दुनिया

मात्र निंदा करने व संकल्प लेने से नहीं अपितु ठोस अंकुश लगाये से ही होगा दुनिया से आतंकवाद का सफाया

जर्मन के हैमबर्ग में हुए जी-20 के सम्मेलन में विश्व शासको ने लिया आतंकबाद के सफाये का संकल्प

देवसिंह रावत

भले ही विश्व की 80 प्रतिशत अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने वाले जी-20 के देशों ने जर्मन के हेगमबर्ग में आतंकबाद का विश्व से समूल सफाया करने के लिए संयुक्त प्रयास करने व आतंकियों को किसी प्रकार की मदद देने वालों पर अंकुश लगाने का संकल्प लिया हो। पर हकीकत यह है कि संयुक्त राष्ट्र व उसकी सुरक्षा परिषद के अलावा जी-7, जी-20 व ब्रिक्स संगठन सहित तमाम संगठनों में हर बार आतंकबाद पर चिंता प्रकट करने व उसके सफाया करने का संकल्प तो लिया जाता है परन्तु आतंकबाद कम होने के बजाय निरंतर फैलता ही जा रहा है।
इसका मुख्य कारण है आतंक को फेलाने वाले संगठनों, आतंक को संरक्षण देने वाले देशों पर अंकुश लगाने में विश्व मंचों पर आतंकबाद का सफाया करने वाले व आतंकबाद पर घडियाली आंसू बहाने वाले देश खुद ईमानदारी से ठोस कदम नहीं उठाते है।
हालांकि दुनिया  कई प्रकार के आतंक से त्रस्त है। वर्तमान में आतंकबाद का अर्थ प्रायः दुनिया में इस्लामी आतंक से लिया जा रहा है। इसमें सच्चाई भी है कि सोवियत संघ के विखराव के बाद दुनिया की शांति पर लगा महाशक्तियों (अमेंरिकासोवियत संघ )के बीच कई दशकों से चल रहा बर्चस्व की जंग का प्रतीक ‘शीत युद्ध‘ के समापन के बाद दुनिया इस्लामी आतंकबाद के दंश से मर्माहित है। अफगानिस्तान में सोवियत संघ के बर्चस्व को रौंदकर अपना परचम लहराने के लिए के लिए अमेरिका ने जिस पाकिस्तान को प्यादा समझकर इस्लामी  आतंकबाद को फेलाने संरक्षण देने का अभ्याहरण बनाया था वह आज पूरे विश्व की शांति नष्ट करने वाला भष्मासुर बन गया है। अमेरिका का अरब देशों में सबसे करीबी मोहरा सउदी अरब के पेट्रो डालरों से  आतंकबाद की फेक्टरी बने पाकिस्तान में फल फूल रहे इस्लामी आतंकबाद के भष्मासुरों ने खुद अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, लंदन,चीन, रूस व भारत ही नहीं अपने को पालने पोषने वाले इस्लामिक देशों के साथ यूरोप, एशिया, अफ्रीका, आस्टेªलिया सहित पूरे विश्व की शांति को डस लिया है। इस आतंकबाद के मूल स्रोत पाकिस्तान व सउदी अरब पर अंकुश लगाने के बजाय जब आतंकबाद के सफाये के नाम पर बेवजह इराक, लीबिया, मिश्र, सीरिया में तबाही मचायी  गयी जिससे आतंकबाद खत्म होने के बजाय पूरे विश्व में फेल गया है।
विश्व समुदाय को इस मामले में गंभीरता से कदम उठाने होगे। जिस प्रकार अमेरिका के बाद अब चीन पाकिस्तान को अंध संरक्षण दे रहा है। जिस प्रकार से संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान के आतंकियों को सूचिबद्ध होने से बचाने का काम चीन ने किया, उससे पाकिस्तान के होसले बुलंद हैं। अमेरिका को सउदी अरब पर आतंकी संगठनों को  वित्तिय मदद, जो इस्लामी बैंक आदि संगठनों व व्यक्तियों के द्वारा शिक्षा के नाम पर मदरसों व मस्जिदों के निर्माण आदि के नाम पर दिया जा रहा है वह आतंकवादियों को फलने फूलने पर लग रहा है। इसलिए अमेरिका व चीन को अपने प्यादों पर अंकुश लगाना चाहिए । इसके साथ रूस, अमेरिका, चीन सहित तमाम देशों को चाहिए आतंकबादियों व उसके पोषण करने वाले देशों को किसी भी सूरत में अपने हथियार न बेचे।
हालांकि शीतयुद्ध काल तक दुनिया में दोनों महाशक्तियों के बीच छिडी बर्चस्व की जंग ने दुनिया के अमन चैन पर ग्रहण लगा दिया था। अमेरिका व सोवियत संघ में पूरे विश्व पर अपना शिकंजा कसने के लिए संसार भर की सरकारें अस्थिर करके वहां विद्रोहियों को संरक्षण देने का कृत्य किया। अब भले ही सोवियत संघ न रहा हो पर, सोवियत संघ का स्थान रूस ने ले लिया है। इसके साथ चीन का विस्तारवाद का जन्मजात प्रवृति उसके पडोसी देशों के लिए जी का जंजाल बना रहा। तिब्बत, भूटान, कोरिया, भारत, वियतनाम, फिलीपींस, जापान सहित कोई ऐसा चीन का पडोसी देश नहीं जो चीन के विस्तारवाद से परेशान न हो। आज दुनिया में जो उत्तर कोरिया को हौव्वा दिखाया जा रहा है वह भी एक प्रकार से अमेरिका द्वारा दूसरा इराक बनाने का सा नजारा ही है। सीरिया व इराक में हो रही तबाही का एक मात्र कारण भी अमेरिका के बर्चस्व की जंग ही जिम्मेदार है।
इसलिए अमेरिका, रूस व चीन आदि देश जब तक अपनी वर्चस्व की प्रवृति पर स्वयं अंकुश नहीं लगायेगे तब तक विश्व से आतंकबाद का खात्मा होने वाला नहीं है। हाॅ इसके साथ पीड़ित देश भी जब तक अपनी सुरक्षा के लिए इजराइल की तरह कठोर कदम नहीं उठाते तब तक उनका हस्र भी दशकों से आतंकबाद से पीड़ित भारत की तरह ही होगा। भारत का कमजोर नेतृत्व इजराइल की तरह न तो भारत को आतंक से तबाह करने में तुले पाकिस्तान को मुहतोड़ सबक सिखा पा रहा है व नहीं पाकिस्तान को विश्व बिरादरी से अलग थलग करने में सफल हो रहा है। विश्व बिरादरी से अलग थलग करना तो रहा दूर भारत खुद पाक से अपने सम्बंध तोड़ने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहा है। भारतीय नेतृत्व आतंकी पाकिस्तान के खिलाफ दस्तावेजों को अमेरिका व अन्य विश्व मंच पर रख कर पाकिस्तान को अलग थलग करने की तो आश करता है पर हकीकत यह है कि खुद भारत ने आतंकी पाक को सबसे मित्र राष्ट्र का दर्जा दे रखा है। जिसके कारण पाकिस्तान न केवल सीमा पर अपितु वह कश्मीर सहित भारत के हर शहर में अपने आतंकियों व आस्तीन के सांपों से जहां एक तरफ आतंकबाद फेला रहा है वही वह समाज में हिंसा, धृणा व द्वेष फेला कर शांति भंग करने में लगा है।
जर्मन में हुए इस सम्मेलन से एक ही बात सकारात्मक रही कि भूटान सीमा क्षेत्र में चीन द्वारा बलात कब्जाने के कारण भारत व चीन के बीच चल रहे तनाव पूर्ण वातावरण में भारत व चीन के प्रधानमंत्री के बीच में मैत्रीपूर्ण मुलाकात हुई। दोनों देशों ने एक दूसरे की सराहना की।

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