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कब होगा अंग्रेजी की गुलामी से भारत आजाद मोदी जीः भारतीय भाषा आंदोलन

शिक्षा, रोजगार, न्याय व शासन में अंग्रेजी के बजाय भारतीय भाषाओं में प्रदान करने के लिए संसद की चैखट जंतर मंतर पर जारी है 51 महिने से भारतीय भाषा आंदोलन का ऐतिहासिक आंदोलन

नई दिल्ली(प्याउ)। देश से अग्रेजी की गुलामी हटाकर भारतीय भाषा लागू करने की मांग को लेकर 51माह से संसद की चैखट जंतर मंतर पर चल रहा भारतीय भाषा आंदोलन 3 जुलाई को भी जारी रहा। भारतीय भाषा आंदोलन के प्रमुख देवसिंह रावत द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार वर्षा,लू, सर्दी, गर्मी,व पुलिस प्रशासन के दमन को सह कर भी भारतीय भाषा आंदोलनकारी अपना आंदोलन जारी रखें है।
संसद की चैखट राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर धरना देने वालों में भारतीय भाषा आंदोलन के प्रमुख देवसिंहृ रावत, रामजी शुक्ला, सुनील कुमार सिंह, अभिराज शर्मा, मन्नू कुमार, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार हरिपाल व शंकर रावत,,मनमोहन शाह, आलमदार अब्बास, गोपाल उप्रेती, अजीत त्यागी, प्रताप सिंह रावत, प्रेम लाल, बलवीर सिंह, देवेंद्र कुमार, विष्णु तंवर, जैन,पदम सिंह बिष्ट,कमल किशोर नोटियाल, दिनेश शर्मा, शैलेन्द्र सिंह रावत, लक्ष्मण कडाकोटी, श्याम प्रसाद खंतवाल, संसार चंद, महेन्द रावत,अनिल कुमार पंत, श्रीओम, नारायणदास जी, योगाचार्य राकेश त्रिपाठी, यतेन्द्र वालिया,किशोर रावत व मोनू खां आदि सम्मलित रहे।
देश को अंग्रेजों के जाने के 70 साल बाद भी देश के हुक्मरानों द्वारा बलात थोपी गयी अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजीइंडिया नाम की गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए ऐतिहासिक आंदोलन छेड़े हुए है। भारतीय भाषा आंदोलन देश के प्रधानमंत्री मोदी को अंग्रेजों के जाने के 67 वर्षों तक भारतीय संस्कृति की आत्मा योग को देश व विश्व से वंचित करने के षडयंत्र को तोड़ कर विश्व भर में योग से आलोकित करने का सराहनीय कार्य करने लिए हार्दिक बधाई देता है। भारतीय भाषा आंदोलन को आशा है कि आशा है मोदी जी, योगमय भारतीय संस्कृति की कल्याणकारी गंगा को संचारित करने वाली भारतीय भाषाओं व भारत को भी अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी की बैेडियों से मुक्ति दिला कर भारत को आजादी का परचम लहरायेंगे।
भारतीय भाषा आंदोलन के महासचिव देवसिंह रावत भारतीय भाषा आंदोलन देश को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त करके भारतीय भाषाओं को लागू करने की मांग को लेकर संसद की चैखट, राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर आजादी की जंग छेड़ने के 50माह का सफर पूरा करके 51 वें माह में प्रवेश कर गया है। भारतीय भाषा आंदोलन देश में शिक्षा, रोजगार, न्याय व शासन में अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त कराने व भारतीय भाषायें लागू कराने के लिए आंदोलनरत है। परन्तु अफसोस है कि भारतीय भाषा आंदोलन के शांतिपूर्ण व देश में लोकशाही स्थापित करने के लिए ऐतिहासिक आंदोलन की मांगे स्वीकार करने बजाय शासन प्रशासन ने तीन चार बार इसको उजाडने का राष्ट घाती कृत्य किया।
संसार के चीन, जापान, जर्मनी, रूस, फ्रांस, इस्राइल, टर्की, इंडोनेशिया सहित तमाम देश अपनी अपनी भाषाओं में व्यवस्था संचालित कर पूरे विश्व में अपना परचम लहरा रहे हैं। परन्तु भारत के हुक्मरानों ने अंग्रेजों से मुक्ति होने के बाद से 70 सालों से देश को अंग्रेजी का बेशर्मी से गुलाम बना रखा है। भारतीय भाषाओं की शर्मनाक उपेक्षा कर देश की लोकशाही व संस्कृति को रौंदने का कृत्य कर रही है। देश को विगत 70 सालों से बलात अंग्रेजी का गुलाम बनाये रखने पर सरकार सहित पूरी व्यवस्था ने जो शर्मनाक मौन साधा हुआ है। इसी से आहत हो कर भारतीय भाषा आंदोलन ने देश को अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए संसद की चैखट जंतर मंतर पर 51 महीने से आजादी की जंग छेडकर देश के हुक्मरानों को धिक्कार रहे है।
भले ही देश के हुक्मरान देश को आजाद कहें पर हकीकत यह है कि लोकशाही के नाम पर देश की सरकारों ने देश की सवा सौ करोड़ जनता को 15 अगस्त 1947 के बाद बैशर्मी से विदेशी भाषा को बलात थोप कर व भारतीय भाषाओं को तिरस्कार कर पूरे देश को गूंगा बहरा बना कर लोकशाही, स्वाभिमान व मानवाधिकार का गला ही घोट रखा है। यही नहीं इन 70 सालों में देश की सरकारें देश का नाम ‘भारत’ तक विश्व को नहीं बता रहे हैं। सबसे शर्मनाक बात यह है कि देश में शिक्षा, रोजगार, न्याय व शासन में भारतीय भाषाओं में प्रदान करने के बजाय अंग्रेजों के जाने के 70 सालों से अंग्रेजी में ही प्रदान करके देश को गुलाम बनाया हुआ है। इसी भाषाई गुलामी से मुक्ति के लिए भारतीय भाषा आंदोलन संसद की चैखट जंतर मंतर पर सतत् आंदोलन चलाये हुए है।
सरकार की उदासीनता के बाबजूद  भारतीय भाषा आंदोलन, देश के प्रधानमंत्री मोदी से आशा करती है कि जैसे उन्होने अंग्रेजों के जाने के 67 वर्षों तक भारतीय संस्कृति की आत्मा योग को देश व विश्व से वंचित करने के षडयंत्र को तोड़ कर विश्व भर में योग से आलौकित करने का सराहनीय कार्य करने का सराहनीय कार्य किया। उसी प्रकार मोदी जी, योगमय भारतीय संस्कृति की कल्याणकारी गंगा को संचारित करने वाली भारतीय भाषाओं व भारत को भी अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी की बैेडियों से मुक्ति दिला कर भारत को आजादी का परचम लहराने का यथाशीघ्र ऐतिहासिक कार्य करेंगे।

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