तिब्बत की तरह भूटान को हडपने व भारत को मजबूत होते देख हमलावर हुआ चीन
चीन व पाक से तत्काल सम्बंध तोड़़ कर देश की सुरक्षा व चीन पर आर्थिक बज्रपात करे भारत
देवसिंह रावत
चीन द्वारा भारतीय सीमा से सटे भूटान के भूभाग को अपना क्षेत्र बता कर जबरन सडक बनाने पर भारत द्वारा विरोध किये जाने पर भारत से युद्ध करने को उतारू होने के पीछे केवल चीन की मात्र बौखलाहट नहीं अपितु भूटान को तिब्बत की तरह अपने शिकंजे में लेने व भारत को मजबूत होने से रोकने का खौपनाक षडयंत्र है। इस षडयंत्र के तहत इस बार 1962 की तरह केवल भारत व चीन के बीच युद्ध नहीं होगा अपितु इस बार चीन अपने प्यादे पाक के साथ मिल कर भारत पर चैतरफा हमला करने का खौपनाक षडयंत्र रचे हुए है।
भूटान के क्षेत्र पर जबरन सडक बनाने के लिए भारत को युद्ध की धमकी देने से जहां आम भारतीय जनमानस ही नहीं अपितु देश के हुक्मरान भी भौचंक्के है। चीन ने जहां सिक्कम सहित सीमा पर सेना की सरगर्मी बढ़ा दी और वहीं चीन ने हिंद महासागर में अपनी पनडुबियों सहित जंगी बेडों की संख्या बढ़ा दी है। वहीं चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर रोक लगा दी हैं। वहीं दूसरी तरफ चीन की शह पर पाकिस्तान की सेना निरंतर भारत पर हमले कर रही है और कश्मीर में आतंकी हमले बढ़ा रही है। चीन यही तक सीमित नहीं रह रहा है। वह अब जिस सिक्कम को भारत का अंग मानने पर भी प्रश्न उठाने लगा है। जबकि सन् 2003 में चीन ने स्वीकार कर दिया था कि सिक्किम भारत का ही हिस्सा है। सिक्किम तीन देशों की ओर से घिरा हुआ है। जिस पर चीन की वक्रदृष्टि डाल रहा है।
संसार भर के रक्षा विशेषज्ञ इस मामले में कई अटकलें लगा रहे है। कुछ का मानना है कि चीन भूटान के क्षेत्र में हर हाल में सडक बना कर भूटान के साथ भारत पर भी अंकुश लगाना चाहता है। कुछ विशेषज्ञों का मनाना है कि चीन, भारत के साथ तनाव बढ़ाकर दुनिया को संदेश देना चाहता है।
संसार में विस्तारवादी चीन ने अपने किसी भी पडोसी को कभी चैन से नहीं रहने दिया। उसकी हर कोशिश होती है उसको या तो हडप लिया जाय या अपना उपनिवेश बना दिया जाय। चीन ने जिस प्रकार से पूरी दुनिया के विरोध के बाबजूद तिब्बत को हडप लिया है। वहां के लाखों लोगों को मार भगा कर भारत सहित पूरे विश्व में दर दर की ठोकरे खाने के लिए विवश कर दिया। वहीं वह अपने विस्तार में अमेरिका के बाद वर्तमान में किसी को अवरोध मानता है तो वह है भारत। जबसे नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने तब से चीन को आशंका हो गयी है कि भारत तेजी से न केवल सामरिक, आर्थिक रूप से मजबूत बन रहा है अपितु वह चीन के तमाम विरोधियों को भी गोलबंद कर रहा है। खासकर अमेरिका, जापान, ताइवान, वियतनाम, कोरिया व इजराइल जैसे देशों से तेजी से सामरिक व आर्थिक सम्बंध बढ़ा दिये है। जो न केवल एशिया में अपितु पूरे विश्व पटल पर चीन के बढ़ते ही बर्चस्व को खुली चुनौती दे सकता है। इसी आशंका से ग्रसित हो कर चीन ने न केवल भारत को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता पर अडंगा लगाया हुआ है अपितु पाकिस्तान के कंधों पर बंदुक रख कर भारत पर निरंतर हमला करवा रहा है।
चीन भारत को सामरिक रूप से मजबूत बनने के लिए और समय नहीं देना चाहता है। वह भारत पर पिछले तीन साल से निरंतर पाकिस्तान के द्वारा हमला करा रहा है। यही नहीं वह पाक में भी अपने सैनिक अड्डे व बंदरगाह बना रहा है। पाक की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी ले रखी है। जिसके तहत पाक पर हुए किसी भी बाहरी हमले होने की स्थिति में पाक की सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी चीन की है। यही नहीं चीन को पाक ने पाक अधिकृत भारत के कश्मीर का एक बडा भू भाग चीन को तोहफे के रूप में दे दी है।
भले ही चीन भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा सीमा पर सैनिकों और हथियारों के 12 महीने खुले रहने वाली रेल लाइन बिछाने के लिए चीन-भारत सीमा पर किए जा रहे सर्वेक्षणों पर भी आपत्ति जताई। चीन आशंकित है कि कहीं भारत चीन के साथ बराबरी न कर दे। जिस प्रकार प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मिलने के बाद इजराइल की यात्रा पर है।
वही साढे सात लाख जनसंख्या वाला भूटान संसार के सबसे छोटे देशों में एक है। दूसरी तरफ चीन एशिया का सबसे बड़ा मुल्क है। हाल में भूटान ने शिकायत की है कि चीन उसकी जमीन पर नीयत खराब कर रहा है और इस मंशा को पूरा करने के लिए हिमालयीन क्षेत्र में तिब्बत-भारत-भूटान मार्ग पर एक सामरिक सड़क बना रहा है। इसने इलाके में तनाव पैदा कर दिया है। इसकी वजह से निर्माण स्थल पर तैनात हजारों भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई।
विवाद का कारण बना डोका-ला इलाका भारत के सिक्किम और भूटान के बीच चुम्बी घाटी क्षेत्र में है। जिसे चीन डांगलांग व भूटान में डोकलाम से पुकारता है। इसको लेकर चीन और भूटान के बीच 3 दशक से विवाद चला आ रहा है। हालांकि 1984 से लेकर अब तक इसको सुलझाने के लिए सुलझाने के लिए दो दर्जन वार्तायें भी हो चूकी है।
भारत की परेशानी का मुख्य कारण यह है कि भूटान के इस क्षेत्र में जहां चीन सड़क बनाने की कोशिश कर रहा है, उसके नीचे ही भारत का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र ‘चिकेन नेक’ है, जो उत्तर-पूर्वी भारत को देश से जोड़ता है। यही परेशानी की बात है कि अगर चीन यहां सड़क बन जाती है तो यह सीधे चीन भारतीय एकता व अखण्डता के लिए बडा खतरा पैदा हो जायेगा। अभी तक इस इलाके में भारत मजबूत स्थिति में है.क्योंकि भारत की सारी पोस्टें ऊंचाई पर हैं जबकि चीन यहां नीचे है। यहां पर सामरिक दृष्टि से भारत की स्थिति चीन की अपेक्षा मजबूत मानी जाती है।
सड़क निर्माण डोकलाम के किनारे 269 वर्गकिमी इलाके में हो रहा है। यह भूटान प्रशासित क्षेत्र है। इसके बाद चीन ने भारत के खिलाफ आक्रमक अभियान छेड़े हुए है। जबकि चीन के इस अतिक्रमण पर भारत में भूटान के राजदूत ने सार्वजनिक रूप से चीन पर भूटानी क्षेत्र पर बलात कब्जा करने का आरोप लगाया। चीन व भूटान के बीच सम्बंध मित्रवत न होने के कारण भूटान के चीन से कूटनयिक संबंध भी नहीं हैं।
जबकि भारत के साथ भूटान के बीच वर्ष 2007 मैत्री संधि के तहत दोनों पड़ोसी एक-दूसरे के राष्ट्रीय हितों में बेहद निकटता के साथ सहयोग करेंगे। इस संधि ने 1949 की उस संधि का स्थान लिया, जिसमें भूटान एक तरह से भारत का संरक्षित राज्य था जिसमें यह प्रावधान भी था कि भारत भूटान को उसकी विदेश नीति में मार्गदर्शन देना। इसी कारण भूटान के डोकलाम पठार में चीन द्वारा बनाई जा रही सड़क को लेकर भारतीय सेना ने चीनी सेना के अभियान में दखल दिया।
भले ही विश्व भर के सामरिक विशेषज्ञों की दृष्टि में चीन लगातार ताकतवर हो रहा है। उसकी सदैव हर संभव कोशिश रहती है कि अपने विशाल भौगोलिक दायरे के विस्तार के लिए गुपचुप तरीके से दूसरे देशों की सीमाओं में अतिक्रमण करने की। चीन खुद दूसरे की जमीन पर कब्जा करता है और आक्रमक तरीके से पीड़ित देश पर अपनी जमीन को हडपने या कब्जा करने का आरोप भी लगा देता है। ऐसा ही धूर्तता वह भारत के साथ 1962 से लगातार कर रहा है । यहीं काम वह भूटान जैसे कमजोर देश पर भी लगा रहा है।
इंदिरा गांधी के बाद भारतीय हुक्मरानों की देश के हितों के प्रति उदासीनता के कारण जहां चीन अपने सैन्य बुनियादी ढांचे को बहुत मजबूत बना रहा है और सामरिक लिहाज से बेहद मजबूत कर लिया है। वहीं भारत अभी तक सीमा क्षेत्र तक रेल इत्यादी मार्ग बनाने की योजना ही बना रहा है। चीन यहां पर कबका साकार कर चूका है। चीन के ऐसे आक्रमण से भूटान पूरी तरह घिरकर चीन के रहमोकरम पर निर्भर होकर रह जाएगा। महज साढ़े सात लाख की आबादी वाले भूटान की सुरक्षा का कुछ जिम्मा भारत के पास भी है। मसलन, चीन के साथ सटी भूटान की संवेदनशील सीमा की सुरक्षा में भारतीय सैन्य बल भूटान की शाही सेना का सहयोग करते हैं।
अब मोदी के सत्तासीन होने के बाद फिर से देश को सामरिक स्थिति पर विशेष ध्यान देना प्रारम्भ कर दिया है।
देश के हुक्मरानों की अदूरदर्शिता व चीन की धूर्तता न भांप पाने के कारण 1962 की लड़ाई में भारत को चीन के हाथों करारी हार मिली थी। उस जंग में भारत के करीब 1300 सैनिक मारे गए थे और 1000 सैनिक घायल हुए थे। 1500 सैनिक लापता हो गए थे और करीब 4000 सैनिक बंदी बना लिए गए थे। वहीं चीन के करीब 700 सैनिक मारे गए थे और डेढ़ हजार से ज्यादा घायल हुए थे। परन्तु चीन ने 1962 में भारत की सीमा में घुसकर हमला किया। परन्तु चीन झूठा प्रचार करते हुए इसके लिए भारत को जिम्मेदार बताते हुए कहते हैं भारत चीन की सीमा में घुस आया था। 1962 के युद्ध के आंकडों को जारी करते हुए चीन ने कहता है इस युद्ध में चीन के 722 और भारत के 4,383 सैनिक मारे गए थे। सबसे हैरानी की बात यह है कि 1962 में भारतीय वायु सेना के चीनी वायु सेना से मजबूत होने के बाबजूद वायु सेना को सबसे बाद में इस्तेमाल करने के भारतीय हुक्मरानों की रणनीति भी आत्मघाती समझी गयी।
चीन द्वारा भारत को इतिहास से सबक लेने की धमकी देने पर भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सिक्किम का दौरा करने पर कहा कि चीन, पाक व भारत के अंदर छिपे आस्तीन के सांपों का नाम न लेते हुए भी साफ शब्दों में कहा कि भारत ढाई फ्रंट से निपटने के लिए तैयार है। चीन इस बयान से भी हैरान है।
कुल मिला कर चीन न केवल भारत को विगत 3 सालों से उकसा रहा है। वह कभी अरूणाचल, तो कभी सिक्कम तो कभी भूटान के अलावा चमोली में भारतीय सेना में अतिक्रमण कर भारत को उकसा रहा है। वही वह पाक को भी निरंतर भारत पर हमला करने के लिए प्रोत्साहन दे रहा है। चीन चाहता है भारत किसी तरह उससे युद्ध में उलझे जिससे वह व पाकिस्तान दोनों मिल कर भारत पर हमला कर अपने नापाक मंसूबों को पूरा कर पाये। भारतीय हुक्मरान को बहुत ही सजग हो कर व पूरी तैयारी करके ही चीन से उलझना चाहिए। यह समझ कर उलझना चाहिए कि चीन या पाक की लड़ााई में दोनों देशों के साथ एक साथ भारत को लड़ना पडेगा। भूटान की रक्षा करने के साथ आस्तीन के सांपों के हमलों को भी विफल करने के लिए कमर कसना चाहिए। शेष श्रीकृष्ण। हरि औम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।