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राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के तुगलकी फरमान देश की लोकशाही के लिए है खतरा

राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर आंदोलनों पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब अमरनाथ यात्रा के मंत्रों, जयकारों पर पाबंदी लगाकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण पूरी तरह से खुद बेनकाब हो गया है

प्यारा उत्तराखण्ड डाट काम

(www.pyarauttarakhand.com)
राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर आंदोलनों पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब अमरनाथ यात्रा के मंत्रों, जयकारों पर पाबंदी लगाकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण पूरी तरह से खुद बेनकाब हो गया है। भारत सरकार को चाहिए कि अविलम्ब इस अलोकतांत्रिक व देश की संस्कृति का अपमान करने वाले राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को भंग कर इसके अब तक के आदेशों की निष्पक्ष जांच की जाय। यह मांग भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से की।
श्री रावत ने कहा कि केन्द्र सरकार की उदासीनता के कारण राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण निरंतर देश की लोकशाही व संस्कृति पर मनमाने प्रहार कर रहा है। सरकार यदि सजग रहती तो राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अपनी सीमाओं से बाहर जा कर देश की लोकशाही की कमजोर करने वाले कृत्य नहीं करता।
अब पानी सर से उपर चले गया है इस राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को या तो तत्काल भंग करते हुए इसके फैसलों पर रोक लगायी जाय।
जिस प्रकार से चंद व्यक्तियों की फरियाद पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने जंतर मंतर पर राष्ट्रीय धरना स्थल पर चल रहे आंदोलनों पर रोक लगा दिया। अगर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को जरा सी भी न्याय करना आता तो यह सरकार से दूसरे स्थान पर राष्ट्रीय धरना स्थल बनाने के बाद ही इसे खाली कराने का निर्देश देती। इस राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के तुगलकी फरमान से जहां सरकार ने जंतर मंतर से देश की जनहित के चल रहे आंदोलनों को खदेड़ दिया परन्तु देश में जनता को अपनी समस्याओं को उठाने का एक राष्ट्रीय धरना स्थल से वंचित कर दिया। आंदोलनकारी रामलीला मैदान के नाम पर छल करके भगाये गये।

हकीकत यह है सरकार ने अभी डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी कहीं पर राष्ट्रीय धरना स्थल नहीं बनाया। इससे देश भर से आये आंदोलनकारी दिल्ली में दर दर की ठोकरे खाने के लिए मजबूर है। जहां भारतीय भाषा आंदोलन के जांबाज रामलीला मैंदान में स्थान न मिलने के बाद शहीद पार्क में आंदोलन जारी रखे हुए है। वही इस शहीदी पार्क में गौ रक्षा आंदोलन के विनोवा भावे के अनुयायी मुसद्दीलाल दिन भर जहां चरखे से सूत कातते रहते है। वहीं भारतीय भाषा आंदोलन के आंदोलनकारी देवसिंह रावत, रामजी शुक्ला, अनिल पंत, स्वामी श्रीओम, आशा शुक्ला, अभिराज शर्मा, पदमसिंह बिष्ट, मोहन जोशी, आलमदार अब्बास व समाजवाद के डा रमाइन्द्र शांतिपूर्ण चिंतन कर रहे है। वहीं गोरखा लेण्ड, पूर्व सैनिक संगठन सहित अनैक आंदोलनकारी सरकार के इस नादिरशाही फरमान से हैरान हैं।
अब राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा अमर नाथ यात्रा पर दिये तुगलकी परमान से भाजपा समर्थकों का सत्ता का खुमार टूटा। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डा प्रवीण तोगडिया ने इसे  हिंदुओं का अपमान बता कर मोदी सरकार से तुरंत इस तुगलकी फैसले को वापस लेने की मांग की। अपने बयान में विहिप के अध्यक्ष श्री तोगडिया ने कहा कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने अमरनाथ यात्रा में मंत्रों और जयकारों पर पाबंदी का फतवा निकाला है। विश्व हिंदू परिषद ऐसे अपमानकारी फतवे की निंदा करती है। पृथ्वी पर पर्यावरण संबंधी हर समस्या का कारण हिंदू नहीं। हमारी केंद्र सरकार से माँग है कि आए गए दिन किसी ना किसी कारण से हिंदुओं की धार्मिक श्रद्धाओं और भावनाओं को आहत करना बंद करें और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने अमरनाथ पर जारी किया तुगलकी फरमान तुरंत वापस लें।

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