उत्तराखंड

मनखी बाघ के आतंक से सहमी टनकपुर की जनता का फूटा आक्रोश

जंगल में लकड़ी लेने गयी 29 वर्षीय जानकी देवी को मनखी बाघ ने बनाया निवाला

 
तीसरी घटना से आक्रोशित लोगों ने किया घण्टांे तक राजमार्ग जाम, छूटे वनाधिकारियों के पसीने

 

टनकपुर(प्याउ)। 24 जून की सुबह  को टनकपुर-चम्पावत राष्ट्रीय राजमार्ग बस्तिया की निवासी 29 वर्षीया जानकी देवी पर उस समय मनखी बाघ ने हमला कर मौत के घाट उतार दिया जब वह अपनी बस्ती के तीन अन्य महिलाओं के साथ घास व जंगल में लकडी लेने गयी थी। मनखी बाघ को जानकी देवी पर हमला करते देख संग की महिलाओं ने भारी शोर मचाया जिससे मनखी बाघ जानकी देवी को छोड़ कर जंगल में भाग गया। पर बाघ द्वारा जानकी देवी के सिर से पीठ तक किये हमले से मौत हो गयी। महिलाओं की चित्कार सुन कर काफी लोग जंगल में बचाव के लिए आये। इस हादसे की सूचना वन विभाग के कर्मचारियों ने भी इस हादसे की सूचना अपने अधिकारियों को दे दी। जानकी देवी की मौत से उसकी दस वर्षीया बेटी व 7 साल के बेट के साथ पति गोविन्द सिंह एक प्रकार से अनाथ से हो गये। उनके उपर मनखी बाघ रूपि विपत्ति का पहाड़ ही टूट गया।  लगातार इस क्षेत्र में मनखी बाघ द्वारा की जा रही खौपनाक घटनाओं से जहां क्षेत्र के लोगों में भारी आक्रोश फैला है।

लोग इससे भी आक्रोशित थे कि न तो स्थानीय प्रशासन इस गंभीर समस्या के निदान के लिए ठोस उपाय कर रहा है व नहीं उत्तराखण्ड सरकार ने राज्य गठन के 17 सालों में हर साल सैकडों लोग जंगली जानवरों द्वारा मारे जाने के बाबजूद स्पष्ट नीति तक नहीं बनायी गयी। वही उप्र शासनकाल में चल रही उत्तराखण्ड विरोधी वन कानून यहां पर भी थोपे जा रहे है। प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत इस दिशा में कुछ काम करेंगें यह आश जनता को है।
टनकपुर -चम्पावत राष्ट्रीय राजमार्ग व पूर्णागिरि इलाके में मनखी बाघ सहित जंगली हिंसक जानवरों के आतंक से पूर्णागिरि मार्ग से सटे वालखेड़ा, उचैलीगोठ, गैंडाखाली के लोग सहमें हुए है। मनखी बाघ के निरंतर हमलों से यहां के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। इस क्षेत्र में दो महिलाओं को पहले ही  मनखी बाघ द्वारा मौत के घाट उतारने के बाबजूद वन विभाग द्वारा अभी तक मनखी बाघ को मौत के घाट उतारना तो रहा दूर उसे दबोच तक नहीं सके।

अगर वन विभाग ने मनखी बाघ द्वारा 27 फरवरी को नायक गोठ निवासी सोनी देवी व 25 अप्रैल को ककरालीगेट निवासी राधा देवी (46) पत्नी धर्मसिंह विष्ट को मौत के घाट उतारे जाने की घटना के बाद क्षेत्र की जनता की इस मनखी बाघ से निजात दिलाने की मांग को गंभीरता से लिया होता तो 24 जून को जानकी देवी की जिंदगी बच सकती थी। अभी तक वन विभाग ने  शारदा रेंज में दो पिंजरे भी लगाए हैं। लोग आक्रोशित इस बात से भी है कि जब एक महिने पहले बस्तिया गांव में लोगों ने एक बाघ को घेरा था, उस समय वन अधिकारियों ने उस बाघ को पकड़ने के बजाय उसे जंगल की तरफ भगा दिया था। इसके बाद 24 जून को जानकी देवी को मनखी बाघ द्वारा मारे जाने पर लोगों का आक्रोश  फूट पडा। नाराज ग्रामीणों ने बस्तिया से सटे राष्ट्रीय राजमार्ग में जाम लगाकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। इससे दोनों तरफ भारी जाम लग गया। पुलिस प्रशासन आक्रोशित जनता को समझाने में जब असफल रहे तो तो सांयकाल जिला वन अधिकारी एके गुप्ता को मौके पर आ कर आक्रोशित लोगों से वार्ता करनी पडी। ग्रामीणों ने मनखी बाघ को मारकर जनता को तत्काल छुटकारा दिलाने, मृतका के परिवार को आर्थिक सहायता देने तथा बेरोजगार पति को सरकारी नौकरी दिलाने की मांग की। आंदोलनकारियों की मांगों को स्वीकार करते हुए जिला वन अधिकारी ने  ने कहा कि नियमानुसार इस तरह की घटनाओं से पीड़ित परिवार को अधिकतम 3 लाख रुपये की आर्थिक सहायता जल्दी मुहैया करायी जाएगी। इसके अलावा भी प्रशासन अपने स्तर से मृतक पीड़ितों को आर्थिक सहायता देगा। आक्रोशित लोगों ने प्रशासन को आगाह किया कि अगर समय पर प्रशासन ने अपने वादे पूरे नहीं किये तो जनता मजबूर हो कर आंदोलन को तेज करेगी।

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