दिल्ली में चयनित किये गये दिल्ली क्षेत्र के उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारियों को सूचिबद्ध करने के लिए
30 अप्रैल तक चयन किये गये राज्य गठन आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र का सकारात्मक रूख
नई दिल्ली (प्याउ)। उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के आंदोलनकारियों का एक उच्चस्तरीय शिष्टमण्डल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की अगुवायी में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत से मिला।
29 जून की सांयकाल सांय सात बजे से एक घण्टे तक दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित उत्तराखण्ड सदन में आकस्मिक हुई इस मुलाकात के समय मुख्यमंत्री के साथ उत्तराखण्ड के वित्तमंत्री प्रकाश पंत भी उपस्थिति थे। आंदोनलनकारी शिष्टमण्डल में उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत, उत्तराखण्ड क्रांतिदल के केन्द्रीय उपाध्यक्ष प्रताप शाही, उत्तराखण्ड महासभा के अनिल पंत, उत्तराखण्ड जनमोर्चा के हर्ष बर्धन खण्डूडी, उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति के नंदन रावत, मनमोहन शाह, उत्तराखण्ड राज्य लोक मंच के दिनेश ध्यानी, खुशहाल सिंह बिष्ट, संयुक्त संघर्ष समिति के उमा जोशी, पदमसिंह बिष्ट, कमल किशोर नौटियाल, हरि प्रकाश आर्य, गुसांई, पंचम रावत, डा बिहारी लाल जलंधरी, राधा आर्य आदि सम्मलित थें।
इस अवसर पर आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत को एक ज्ञापन दिया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत को बताया कि राज्य गठन के बाद 16 साल तक राज्य गठन में सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधिकांश आंदोलनकारी का चिन्हिकरण नहीं हो पाया था। उनकी सरकार ने इसी भूल को सुधारने के लिए दिल्ली के आंदोलनकारियों की सलाह पर दिल्ली में एक विशेष चिन्हिकरण अधिकारी अनुराग आर्य को नियुक्त किया। इसके बाद दिल्ली में 9 वरिष्ठ आंदोलनकारियों की एक आंदोलनकारी चयन समिति का भी गठन किया गया। इसके लिए सरकार ने 3 जनवरी 2017 को एक शासनादेश भी जारी किया। इसी शासनादेश के साथ दिल्ली के सवा तीन सौ के करीब आंदोलनकारियों को उनके आंदोलनकारी चयन के मापदण्डों के अनुसार दस्तावेजों को जांच के बाद चिन्हिकरण के लिए चयन किया गया। इसके बाद चिन्हिकरण अधिकारी ने इन चयन किये गये आंदोलनकारियों के दस्तावेज उनके गृह जनपदों में चिन्हिकरण आंदोलनकारियों के सूचिबद्ध करने व स्थानीय सत्यापन करने के लिए जिला अधिकारी के पास भेजे है।
इसी दौरान विधानसभा चुनाव होने व नयी सरकार बनने के बाद जिलों में पंहुचे इन आंदोलनकारियों को सूचिबद्ध करने व स्थानीय सत्यापन करने के बजाय अधिकारियों ने इस पर उचित कार्यवाही नहीं की। जबकि दिल्ली से चयन किये गये आंदोलनकारियों की सभी दस्तावेज 30 अप्रैल से एक महिने पहले हर जिले में पंहुच चूके थे।
उत्तराखण्ड के 13 जिलों के जिलाधिकारी, इस मामले को या तो समझ नहीं पाये या नयीं सरकार के स्पष्ट निर्देश न मिलने से वे इस पर कोई कार्यवाही करने से बचते रहे। इससे आंदोलनकारियों की आशाओं पर बज्रपात सा होने लगा। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वर्तमान मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि इन दिल्ली में चयन किये गये आंदोलनकारियों का स्थानीय सत्यापन कराने के बाद उनके जिलों में आंदोनलकारियों के रूप में सूचिबद्ध करके चिन्हिकरण किया जाय।
ज्ञापन का अध्ययन करने व पूर्व मुख्यमंत्री के विचारों को सुनने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया कि वे देहरादून जाते ही इस मामले में कदम उठायेंगे। 30 अप्रैल तक चयन किये गये राज्य गठन आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पहल पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने दिया सकारात्मक रूख देख कर चिन्हिकरण न होने से निराश आंदोलनकारियों को आशा की किरण दिखाई देने लगी। एक घण्टे तक पूरे सकारात्मक माहौल में हुई वार्ता से गदगद आंदोलनकारियों ने वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के साथ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी विशेष धन्यवाद दिया। इस वार्ता को सफल बनाने में राज्य गठन आंदोलन के वरिष्ठ आंदोलनकारी व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सलाहकार हरपाल रावत के विशेष योगदान के लिए आंदोलनकारियों ने उनको भी धन्यवाद दिया। इस भैंटवार्ता के बाद आंदोलनकारियों ने राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा से भी राज्य गठन आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण, राजधानी गैरसैंण सहित अनैक ज्वलंत मुद्दों पर गहन विचार विमर्श किया।