उत्तराखंड

गैरसैंण में विधानसभा सत्र का ऐलान त्रिवेन्द्र सरकार का हृदय परिवर्तन नहीं अपितु प्रधानमंत्री मोदी व शाह की नसीहत

प्रदेश सरकार से इसी सत्र में उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसैंण घोषित करायें प्रधानमंत्री मोदी

देहरादून(प्याउ)। जैसे ही 25 अक्टूबर को उत्तराखण्ड सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रीमण्डल की बैठक के बाद 7 सितम्बर से 7 दिवसीय विधानसभा सत्र का आयोजन गैरसैंण (भराड़ीसैण) में कराने का ऐलान किया तो देश विदेश में रहने वाले डेढ़ करोड़ समर्पित समर्पित उत्तराखण्डियों में सुखद आश्चर्य के साथ खुशी की लहर फैल गयी।

ऐसा नहीं कि गैरसैंण में  पहली बार विधानसभा  सत्र का आयोजन हो रहा हो। इससे पहले  हरीश रावत के मुख्यमंत्री काल में भी विधानसभा काप सत्र देहरादून के बजाय राज्य के समर्पित जन भावनाओं की राजधानी गैरसैंण में हुई। इससे पहले कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री रहते हुए विजय बहुगुणा सरकार में भी गैरसैंण में मंत्रीमण्डल की बैठक आयोजित की गयी।
भले ही कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहते विजय बहुगुणा व हरीश रावत ने गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का ऐलान नहीं कर पाये परन्तु उनकी सरकारों ने राज्य गठन के 13 साल बाद पहली बार गैरसैंण को निराकार से साकार करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। चाहे राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण ये दोनों भी प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण को घोषित करने का साहस नहीं जुटा पाये।
परन्तु वर्तमान भाजपा की त्रिवेन्द्र सरकार ने जिस प्रकार से सत्तासीन होने के बाद दो टूक शब्दों में गैरसैंण के प्रति अपना उदासीन व गैरजिम्मदारना रूख दिखाया। उससे न केवल राज्य गठन के समर्पित आंदोलनकारियों व राज्य के हित रक्षकों को गहरी निराशा हुई। भाजपा की वर्तमान सरकार जनभावनाओं व प्रदेश के हितों को देखते हुए तत्काल गैरसैंण को स्थाई राजधानी के बजाय शीतकालीन राजधानी बनाने के जुमले प्रकट कर रहे थे।
लोग हैरान थे कि जो भाजपा गत विधानसभा चुनाव प्रचार में गैरसैंण राजधानी बनाने का सबसे बड़ी हमदर्द बन रही थी वह सत्ता मिलते ही क्यों पलट गयी। इसका नमुना राज्य गठन आंदोलन के अग्रणी आंदोलनकारी  देवसिंह रावत व व्योमेश जुगरान सहित शीर्ष पत्रकारों को गहरा धक्का लगा जब मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अजय भट्ट की उपस्थिति में दिल्ली में पत्रकारों को दिये सम्मान भोज में दो टूक शब्दों में गैरसैंण राजधानी बनाने को सिरे से नकार दिया था। जिस प्रकार के कुतर्क मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत दे रहे थे उसको नकारते हुए पत्रकार देवसिंह रावत व व्योमेश जुगरान ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट से हर हाल में राजधानी गैरसैंण बनाने का संकल्प लिया।
इसके बाद दिल्ली में उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारियों के नेतृत्व में समस्त जागरूक सामाजिक संगठनों ने गैरसैंण राजधनी बनाने के लिए जंतर मंतर पर प्रमुखता से धरना देते हुए प्रधानमंत्री मोदी को जनभावनाओं को आदर करते हुए प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने की पुरजोर मांग की।
इसके बाद निरंतर सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को प्रदेश भाजपा द्वारा जनभावनाओं का अनादर करने की हकीकत रखते हुए राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग की। इसका असर यह हुआ कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश सरकार को गैरसैंण पर जनभावनाओं का आदर करने का संदेश दिया। इसी के बाद प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष प्रेम अग्रवाल ने भी दो टूक शब्दों में कहा कि राज्य गठन आंदोलनकारियों ंव शहीद प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने चाहते थे। उन्होने प्रदेश सरकार से गैरसैंण पर तुरंत निर्णय लेने की मांग की।
इसके बाद भाजपा नेतृत्व के निरंतर उत्तराखण्ड दौरों के बाद जनता की नजरों में चढ़ नही पा रही प्रदेश त्रिवेन्द्र त्रिवेन्द्र सरकार ने गैरसैंण पर पलटी मारते हुए गैरसैंण्ंा में 7 दिवसीय विधानसभा सत्र का आयोजन करने का ऐलान कर दिया। यह परिवर्तन अचानक नहीं हुआ। इसके पीछे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा प्रदेश की जनभावनाओं का सम्मान करने की सलाह ही है।
प्रदेश मंत्रीमण्डलन ने जो अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिये उसमें विधायक निधि से कराए जाने वाले सिंगल प्रोजेक्ट की लागत सीमा को 10 लाख से 25 लाख रुपये कर दिया है जबकि वर्क ऑर्डर से कराए जाने वाले निर्माण कार्य की सीमा को तीन लाख से बढ़ा कर पांच लाख रुपये करने का फैसला लिया है। इस तरह विधायक सिंगल प्रोजेक्ट व वर्क ऑर्डर के तहत कुछ और बड़े काम करा सकेंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में 15 मसलों पर फैसले लिए गए। बैठक के बाद प्रदेश सरकार के शासकीय प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने फैसलों की जानकारी दी। ऋषिकेश व कोटद्वार नगर पालिकाएं बनेंगी नगर निगम रू कैबिनेट ने ऋषिकेश नगर पालिका और कोटद्वार नगर पालिका को नगर निगम बनाने का फैसला लिया है। मंत्रीमण्डल के निर्णय में उपखनिजों की ई टेंडरिंग की शर्त से खड़िया को बाहर कर दिया गया है। उत्तरकाशी व हरिद्वार जिलों में लागू उत्तराखंड बाढ़ मैदान परिक्षेतण्र अधिनियम-2012 के तहत अब उत्तरकाशी का गंगोरी से बड़ेथी चैकी तक का 10 किलोमीटर क्षेत्र व हरिद्वार जिले में हरिद्वार से लक्सर तक का 50 किमी का क्षेत्र शामिल कर दिया गया है। नए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने भी कैबिनेट में बतौर कैबिनेट सचिव हिस्सा लिया।
पर्वतीय जिलों में व्यावसायिक भवन निर्माण को पास कराने होंगे नक्शे रू कैबिनेट में पर्वतीय जिलों में जनपद स्तरीय विकास प्राधिकरणों के गठन को हरी झंडी दे दी है। इन प्राधिकरणों के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग व राज्य मार्ग के बीच से दोनों ओर 200 मीटर के दायरे में स्थित राजस्व ग्रामों को शामिल किया जाएगा और इन क्षेत्रों में व्यावसायिक निर्माण के लिए नक्शे प्राधिकरण से पास कराने होंगे। हालांकि इसमें लोगों को एक बड़ी राहत यह दी गई है कि प्राधिकरण के दायरे में आने वाले क्षेत्र में 200 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाली एकल परिवार या संयुक्त परिवार की रिहाइशी इमारत और 30 वर्ग मीटर की स्वयं द्वारा संचालित इमारत के निर्माण के लिए मानचित्र पास कराना जरूरी नहीं होगा।
अब प्रदेश की जनता की एक ही आश प्रधानमंत्री मोदी से है कि वे प्रदेश सरकार से अविलम्ब इसी सत्र में राजधानी गैरसैंण घोषित करने को कहे। बिना गैरसैंण राजधानी बनाये न राज्य गठन की जनांकांक्षायें साकार हो सकेगी व नहीं राज्य का चहुमुखी विकास ही संभव है।

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