उत्तराखंड देश

मणिपुर प्रकरण से शर्मसार हुआ देश, बेनकाब हुये हुक्मरान, विपक्ष सहित पूरी व्यवस्था

मुजफर नगर काण्ड-94, अंकिता भण्डारी व नजफगढ की दामनी जैसे प्रकरण के गुनाहगारों को संरक्षण देने के बजाय अगर व्यवस्था देती कडा दण्ड तो नहीं करते अपराधी मणिपुर जैसे जघन्य काण्ड का दुशाहस
नई दिल्ली से प्याऊ –
मणिपुर में सैकडों लोगों की भीड को दो नंगी महिलाओं को सडक पर घुमाने का विडियो जैसे ही सामने आया वेसे ही पूरे देश का सर शर्म से झुक गया। इस काण्ड पर देश के हुक्मरानों, विपक्ष व तथाकथित प्रबुद्ध जनों के घडियाली आंसू बहाते देख कर श्रीकृष्ण विश्व कल्याण भारती के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने कहा कि अगर देश के हुक्मरान, विपक्षी दल,प्रबुद्ध जन के साथ देश की न्याय व्यवस्था मुजफ्फरनगर काण्ड-94, अंकिता भण्डारी व दिल्ली नजफगढ़ की दामिनी जैसे जघन्य काण्ड के गुनाहगारों को सजा दिलाने के प्रति अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करने के बजाय मूक रह कर गुनाहगारों को शर्मनाक संरक्षण नहीं देते तो आज देश में मणिपुर जैसे काण्ड करने का दुशाहस अपराधी नहीं कर सकता। परन्तु शर्मनाक बात है कि जिनके पास यह दायित्व था, जो संसद से लेकर सडक पर मुजफ्फरनगर काण्ड-94 पर घडियाली आंसू बहा रहे थे वे ही देश की महिलाओं व संस्कृति को शर्मसार करने वाले गुनाहगारों को कड़ा  दण्ड देने के बजाय शर्मनाक संरक्षण देने के साथ उसके गुनाहगार को देश की तरफ से सम्मानित करने का कुकृत्य करके भारतीय संस्कृति को दागदार कर रहे थे। आज इस काण्ड कराने वाले दलों के ध्वजवाहक भी महिलाओं की अस्मिता पर घडियाली आंसू बहा रहे है। श्री रावत ने कहा कि हर गुनाहगार को सजा मिलनी चाहिये। वह भी बिना पक्ष पात व स्वार्थ के। अगर देश के हुक्मरान, राजनैतिक दल, समाचार जगत व न्यायपालिका ईमानदारी से गुनाहगारों को सजा देने का काम करती तो आज देश को यह दिन नहीं देखना पड़ता। मुजफरनगर काण्ड हो या अंकिता भण्डारी प्रकरण या नजफगढ दिल्ली की दामिनी के गुनाहगारों को सजा देने के बजाय अपराधियों को दण्डित करने में नकाम रही। सरकार, विपक्षी दल व न्याय पालिका की कुंभकर्णी नींद तब टूटती है जब कोई ऐसा हादसा होता है। दो चार भावनात्मक बयानबाजी के बाद ये सब फिर कुंभकर्णी नींद में सो जाते है। इसी कारण व्यवस्था  आम जनता को न्याय देने में असफल रही।
भले ही देश की जनतां को मणिपुर के इस शर्मनाक प्रकरण पर न्याय की आशा इस बात सेबंधी कि इस काण्ड का दोषी को विडियों प्रचारित होने के 24 घण्टे के अंदर पकडा गया और सरकार उन्हें कडा दण्ड देने का ऐलान कर रही है। वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के मानसून सत्र के प्रारंभ होने से पहले अपने संबोधन में देश को कहा कि मणिपुर प्रकरण से मेरा हृदय पीडा और क्रोध से भरा हुआ है। मणिपुर की घटना किसी भी सभ्य समाज के लिये शर्मसार करने वाली है। इससे देश के 140 करोड़ देशवासियों का सर शर्म से झूक गया। मैं सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह करता हॅू कि कानून व्यवस्था मजबूत करें, खासकर माता बहिनों की सुरक्षा के लिये। मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हॅूं कि किसी भी गुनाहगार को बख्शा नहीं जायेगा। कानून अपनी पूरी शक्ति से कठोर कदम उठायेगा। ऐसे गुनाहगारों को कभी माफ नहीं किया जा सकता है।यह शर्मनाक विडियों मणिपुर का बताया जा रहा है। ये दो निवस्त्र महिलायें कुकी समाज की बतायी जा रही है। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने जारी एक बयान के अनुसार यह घटना 4 मई को प्रदेश की राजधानी इंफाल के समीप कांगपोकपी जनपद में हुई थी। इन दोनों महिलाओं के साथ एक खेत में सामुहिक बलात्कार भी किया गया।  कुकी संगठन ने इस विडियो में पीडित लडकी को कुकी समाज की बताया। इसके साथ उसने इस भीड को मैतेई समुदाय की बताया। पिछले कई महिनों से मणिपुर दंगो में झुलस रहा है। यहां पर कुकी  व मैतई समाज के बीच चल रहे संघर्ष से जल रहा है।  यह विवाद तब उभरा जब उच्च न्यायालय ने मैतई समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया। इसका विरोध कुकी व नागा समुदाय कर रहे है। इस हिंसा में सैकडों लोग मारे जा चूके हैं पर कडी सुरक्षा व्यवस्था किये जाने के बाबजूद यहां हिंसा थमने का नाम भी नहीं ले रही है। उल्लेखनीय है पूर्वोतर का यह सीमांत मणिपुर राज्य में जहां घाटी में मैतेई बहुसंख्यक हैं व पहाडी क्षेत्र में कुकी । मैतेई समाज के अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिये जाने के बाद हुये विवाद के कारण  सैकडों लोग मारे जा चूके हैं और हजारों विस्थापित हो गये है। प्रदेश सरकार के तमाम दावों व कोशिशों के बाबजूद यह हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है।
इस हिंसा से पूरा देश स्तब्ध था कि यकायक मणिपुर से 19 जुलाई को ऐसा शर्मनाक विडियो आने से देश विदेश में भारत का सर शर्म से झूक गया। 20 जुलाई से संसद का मानसून सत्र प्रारंभ हुआ। जहां विपक्ष ने इस पर केंद्र सरकार पर कडे प्रहार किये। वहीं मणिपुर सरकार ने इस काण्ड के मुनाहगार को पकड कर कड़ी सजा देने का आश्वासन देने के बाबजूद विपक्ष सरकार को लानते देता रहा। यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि विपक्ष का पूरा ध्यान मणिपुर में शांति बहाल कैसे हो इसके बजाय केवल प्रदेश के मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग व मोदी को कोसने की है। यहां यह भी जरूरी है कि आखिर उच्च न्यायालय के फेसेले के बाद यह विवाद कैसे शांत हो। यहां आतंकी संगठनों को कोन मदद दे रहा  है। इसकी जानकारी सरकार  को देश की जनता व विपक्ष को भी देनी चाहिये। विपक्ष भी बताये कि यहां पर शांति बहाल कैसे हो। सरकार एक सर्वदलीय संसदीय समिति मणिपुर भेजे, जो कुकी, नागा व मैतेई सहित न्यायविदों से भी मिले और इस समस्या के समाधान की राह निकाल सके। जो भी विदेशी व अपराधी ताकतें मणिपुर की शांति को भंग कर रही है उनका निर्ममता से सफाया किया जाय। अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री व उनकी सरकार स्थिति को नहीं संभाल रही है तो इस सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा कर प्रदेश के अमन चैन की रक्षा करनी चाहिये।

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