उत्तराखण्ड में इस प्रकार गांवों की बसावत, शायद पूर्वजों ने इस प्रकार ऊॅचे दुर्ग जैसी जगहों पर गांवों की बसावत आक्रमणकारियों व हिंसक जानवरों से सुरक्षा की दृष्टि से किया हो। उत्तराखण्ड में प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए भी गांवों की इस प्रकार बसावत की गयी। इसी कारण पर्वतीय जनपदों में मैदानी क्षेत्रों की तरह चंकबंदी नहीं की गयी। इस तस्वीर में जहां दुर्गनुमा गांव की हरी भरी सार, पानी को अपने दामन में समटे हुए बादलो से घिरी पहाड़ की गगनचुम्बी चोटियां, साफ स्वच्छ आबो हवा। मानो चीख चीख कर दो टके के लिए महानगरों की चकाचैध में नारकीय प्रदुषण भरा अभिशपित जीवन जी रहे अपने सपूतों को वापस बुला रही है आओ लौट आओ अपनी स्वर्ग सी जन्म भूमि में। जनपद चमोली के प्रकृति प्रेमी अध्यापक भगवान सिंह नेगी को ऐसी सुन्छर तस्वीर खिंचने के लिए हार्दिक धन्यवाद।