उत्तराखंड देश

गुजरात की तरह उत्तराखण्ड के टिहरी झील, नैनीताल सहित प्रमुख नदियों में शुरू की जायेगी जल विमान सेवा

चारधाम सर्वकालीन मार्ग की प्रगति व रामनगर-कर्णप्रयाग राज्य मार्गो कों राष्ट्रीय राजमार्ग में परिवर्तन के लिए केन्द्रीय मंत्री गडकरी से मिले मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत

देहरादून (प्याउ)। भले ही देश की आम जनता का ध्यान जल विमान सेवा की तरफ 12 दिसम्बर को तब गया, जब खबरिया चैनल व इंटरनेटी दुनिया में प्रधानमंत्री मोदी  ने विधानसभा के द्वितीय चरण के प्रचार के दोरान जल विमान सेवा का उपयोग करते हुए देखा। प्रधानमंत्री द्वारा गुजरात में पहली बार जल विमान सेवा के उपयोग किये जाने से  एक दिन पहले  उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत दिल्ली में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री  नितिन गडकरी से भेंट कर उत्तराखण्ड के टिहरी झील, नैनीताल व प्रमुख नदियों से जल विमान सेवा शुरू करने पर मंत्रणा की। इसी मंत्रणा के बाद यह खबरे उजागर हुई की केन्द्र सरकार गुजरात की तरह उत्तराखण्ड में भी जल विमान सेवा प्रारम्भ करना चाहती है। इसी के लिए केन्द्र सरकार ने उत्तराखण्ड सरकार से इस मामले में गहन विचार विमर्श किया। जल विमान सेवा प्रारम्भ किये जाने से उत्तराखण्ड में पर्यटन उद्योग को भी एक नया आयाम मिलेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने बताया कि केन्द्र सरकार की योजना है कि उत्तराखण्ड समेत हिमालय क्षेत्र में जो बड़ी झीले हैं, वहां सी-प्लेन की लैंडिंग की जाय। उन्होंने कहा है कि सी-प्लेन एक फीट पानी तथा सड़क में भी उतर सकता है। आने वाले समय में यह बहुत सस्ता ट्रांसपोर्ट का माध्यम बनने जा रहा है। अमेरिका, कनाडा, जापान की तर्ज पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सहयोग से इसके लिए नियम बनाये जा रहे है।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र की केन्द्रीय मंत्री जो कि जल संसाधन , नदी विकास मंत्री भी हैं, से राज्य में संचालित नमामि गंगे योजना के साथ लखवाड-ब्यासी सहित अन्य जल विद्युत परियोजनाओं पर भी चर्चा हुई है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि लखवाड़-ब्यासी परियोजना, किसाऊ बांध परियोजना के लिए भी केन्द्र सरकार का सकारात्मक सहयोग मिल रहा है।
केन्द्रीय मंत्री गडकरी से  चार धाम सर्वकालीन मार्ग की प्रगति पर चर्चा करने के साथ ही मुख्यमंत्री ने रामनगर-कर्णप्रयाग राज्य राजमार्ग सहित प्रदेश के कुछ राजमार्गों को राष्ट्रीय राजमार्ग में परिवर्तित करने का अनुरोध भी किया। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया कि ऑल वैदर रोड के निर्माण कार्य प्रगति पर है। केन्द्र सरकार से संसाधनों के विकास के लिये धनराशि आदि के लिये पूर्ण सहयोग मिल रहा है। इसके साथ ही भूमि अधिग्रहण में किसानों को मुआवजे पर मिलने वाले ब्याज पर भी सकारात्मक चर्चाएं हुई है।

इस वार्ता के बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री से वार्ता के दौरान उत्तराखण्ड की 33 जल विद्युत परियोजनाओं पर व्यापक चर्चा की गई। इस सम्बंध में ऊर्जा, जल संसाधन एवं वन मंत्रालय तीनों विभागों द्वारा मिलकर राज्य हित में सकारात्मक परिणाम देने का केन्द्रीय मंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने अनुरोध किया कि आर्थिक मामलो की कैबिनेट कमेटी से लखवाड़ बहुउदेश्यीय परियोजना को शीघ्र सहमति प्रदान की जाय। उन्होंने कहा कि अलकनन्दा तथा भागीरथी नदियों पर 70 में से 33 जल विद्युत परियोजनाएं, जिनकी कुल क्षमता 4060 मेगावाट तथा लागत 41,000 करोड़ रूपये है, एन.जी.आर.बी.ए., ईको-सेंसटिव जोन तथा मा.उच्चतम न्यायालय के निर्देशो के क्रम में बन्द पड़ी है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने अनुरोध किया कि यदि एक संयुक्त शपथ पत्र ऊर्जा मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय तथा पर्यावरण व जल मंत्रालय द्वारा .उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाय तो उक्त परियोजनाओं हेतु शीघ्र अनुमोदन मिल सकता है। इसी प्रकार चमोली की 300 मेगावाट की बावला नन्दप्रयाग जल विद्युत परियोजना के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को बताया कि इस परियोजना से संबंधित डीपीआर केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के समक्ष अनुमोदन हेतु लम्बित है, क्योंकि जल संसाधन मंत्रालय द्वारा इन्वार्यमेन्टल फ्लों का अभी अध्ययन नही किया गया है। उन्होंने इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही की अपेक्षा की। इस भेंटवार्ता में केन्द्रीय मंत्री श्री गडकरी ने मुख्यमंत्री को राज्य की लम्बित परियोजनाओं के क्रियान्वयन में सहयोग का आश्वासन दिया।

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