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अपने राजनैतिक भविष्य की रक्षा के लिए कालनेमी बन जनता से माफी मांग रहे है केजरीवाल

 

जनता के मुंहमोडने, अन्ना व आप नेताओं द्वारा गरियाने के बाद केजरीवाल ने चला माफी ब्रह्मस्त्र

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योगेन्द्र यादव, प्रशांत को साथ ले कुमार विश्वास आदि नाराज चल रहे नेताओं पर बनायेंगे दवाब

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देवसिंह रावत –

नई दिल्ली(प्याउ)। भ्रष्टाचार के दंश से त्रस्त देश की जनता को मुक्ति दिलाने के लिए अण्णा हजारे के नेेतृत्व में चले देशव्यापी जनलोकपाल आंदोलन की कोख से पैदा हुई आम आदमी पार्टी  व अपनी राजनैतिक भविष्य की रक्षा के लिए केजरीवाल ने पंजाब, गोवा, दिल्ली नगर निगम के चुनाव में मिली करारी हार के लिए अपनी गलतियां मानते जनता से खुली माफी मांगी है। कार्यकत्र्ताओं को अपनी गलतियों से सबक लेकर पुन्न मजबूती से आगे बढ़ने का आवाहन करने वाले अरविन्द केजरीवाल पंजाब, गोवा चुनाव की हार का टिकरा अब तक मोदी सरकार व चुनावी मषीन के सर फोड रहे थे। वही काम अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली नगर निगम चुनाव में मिली करारी पराजय के बाद भी मिली पराजय के लिए मोदी सरकार व चुनावी मशीन से की गयी छेड़छाड को माना।
केजरीवाल के इस माफी दाव के पीछे का असली कारण यह है कि दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद जनता द्वारा आप से मोह भंग होता देख कर जहां आम आदमी पार्टी के प्रमुख केजरीवाल के गुरू अण्णा हजारे द्वारा केजरीवाल को कड़ी फटकारने के बाद आप के अन्य नेताओं ने भी मुंह खोलना है। पंजाब चुनाव से पहले खुद को पंजाब का मुख्यमंत्री मान रहे भगवत मान ने भी केजरीवाल की चुनावी मशीन के कारण हार पर निशाना साधा। वहीं अण्णा आंदोलन में अरविन्द केजरीवाल के करीबी सहयोगी कुमार विश्वास ने विडियो संदेश से अरविन्द केजरीवाल व आम आदमी पार्टी की नींद उडा दी। मयंक गांधी हो या अन्य कई नेताओं ने अब तक रखी गयी चुप्पी को तोड़ते हुए अपनी जुबान खोली तो आप में सियासी भूकंप ही आ गया।
पंजाब, गोवा में आप के सत्तासीन होने की आशाओं पर बज्रपात होने के बाद जब केजरीवाल ने देखा की उनके अभेद दुर्ग समझे जाने वाले दिल्ली में रजौरी गार्डन उपचुनाव व दिल्ली नगर निगम चुनाव में दिल्लीवासियों ने भी केजरीवाल की आप पार्टी से मुंहमोड़ दिया हे। तो दिल्ली की जनता द्वारा विधानसभा चुनाव में मिले अभूतपूर्व बहुमत से सत्तामद में चूर हुए केजरवाल के सर चढा सत्ता का नशा चढ़ा कि उन्होने अपने संघर्ष के वादों को भूल कर बिना मंत्रालय का काम किये दिल्ली के मुख्यमंत्री का ऐसा ताज पहन कर दिल्ली के विकास के लिए समर्पित होने के बजाय मोदी को गरियाने व दिल्ली के उपराज्यपाल से झगडने के अलावा कोई दूसरा काम ही नहीं किया। यह देख कर दिल्ली की जनता का केजरीवाल से मोह ही भंग हो गया।
जनता के मोहभंग होने व अपने दल के नेताओं के प्रहारों के बाद आप का कुनबा बिखरने व अपने देश की सत्ता में आसीन होने के सपने को चूर चूर होने की आशंका से सहमें केजरीवाल ने जनता की आंखों में धूल झोंकने वाला अपना सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र माफी को संधान किया।
दिल्ली नगर निगम चुनाव के दो दिन बाद स्थिति को भांपते हुए केजरीवाल ने कालनेमी की तरह संत बन कर कहा कि पिछले दो दिनों में मैंने कई वॉलंटियर्स और मतदाताओं से बात की है। सच्चाई यह है कि हमने गलतियां की हैं। हम इन  पर आत्मचिंतन करेंगे और उसे सुधारेंगे।हमें अपनी हार स्वीकार करनी चाहिए। इस सबक से सबब लेना चाहिए। हम अपनी गलतियों को सुधारे, यह करना जरूरी है। हमें चिंतन करना होगा। ऐक्शन लेने की जरूरत है, बहाने बनाने का नहीं।समय-समय पर हम डगमगाए हैं, लेकिन अहम यह होगा कि हम खुद को पहचाने और उठ खड़े हों तथा वापसी करें।
केजरीवाल का यह पूर्व अनुमानित कदम के पीछे उनकी रणनीति का आंकलन लगाने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि केजरीवाल यह सब विपरित परिस्थितियों को देख कर यह कदम उठा रहा है। अगर केजरीवाल साफ हृदय से यह काम करता तो बेहतर होता। परन्तु केजरीवाल ने बडी चालाकी से यह माफी ब्रह्मास्त्र चल कर जनता के दिलों में स्थान बनाने व आप में आ रहे सियासी भूचाल को शांत करने के लिए किया। वह अब आप में अपने विरोधियों पर दवाब बनाने के लिए योगेन्द्र यादव व प्रशांत को पुन्न आप में सम्मलित कर सकता है। पर इसकी संभावना कम है पर केजरीवाल कब क्या कर जाये इसका भान उनके करीबियों को भी नहीं होता है।
वहीं दिल्ली की केजरीवाल को नायक समझने वाली जनता खुद को ठगी महसूस कर रही है। जनता को विश्वास था कि केजरीवाल दिल्ली की सत्ता के बंदरबांट कर जनता को खून के आंसू रूलाने वाले भाजपा व कांग्रेस के भ्रष्ट व पदलोलुपु नेताओं के कुशासन से तो मुक्ति दिलायेंगे। परन्तु केजरीवाल बिना काम के सत्ता के सभी सुख को भोगते देख व केन्द्र सरकार से नाहक लड़ते देख कर जनता को केजरीवाल से मोह भंग हो गया।

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