उत्तराखंड

पहाड़ की सस्कृति से जुडी हुई “ओखली” के बारे में आप जानकर हैरान हो जायेंगे ! ओखली की विशेषताएं

ओखली की विशेषताएं  

उत्तराखंड के प्रत्येक गाँवो के आँगन में खुले स्थान पर ओखली मिलेगी आपको पत्थर की ओखली का वजन लगभग 50 से 60 किलो होता है इसे जमीन में गाढ़ दिया जाता है और ओखली के चारो तरफ प्लेन से पत्थर बिछा दिए जाते है। ओखली का उपयोग कूटने अथवा पीसने के लिए किया जाता है इसमें छिलके वाला अनाज कुटा जाता है जैसे मंडुवा जो बाजरा गेहू आदि कूटा जाता है।

आज के ज़माने में एक से एक मशीने आ गयी है धान कूटने या किसी भी चीज को पीसने के लिए लेकिन आज भी लगभग उत्तराखंड के हर गांवो में इसका अभी भी परियोग किया जा रहा है और आज भी ये शादी बियाह के कामो में मसाले कूटने और पेठा कूटने में इसका परियोग किया जा रहा है।

उत्तराखंड में चटानो या बड़े पाथरो में ओखलिया खुदी हुयी पायी जाती है जो इस बात का परिणाम है की कभी इन ओखलियो के आस पास मानव बस्तिया रही होगी दीपावली के पावन पर्व इन ओखलियो की लिपाई पुताई की जाती है और इनमे दिए जलाये जाते तथा इनकी पूजा भी की जाती है।

जय देव भूमि उत्तराखण्ड
सर्वेश्वर सिंह रावत

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