इस्लामी आतंकी संगठन से कई अधिक खौपनाक आतंकी पाकिस्तान पर क्यों हमला नहीं कर रहा है अमेरिका
अफगानिस्तान में जर्मन दूतावास के समीप हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अब तक की अमेरिका की पाकिस्तान को संरक्षण देने वाले विश्वघाती नीति पर बदलाव करना चाहिए। अगर सच में अमेरिका, अफगानिस्तान व विश्व में आतंक का खात्मा करना चाहता है तो उसे अब तक पाकिस्तान सहित विश्व में आतंक को संरक्षण देने वाली नीति को रौंक कर पाक सहित विश्व में स्थित सभी आतंकियों का समूल सफाया करना होगा। इसके लिए अमेरिका को पाक स्थित आतंकी शिविरों पर हमला कर जितना जल्द हो सके तबाह करना होगा।
जिस प्रकार से अफगानिस्तान, सीरिया, लीबिया, मिश्र, इराक व अफ्रीका सहित भारत उपमहाद्वीप में फेले आतंकवाद में कहीं न कहीं संरक्षण देने के लिए अमेरिका को जिम्मेदार माना जाता रहा। अमेरिका विश्व में अपने बर्चस्व व आर्थिक सम्राज्यवाद को बढ़ाने के लिए अपनी सामरिक शक्ति को निरंतर विभिन्न देशों में आतंक को बढ़ावा व अशांति फैलाने का काम करता रहा।
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद जिस प्रकार से ट्रंप ने अब तक के अमेरिकी नीति से हट कर विश्व में फेले आतंक के लिए इस्लामी आतंक को जिम्मेदार ठहराया और सत्तासीन होते ही उसका खात्मा करने के लिए कमर कसी है। परन्तु न तो ट्रंप सरकार भी इस्लामी आतंकियों के गढ़ सीरिया व इराक से आतंकियों का खात्मा कर पाये व नहीं अमेरिका विश्व में इस्लामी आतंकी संगठन से खतरनाक पाकिस्तान में पल रहे लाखों आतंकियों पर ही अंकुश लगा पाये। पाकिस्तान के संरक्षण में ये आतंकी भारत के कश्मीर, अफगानिस्तान व ईरान में ही नहीं अपितु विश्व के हर भू भाग में आतंक से छलनी करने में लगे है। अमेरिका अपने प्यादे पाक के आतंक को नजरांदाज कर विश्व से आतंक का खात्मा नहीं कर सकता। इसके लिए पाकिस्तान के आतंकी अड्डो पर उसे हवाई हमले हर हाल में करने ही पडेंगे।
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में 31 मई को प्रातः 8.25 बजे एक आतंकियों ने विस्फोटक से भरे पानी के टैंकर के जरिये अतिसुरक्षित समझे जाने वाले दूतावास क्षेत्र में जर्मनी दूतावास के सामने बम विस्फोट करके 90 लोगों को मार डाला। इस आतंकी हमले में चार सौ से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। हताहत लोगों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की है। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। यह हमला भारतीय दूतावास से करीब 100 मीटर दूरी पर ही हुआ।
इस हमले के तार पाकिस्तान से जुडे होने की आशंका प्रकट की जा रही है। अफगानिस्तान निरंतर पाक पर अफगान में आतंकी गतिविधियों को संचालित करने का आरोप लगाता रहा। पाक पर न केवल अफगानिस्तान अपितु ईरान व भारत भी इसी प्रकार के आरोप लगाते रहें। इसलिए अमेरिका अगर अफगानिस्तान में शांति व आतंक विहिन चाहता है तो उसे तुरंत पाकिस्तान के आतंकी शिविरों पर हमला करके इनका सफाया करना चाहिए। अन्यथा इस क्षेत्र में शांति की कामना करना भी मूर्खतापूर्ण है।