आम आदमी पार्टी द्वारा राज्यसभा के लिए नामांकन को लेकर उत्पन्न विवाद जो दिल्ली में देखने को मिला है उसने दिल्ली की जनता को कुपित किया है और दिल्ली की जनता जानना चाहती है कि इस विवाद के पीछे क्या है, आखिर क्यों ये पैसों के सवाल उठ रहे हैं ?
दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए उपलब्ध बेडों की संख्या में कमी पर आर.टी.आई. से मिली जानकारी और खुद सरकार द्वारा निजी अस्पतालों से इलाज करवाने की बात दर्शाता है कि केजरीवाल सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार में असफल रही है और अब राज्यसभा में भी एक निजी अस्पताल के कर्ताधर्ता को नामांकित किये जाने से सरकार सवालों के कटघरे के बीच है।
नई दिल्ली(प्याउ) 5 जनवरी। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने आज एक पत्रकार सम्मेलन में कहा कि अरविन्द केजरीवाल सरकार की उपलब्धियों के दावों की पोल अब सार्वजनिक जीवन के हर मुद्दे पर खुल रही है। दिल्ली में अस्पतालों के घटते बेड और निजी अस्पताल के प्रबंधक को राज्यसभा में पहुंचाने को जब हम जोड़कर देखते हैं तो केजरीवाल सरकार के दावों की पोल खुलती है।
श्री तिवारी ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल ने 2015 में सत्ता में आने से पूर्व एवं सत्ता में आने के बाद दिल्ली को सर्वोत्तम शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवायें देने का वायदा किया और बिजली के दाम हाफ और पानी के माफ उनका संकल्प था। बेघरों को सुरक्षा देने के भी अरविन्द केजरीवाल ने बड़े-बड़े दावे किये थे।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि केजरीवाल सरकार के रहते दिल्ली में सरकारी अस्पतालों मंे ढांचा पूरी तरह चरमरा गया है और स्थिति इतनी खराब हो गई है कि कुछ वर्ष पूर्व तक दिल्ली के सर्वोच्च रेफरल अस्पताल के रूप में देखे जाने वाले जी.बी. पन्त अस्पताल में भी मरीजों के लिए उपलब्ध बेड की संख्या तेजी से गिर रही है।
आर.टी.आई. से मिल रही जानकारी के अनुसार जी.बी. पन्त अस्पताल में स्वीकृत 758 बेड के स्थान पर केवल 735 बेड ही आज मरीजों को उपलब्ध हैं तो जनकपुरी स्थित सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में 250 बेडों के स्थान पर 100 बेड ही मरीजों के लिए उपलब्ध हैं। लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल प्रबंधन ने तो बेडों की उपलब्धता के बारे में जानकारी होने से ही इंकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध सरकारी अस्पताल जी.बी. पन्त में मरीजों के लिए उपलब्ध बेडों की संख्या में कमी पर आर.टी.आई. से मिली जानकारी और खुद सरकार द्वारा निजी अस्पतालों से इलाज करवाने की बात दर्शाता है कि केजरीवाल सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार में असफल रही है। सरकारी अस्पतालों को सुदृृढ़ करने के केजरीवाल सरकार के संकल्प पर न सिर्फ निजी अस्पतालों में इलाज के प्रस्ताव से शंका उत्पन्न हुई है बल्कि अब राज्यसभा के लिए भी एक निजी अस्पताल के कर्ताधर्ता को नामांकित किये जाने से सरकार सवालों के कटघरे के बीच है।
हमें किसी अस्पताल के प्रबंधक के नामांकन पर कोई आपत्ति नहीं है पर हमें सरकारी अस्पतालों के स्तर में गिरावट एवं सरकार द्वारा निजी अस्पताल में फ्री इलाज के पक्ष में बयान, इन पर चिंता है और जब हम इसे एक निजी अस्पताल के प्रबंधक के नामांकन से जोड़कर देखते है तो संदेह उत्पन्न होना स्वाभाविक है।
केजरीवाल सरकार बेघरों के मुद्दे को भी एक राजनीतिक मुद्दे की तरह इस्तेमाल करती है, उसका भावनात्मक उपयोग करती है पर जमीन पर उनके लिए कुछ नहीं करती। श्री तिवारी ने कहा कि गत दिनों मैं स्वयं देर रात में बेघरों की स्थिति को समझने एवं अपना निजी सहयोग बेघरों की मदद को देने के लिए निकला और देख कर दुख हुआ कि देश की राजधानी में हजारों-लाखों लोग सड़कों पर सोने के लिए बाध्य हैं। समाचारों के अनुसार इस वर्ष की सर्दियों में दिल्ली में लगभग 200 लोग ठंड के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। दिल्ली में लगभग 1 से 2 लाख निराश्रित एवं बेघर लोगों के होने का अनुमान है पर दिल्ली सरकार के सभी आश्रय केन्द्रों की संख्या मिलकर 25,000 लोगों को भी सुरक्षा नहीं दे पा रही है।
श्री तिवारी ने राज्यसभा में दिल्ली से नामांकन को लेकर चल रहे विवाद पर खेद व्यक्त करते हुये कहा कि विभिन्न राज्यों से राज्यसभा के लिए नामांकन होते है, छोटे-छोटे दलों के प्रतिनिधि भी संसद में नामांकित होते हैं पर जिस प्रकार नामांकन के पीछे पैसे के आरोपों की बात सड़क से संसद के गलियारों तक और मीडिया डिबेटों में हो रहा है, उसने सभी अचंभित किया और लोकतंत्र को शर्मसार किया है।
आम आदमी पार्टी द्वारा राज्यसभा के लिए नामांकन को लेकर उत्पन्न विवाद जो दिल्ली में देखने को मिला है उसने दिल्ली की जनता को कुपित किया है और दिल्ली की जनता जानना चाहती है कि इस विवाद के पीछे क्या है, आखिर क्यों ये पैसों के सवाल उठ रहे हैं ?