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रूसी सत्ता प्रतिष्ठान क्रेमलिन पर हमला कराकर यूक्रेन सहित विश्व को विनाश की गर्त में धकेलकर कायरों की तरह अमेरिका की गोद में छुपा है जेलेंस्की!

संयुक्त राष्ट्र की शह पर नाटो के प्यादें जेलेंस्की ने यूक्रेन सहित विश्व को धकेला विनाश के गर्त में
04 मई 2023 नई दिल्ली से प्याउ
03 मई 2023 को रूसी सत्ता प्रतिष्ठान क्रेमलिन पर नाटो गिरोह के प्यादे यूक्रेन द्वारा ड्रोन द्वारा किये गये हमले के दुसाहस ने यूक्रेन सहित विश्व के करोड़ों लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर दिया। यूक्रेेन के साथ 14 माह से चल रहे युद्ध में  रूसी सत्ता प्रतिष्ठान क्रेमलिन पर नाटो गिरोह के प्रमुख अमेरिका के प्यादे बने राष्ट्रपति ब्लादिमीर जेलेंस्की  ने यह दुशाहस कराकर मानवता को ही संकट के गर्त में धकेल दिया। आक्रोशित रूस ने चेतावनी देते हुये कहा कि रूस को जब भी और जहां भी हमले का मौका मिलेगा, वह हिसाब बराबर करेगा। रूस का मानना है कि यह हमला आतंकबाद की एक सुनियोजित साजिश थी, जिसका मकसद राष्ट्रपति पुतिन की जान लेना था। तथा यह विजय दिवस और 9 मई की जिवय परेड से पहले किया गया जघन्य कृत्य है। ऐसे समय किया गया जब इसमें विदेशी मेहमान भी इसमें सम्मलित होने के लिये मास्को पंहुचे हैं।  हालांकि यूक्रने ने रूस पर हुये इस हमले में अपनी संलिप्तता के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुये कहा कि यूक्रेन अपने क्षेत्र की रक्षा करने के लिये तत्पार रहता है और यूक्रेन दूसरों पर हमला नहीं करता है। वहीं यूक्रेन का आका बने अमेरिका ने भी रूसी सत्ता प्रतिष्ठान पर हुये हमले पर संदेह प्रकट किया।
वहीं रूस को पूरा विश्वास है कि इस हमले से पहले  जिस प्रकार की भाषा यूक्रेनी राष्ट्रपति फिनलेण्ड में बोल रहे थे। उससे साफ संकेत मिलता है कि इस हमले के लिये दोषी जेलेंस्की है। गौरतलब है कि यूक्रेनी  राष्ट्रपति ब्लादिमीर जेलेंस्की ने रूसी सत्ता प्रतिष्ठान क्रेमलिन पर अपनी सेना को हमला करने का विश्वघाती आदेश अमेरिका व संयुक्त राष्ट्र संघ के सह पर दिया। जिससे आगबबूला हो कर रूस ने न केवल जेलेंस्की सहित यूक्रेन के सफाया करने के लिये कमर कस दी है। अपितु इससे जेलेंस्की को हथियार व शह दे कर रूस पर हमला करने के लिये हथियार आदि की सहायता देने वाले नाटों गिरोह के साथ उनका साथ देने वाले तमाशबीन देश जिम्मेदार होंगे। रूस के प्रतिशोध के दंश से यूक्रेन के सफाया के साथ नाटो गिरोह का झुलसना भी तय माना जाा रहा है।
इस हमले के बाद रूस ने आरोप लगाया कि यह हमला यूक्रेन द्वारा भेजे गये दो मानव रहित यांत्रिक जहाज यानि ड्रोनों को रूस ने मार गिराया। रूस ने इस असफल हमले को यूक्रेन द्वारा रूसी राष्ट्रपति को मारने का हमला बताया। रूस ने इस हमले के बाद यूक्रेन पर जवाबी कार्यवाही की खुली चेतावनी दी। इस हमले के बाद इसके प्रतिशोध का भान होते ही अपने देश के दोरे पर आये यूक्रेनी राष्  ट्रपति जेलेंस्की का ेफिलेण्ड  ने भी लडाकू जहाज देने के अपने वादे को वापस ले लिया। रूस की संसद ने यूक्रेन के इस हमले को विनासकारी बताते हुये इसे आतंकी हमला करार देते हुये जेलेस्की का सफाया करने की मांग की। वहीं रूस के पूर्व राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने कहा कि रूस के पास जेलेंस्की व उसके गिरोह का सफाया करना चाहिये। उनके आक्रोश का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होने कहा कि अब जेलेंस्की को आत्मसम्र्पण करने की जरूरत नहीं अपितु उसका सफाया करना जरूरी है।
इस हमले के तुरंत बाद रूस ने यूक्रेन पर हमले तेज कर दिये। इससे अपने बचाव के लिये यूक्रेनी राष्ट्रपति ब्लादिमीर जेलेंस्की ने फिनलैण्ड से यूक्रेन वापसी का इरादा ही बदल दिया। इसके साथ अपने बचाव के लिये वह नीदरलेण्ड की तरफ कूच कर गये है। सबसे बडा सवाल है कि अपने देश व उसके करोडों लोगों को मौत के मुंह में धकेल कर जेलेंस्की कायरों की तरह अमेरिका के रक्षा कवच में जान बचा रहा है। वहीं रूस ने क्रेमलिन पर यूक्रेन द्वारा किये गये हमले के बाद यूक्रेन पर ताडबतोड हमले तेज कर दिये।
इस पूरे प्रकरण का अगर कोई गुनाहगार है कि संयुक्त राष्ट्र संघ जो रूस को यूक्रेन पर हमला करने के लिये विवश करने वाले नाटो के विश्वघाती कृत्यों पर न केवल मूक दर्शक बना हुआ है अपितु वह यूक्रेन व नाटो को ही शह दे रहा है। उसने एक बार भी इस युद्ध के खलनायक नाटो गिरोह को रूस की तरह संयुक्त राष्ट्र व अपनी सहयोगी संस्थाओं के द्वारा अंकुश व डपट लगाने की रत्तीभर भी पहल न करके अपने दायित्वों से विमुख रहा। इससे पूरी दुनिया विनाशकारी युद्ध के कुण्ड में धंस गयी है। संयुक्त राष्ट्र ने नाटों द्वारा बलात रूस के पडोसी देशों में घुसकर रूस की घेराबंदी से न रोका व नहीं नाटो की शह पर रूस से युद्ध कर रहे यूक्रेन को डपट लगाई। न हीं यूक्रेन को हथियारों का अपार भण्डार देकर रूस से युद्ध भडकाने में लगे नाटों देशों की विश्वघाती कृत्यों पर किसी तरह की डपट लगाई। जबकि संयुक्त राष्ट्र को चाहिये कि वह यूक्रेन व रूस से युद्ध में हथियारों का सहयोग देने वाले देशों पर प्रतिबंद्ध की लगाने का काम करना चाहिये था। परन्तु संयुक्त राष्ट्र ने एकतरफा कहो या  नाटो को खुश करने वाले ही कार्य किये। गत माह अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने रूस यूक्रेन युद्ध में मारे गए लाखों लोगों के कत्लेआम व मानव अधिकारों के हनन का गुनाहगार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को ठहराते हुए उनको गिरफ्तार करने का विश्वव्यापी आदेश जारी कर दिया। अपने आदेश में न्यायालय ने कहा है कि वह युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार हैं, जिसमें यूक्रेन से रूस में बच्चों का अवैध निर्वासन भी शामिल है। परन्तु उसने ऐसा जेलेस्की के लिये यह फरमान जारी नहीं किया। नहीं विश्व में जबरन युद्ध कराने को  उतारू नाटो के लिये ऐसा फरमान जारी कराया। संयुक्त राष्ट्र इराक, लीबिया व मिस्र की तरह रूस यूक्रेन युद्ध में भी विश्व की सर्वोच्च संस्था के दायित्व का निर्वहन करने में न केवल पूरी तरह असफल रहा। अपितु वह नाटो  के हितों के प्रसारक के तौर पर कार्य करता रहा।
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय द्वारा उठाए गए इस कदम का जहां यूक्रेन के राष्ट्रपति जैलेंसकी सहित नाटो देशों ने खुलकर स्वागत किया।
वहीं रूस सहित अनेक देशों ने इसका पुरजोर विरोध किया। इस पर तीव्र प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए विश्व में मानवाधिकारों की पुरोधा व विश्व सरकार की प्रणेता देव सिंह रावत ने कहा कि
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने रूस यूक्रेन युद्ध के असली अपराधी जेलेंस्की व नाटो को छोड़कर अपने देश की रक्षा के लिए युद्ध करने वाले पुतिन को अपराधी बनाकर खुद को बेनकाब कर दिया है। क्या इस तथाकथित न्यायालय ने कभी इराक,लीबिया,मिस्र व सीरिया नरसंहार के अपराधी अमेरिका के खिलाफ कदम उठाए? श्री रावत ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय का ध्यान इस तरफ आकृष्ट किया है कि इस युद्ध को भड़काने में स्वयं यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की वह अमेरिका के नेतृत्व वाला नाटो संगठन ही असली गुनाहगार है जो संयुक्त राष्ट्र संघ के होते हुए विश्व की शांति भंग करने के लिए नाटो संगठन बनाकर रूस सहित विश्व की शांति को निरंतर भंग कर रहा है। यही नहीं रूस की अनेक चेतावनी के बावजूद यूक्रेन ने जिस प्रकार रूस विरोधी नाटो का सदस्य बनना का विनाशकारी निर्णय लिया वह और उसकी सुरक्षा के साथ विश्व के लिए सबसे घातक साबित हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने इस बात को भी नजरअंदाज किया कि इस युद्ध के प्रारंभ से लेकर अब तक रूस ने अनेक बार शांति प्रस्ताव यूक्रेन को भेजें परंतु अमेरिका और नाटो सदस्यों के उकसाने के बाद यूक्रेन ने उसके खिलाफ निरंतर जहर उगलना वह षड्यंत्र करना जारी रखा जिसे विवश होकर रूस को अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए युद्ध का विकल्प चुनना पड़ा। इस युद्ध में यूक्रेन के साथ 30 सदस्य नाटो लगातार बम गोला बारूद की आपूर्ति करके यूक्रेन को युद्ध की भट्टी में बलात झोंक रहा है। जिससे न केवल यूक्रेन तबाह हो गया है अभी तुम विश्व के अधिकांश देश महंगाई से त्रस्त हैं वहीं विश्व में तीसरे विश्वयुद्ध की विनाशकारी बादल मंडरा रहे हैं। इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र संघ सहित विश्व की तथाकथित वैश्विक संगठन शांति की बात करने की बजाय युद्ध को बढ़ावा देने के गुनाहगार नाटो सदस्यों की ही बोली बोल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय द्वारा जारी किया गया पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश इसी दिशा में नाटो का ही षड्यंत्र है।
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के कदम पर तीव्र प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए रूस ने कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय का फैसला कानूनी रूप से शून्य है, क्योंकि मॉस्को हेग स्थित अदालत के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है।
उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय ( आईसीसी या आईसीसीटी ) एक अंतरसरकारी संगठन और अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल है। जो द हेग , नीदरलैंड्स में स्थित है । अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के 123 देश सदस्य हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 9 दिसंबर 1999 को और फिर 12 दिसंबर 2000 को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय का समर्थन करने के लिए मतदान किया।
60 अनुसमर्थन के बाद, रोम संविधि 1 जुलाई 2002 को लागू हुई और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की औपचारिक रूप से स्थापना हुई।
परंतु रूस व चीन आदि अनेक देश इस न्यायालय को पक्षपाती मानकर इसकी सदस्यता ग्रहण नहीं की। इसलिए जो इस संस्थान के सदस्य नहीं है उन पर इस न्यायालय का कोई कानून लागू नहीं होगा। हां कमजोर जैसे देशों को यह प्राधिकरण आंखें दिखा सकता है परंतु रूस व चीन जैसे शक्तिशाली देशों के आगे यह मैमना ही बना रहेगा।
यह नरसंहार के अंतरराष्ट्रीय अपराधों , मानवता के खिलाफ अपराधों , युद्ध अपराधों और आक्रामकता के अपराध के लिए व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने का अधिकार क्षेत्र वाला पहला और एकमात्र स्थायी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय है । यह संयुक्त राष्ट्र के एक अंग, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से अलग हैजो राज्यों के बीच विवादों को सुनता है। जबकि न्याय की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में प्रशंसा की और अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों में एक नवाचार के रूप में आईसीसी को सरकारों और नागरिक समाज से कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जिसमें इसके अधिकार क्षेत्र पर आपत्तियां, पक्षपात और भेदभाव के आरोप शामिल हैं। इसकी प्रभावशीलता के बारे में संदेह। संयुक्त राष्ट्र संघ व उसकी अन्य संस्थाओं की तरह अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय भी अमेरिका के प्यादे के रूप में देखा जाता है क्योंकि जिस प्रकार से संयुक्त राष्ट्र संघ सहित तमाम वैश्विक संगठन अमेरिका व नाटो के कृत्यों पर मूक सादे रखते हैं। इससे इन्होंने अपनी विश्वसनीयता के साथ खिलवाड़ करने के साथ शेष विश्व की आशाओं पर वज्रपात ही किया। काश यह वैश्विक संगठन अपने दायित्वों का निष्पक्ष ढंग से निर्वहन करते तो आज इराक, लीबिया, मिस्र, सीरिया व यूक्रेन जैसे जघन्य जुल्म संसार को नहीं सहने पड़ते। तथा विश्व की शांति को रौंदने के गुनाहगार पाकिस्तान जैसे आतंकी देश बेशर्मी से संरक्षण नहीं देते।

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