भारत का राजकोषीय संघटन के मार्ग पर आगे बढ़ते रहना जारी, 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को कम करके 4.5 प्रतिशत से नीचे लाया जाएगा
11.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ अगले वर्ष तक 11,11,111 करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय परिव्यय
01फरवरी2024, दिल्ली से पसूकाभास
वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में अंतरिम बजट 2024-25 पेश करते हुए कहा कि विपरीत भूराजनीतिक घटनाक्रमों और कोविड-19 महामारी के दौरान विस्तारित राजकोषीय कदमों से उपजी अनिश्चितता के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने गतिशीलता प्रदर्शित की और स्वस्थ वृहद आर्थिक बुनियादी कारकों को बनाए रखा। वित्त वर्ष 2023-24 की राष्ट्रीय आय के प्रथम अग्रिम आकलनों के अनुसार, भारत के वास्तविक जीडीपी के वित्त वर्ष 2023-24 में 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। यह जानकारी वृहद- आर्थिक संरचना वक्तव्य 2024-25 में दी गई।
पूंजीगत व्यय पर सरकार के निरंतर जोर के साथ-साथ उपभोग एवं निवेश के लिए मजबूत घरेलू मांग को वित्त वर्ष 2023-24 की प्रथम छमाही में जीडीपी के प्रमुख वाहक के बीच देखा जा रहा है। आपूर्ति पक्ष पर, उद्योग एवं सेवा पक्ष वित्त वर्ष 2023-24 की प्रथम छमाही के प्राथमिक विकास वाहक रहे। भारत ने इस अवधि के दौरान प्रमुख उन्नत और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के बीच सर्वोच्च वृद्धि दर दर्ज की। आईएमएफ के अनुसार, भारत के बाजार विनिमय दर पर डॉलर में वर्ष 2027 में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने का अनुमान हैं। यह भी अनुमान लगाया गया है कि अगले पांच वर्षों में वैश्विक विकास में भारत का योगदान 200 आधार अंकों तक बढ़ जाएगा।
यह देखते हुए कि पिछले 4 वर्षों में पूंजीगत व्यय परिव्यय में तीन गुणा बढ़ोत्तरी किए जाने के परिणामस्वरूप आर्थिक विकास और रोजगार सृजन पर व्यापक बहुगुणक प्रभाव पड़ा, केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री ने अगले वर्ष के लिए परिव्यय को 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर ग्यारह लाख, ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह करोड़ रुपये (111.1 करोड़) करने के घोषणा की। आज संसद में अंतरिम 2024-25 को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने यह जानकारी दी कि यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 प्रतिशत होगा। विकास की गति को और मजबूत बनाने के लिए सरकार ने राज्यों को 50 वर्ष के ब्याज मुक्त ऋण की दिशा में बजट अनुमान में 1.3 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया, जिससे कि राज्य अपने संबंधित पूंजीगत व्यय को बढ़ावा दे सके। वित्त मंत्री ने कहा कि यह स्कीम इस वर्ष भी जारी रहेगी।
2014-23 के दशक को एफडीआई प्रवाह के लिए स्वर्ण युग करार देते हुए श्रीमती सीतारमण ने सदन को बताया कि इस अवधि के दौरान प्रवाह 2005-14 की संख्या के मुकाबले दोगुना था, जो 596 बिलियन डॉलर के बराबर है। उन्होंने कहा कि “ निरंतर विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए हम” “फर्स्ट डेवल्प इंडिया” की भावना के साथ अपने विदेशी साझेदारों के साथ द्विपक्षीय निवेश समझौतों पर बातचीत कर रहे हैं।
भारत की बाहरी स्थिति, विशेष रूप से चालू खाता घाटे में उल्लेखनीय कमी और एक आरामदायक विदेशी मुद्रा भंडार बफर की बदौलत पूंजीगत प्रवाह के पुनरुत्थान का परिणाम वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारतीय रुपये में स्थिरता के रुप में सामने आया। इसके अतिरिक्त वृहद -आर्थिक संरचना वक्तव्य 2024-25 में कहा गया कि सरकार द्वारा की गई सक्रिय आपूर्ति पक्ष पहलू के द्वारा भारत में मुद्रास्फीर्ति दबाव में काफी कमी आई है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के वित्तीय परिदृश्य पर विचार करते हुए वित्त मंत्री ने कहा “2024-25 में राजकोषीय घाटा के जीडीपी का 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जैसा कि 2021-22 के मेरे बजट भाषण में घोषणा की गई थी, हम 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत के नीचे लाने के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ रहें हैं। मध्यकालिक राजकोषीय नीति व राजकोषीय नीति रणनीतिक वक्तव्य में कहा गया है कि इस प्रतिबद्धता के अनुरूप संशोधित अनुमान 2023-24 में राजकोषीय घाटे के जीडीपी का 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो कि 5.9 प्रतिशत के 2023-24 के बजट अनुमान से कम है।
राजकोषीय संकेतक- जीडीपी के प्रतिशत के रूप में बदलते लक्ष्य
संशोधित अनुमान | बजट अनुमान | |
2023-24 | 2024-25 | |
1. राजकोषीय घाटा | 5.8 | 5.1 |
2. राजस्व घाटा | 2.8 | 2.0 |
3. प्राथमिक घाटा | 2.3 | 1.5 |
4. कर राजस्व (सकल) | 11.6 | 11.7 |
5. गैर कर राजस्व | 1.3 | 1.2 |
6. केंद्र सरकार ऋण | 57.8 | 56.8 |
(स्रोत्र: मध्यकालिक अवधि राजकोषीय नीति व राजकोषीय नीति रणनीतिक वक्तव्य)
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रणनीतिक प्राथमिकताएं:
सरकार की राजकोषीय नीति का उद्येश्य बिना समग्र वृहद आर्थिक संतुलनों से समझोता किए बाहरी आघातों का सामना करने और वैश्विक आर्थिक मंदी के जोखिमों को कम करने के लिए घरेलू अर्थव्यवस्था को अधिक गतिशील बनाना रहा है। सरकार की वित्त वर्ष 2024-25 राजकोषीय रणनीति निम्नलिखित व्यापक उदयेशों पर आधारित हैं:
- अप्रत्याशित आघातों, अगर कोई हो, का अवशोषण करने के लिए अधिक समावेशी, टिकाऊ और अधिक गतिशील घरेलू अर्थव्यवस्था की दिशा में लक्षित
- अवसंरचना विकास गति को बनाए रखने के लिए पूंजीगत व्यय की दिशा में अधिक संसाधनों को मोड़ना तथा आबंटित करना
- पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों के प्रयासों में सहायता के द्वारा सार्वजनिक अवसंरचना बढ़ाने की दिशा में राजकोषीय संघवाद के समग्र दृष्टिकोण को जारी रखना
- पीएम गतिशक्ति के सिद्धांतों को अपनाते हुए, समेकित और समन्वित योजना निर्माण तथा देश में अवसंरचना प्रयोजनाओं के कार्यान्वयन पर फोकस
- नागरिकों के दीर्घकालिक टिकाऊ और समावेशी बेहतरी के लिए प्रमुख विकासात्मक सेक्टरों अर्थात पेयजल, आवासन, स्वच्छता, हरित ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, ग्रामीण विकास, प्रणाली आदि की दिशा में व्यय को प्राथमिकता देना
- एसएनए/टीएसए आदि उपयोग के द्वारा संसाधनों के बिल्कुल ठीक समय पर जारी किए जाने के माध्यम से नकदी प्रबंधन की प्रवाहों की प्रभावोत्पादकता को बढ़ाना
***