिंद ने लिया महत्वपूर्ण निर्णय।
जमीयत उलेमा हिंद की पहल से सरकार कटघरे में
देवसिंह रावत
मुसलमानों के सबसे बडे संगठन जमीयत उलेमा हिंद ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की। अपने एक बयान में जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने दो टूक शब्दों में कहा कि देश में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाय। इससे गो तस्करी रूकेगी । गो तस्करी रूकने से गाय बचेगी। गाय बचेगी तो लोग भी बचेगे। गाय के नाम पर लोगों की जान जा रही है। जमीयत उलेमा के इस निर्णय का ऐलान स्वयं जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने एक खबरिया चैनल में बोलते हुए दी।
समीयत उलेमा ंिहंद की मांग का देश भर में स्वागत किया गया। जमीयत उलेमा की इस पहल को देश के अमन चैन को बढ़ावा देने वाला कदम बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि आजादी से पहले ही इस देश में गौ रक्षा के लिए शताब्दियों से आंदोलन हो रहे है। इस आंदोलन में हजारों लोगों की शहादत हो गयी। आजादी के बाद भी हजारों साधु संतों व गौ भक्तों ने गौ रक्षा के लिए अपनी शहादते दी। आजादी के बाद देश के बहुसंख्यक की भावनाओं का सम्मान करते हुए देश की सरकारों को अविलम्ब गो वंश हत्या पर प्रतिबंध लगा देनी चाहिए थी। परन्तु सरकार ने मुसलमानों व अन्य धर्मावलम्बियों का बहाना बना कर मात्र दो टके के व्यापार के लिए देश के माथे पर गौ हत्या का कलंक लगाये रखा।
सबसे शर्मनाक स्थिति देश की यह हो गयी कि जिस भारत में बहुसंख्यक समाज गाय को माता मान कर पूजते हैं। वहां की सरकार ने बेशर्मी से देश की संस्कृति,सम्मान, जनभावनाओं को रौंदते हुए देश में बड़ी संख्या में गौ वंश की निर्मम हत्या करने वाले कत्लखाने न केवल खुलवाया हुआ है अपितु गौ मांस का व्यापार भी किया जा रहा है। यह जघन्य कलंक, विदेशी ताकतों को खुश करने व चंद टके के लिए किया जा रहा है।
अब मुसलमान समाज ने सरकार द्वारा मुसलमान समाज की आड में किये जा रहे इस कलंकित कृत्य को बेनकाब करने के लिए बहुत ही सुझबुझ वाला फैसला लिया। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किये जाने से, जहां भारत में गौ हत्या नहीं की जा सकेगी। इससे गौ मांस निर्यात सहित व्यापार पर प्रतिबंध लग जायेगा। प्रतिबंध लगने से गौ तस्करी भी काफी हद तक रूक जायेगी। गो तस्करी व गो हत्या पर रोक होने से देश के बहुसंख्यक समाज व मुसलमान समाज के बीच आये दिन होने वाला विवाद भी काफी हद तक दूर हो जायेगा। मुसलमान समाज के बुद्धिजीवियों ने सरकार द्वारा मुसलमानों का बहाना बना कर गौ हत्या जारी रखने के षडयंत्र को भांप कर ही यह कदम उठाया। अब सरकार के पास गो हत्या व गो मांस/ निर्यात व्यापार पर प्रतिबंध लगाने के अलावा कोई दूसरा बहाना नहीं रहा। पर नहीं लगता सरकार गौ हत्या व गौ मांस व्यापार बंद करेगी। क्योंकि देश की व्यवस्था पर काबिज लोगों को देश की संस्कृति, शांति व विकास से कोई लेना देना नहीं है। वे अपने निहित स्वार्थ के लिए देश से निरंतर खिलवाड करते रहते है।
परन्तु मुसलमान समाज की सबसे बडी संस्था जमीयत उलेमा हिंद ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग करके देश के बहुसंख्यक समाज का मन जीत लिया वहीं उन्होने देश की सरकारों को पूरी तरह से कटघरे में खडा कर दिया। अगर अब भी देश की सरकारें देश में गो हत्या व गौ मांस व्यापार पर प्रतिबंध नहीं लगाती है तो सरकारें ही असली गुनाहगार मानी जायेगी गो हत्या करने व गो मांस व्यापार के लिए।