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दिल्ली नजफगढ की दामिनी किरण नेगी व अंकिता भण्डारी के गुनाहगारों को सजा देने की मांग को लेकर
मातृभूमि सेवा पार्टी व सर्व समाज ने 12 मार्च 2023 को जंतर मंतर पर धरना दिया। इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं व उत्तराखंड समाज के अग्रणी लोगों ने भाग लिया। इस धरने के शुभारंभ में नजफगढ़ की दामिनी किरण नेगी के पिता कुंवर सिंह नेगी व माता श्रीमती माहेश्वरी नेगी ने दोषियों को सजा न दिये जाने के विरोध में अनशन पर बेठने से शुरू हुआ। धन धन रे की शुभारंभ से लेकर अंत तक “किरण नेगी अंकिता भंडारी के गुनाहगारों को फांसी दो, नरेंद्र मोदी पुष्कर धामी शर्म करो न्यायपालिका दायित्व निभाओ, दामिनियों के गुनाहगारों को फांसी दो” के गगनभेदी नारों से जंतर-मंतर गुंजायमान रहा।
धरने को संबोधित करते हुये मातृ भूमि पार्टी के अध्यक्ष सुधीर नेगी नए सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि किरण नेगी की दोषियों को शीघ्र सजा देकर अपने पूर्व में की गई दुखद फैसले का सुधार करके देश की आम जनता में न्यायालय की विश्वसनीयता बहाल करें। वहीं उन्होंने उत्तराखंड सरकार को आगाह किया कि अंकिता भंडारी के गुनाहगारों को संरक्षण देने की बजाय कड़ी सजा देने के दायित्व का निर्वहन करें। इस अवसर पर पार्टी के महासचिव कमल ध्यानी व सचिव अधिवक्ता महावीर सिंह फर्सवाण ने न्यायालय श्री शीघ्र न्याय करने का अनुरोध किया।
इस धरने को सफल बनाने में वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ कोषाध्यक्ष दयाल रावत, प्रेस सचिव कमल नेगी, दिल्ली प्रभारी-ललित सिंह, महिला अध्यक्ष -जयश्री,उपाध्यक्ष-राधा जी,विक्की नेगी, भीम नेगी, हरीश ध्यानी, संदीप नेगी, रविन्द्र नेगी, जीतेंद्र सिंह का महत्व पूर्ण योगदान रहा।
धरने का संचालन मातृभूमि सेवा पार्टी के महासचिव कमल ध्यानी व अध्यक्ष चार्टर्ड अकाउंटेंट सुधीर नेगी ने संयुक्त रूप से किया। धरना को संबोधित करने वालों में उतराखण्ड के वरिष्ठ आंदोलनकारी देवसिंह रावत, पंकज लंगुरिया, लक्ष्मी नेगी, माधव पांडे, गढवाल हितैषिणी सभा के अध्यक्ष अजय बिष्ट, रोशनी चमोली, प्रेमा ध्यानी, जगत सिंह बिष्ट, कुसुम कंडवाल आदि ने संबोधित किया।
धरने में सम्मलित होने वालों में अनिल पंत, सुनील नेगी, देवेंद्र बिष्ट, मंजू रतूडी, पंचम सिंह रावत, बृजमोहन सेमवाल, साहित्यकार रमेश घिड़ियाल, प्रताप थलवाल, पत्रकार अमर चंद व वेदानन्द सहित अनैक जागरूक लोग सम्मलित हुए
गौरतलब है कि दिल्ली नजफगढ की छावला कला कालोनी में रहने वाली दामिनी के साथ 9 फरवरी 2012 को हैवानों ने उस समय कार से जबरन अगवा किया जब वह 8.30 बजे रात को अपने घर की तरफ अपनी दो अन्य सहेलियों के साथ पैदल जा रही थी। हैवानों ने पैदल चल रही इन तीन लडकियों को जबरन छेडछाड करने का दुशाहस किया तो लडकियां बचने के लिए भागने लगी। दामिनी को हैवानों ने जबरन कार में बिठाकर भाग गये। उसके बाद इसकी शिकायत पीड़ित परिवार ने पुलिस से की तो भारी जनदवाब के बाद पुलिस ने 14 फरवरी को दामिनी की बेहद बुरी हालत में पड़ी लांश हरियाणा के खेतों से बरामद किया।गुनाहगारों की हैवानियत व जनता की पुरजोर मांग को देखते हुए द्वारिका कोर्ट ने गुनाहगारों को फांसी की सजा दी। उसे 2014 में उच्च न्यायालय ने भी अपनी मुहर लगाई। 2014 से यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है।
लोग इस बात से भी हैरान थे कि एक तरफ दिल्ली की दामिनी जिसके साथ 16दिसम्बर 2012 को हैवानियत की गयी थी, उसके गुनाहगारों को तो 20 मार्च 2020 को फांसी की सजा दे दी गयी। परन्तु दिल्ली दामिनी से कई माह पहले हैवानियत का शिकार हुई नजफगढ की दामिनी के गुनाहगारों को फांसी की सजा पर अंतिम मुहर सर्वोच्च न्यायालय नहीं लगा पाया। यह हर नागरिक को न्याय की समानता के सिद्धांत का खुला उलंघन है।
वही उतराखण्ड के रिषिकेश में सितम्बर 2022 को पौडी गढवाल के श्रीकोट की निवासी अंकिता भंडारी के गायब होने का मामला सामने आया। वह रिषिकेश से लगभग 12-13 किमी दूर चीला बैराज के निकट स्थित वनंतरा रिजोर्ट में स्वागतकर्मी के पद पर कार्यरत थी। उसके परिजनों द्वारा उसके गुमशुद्दी की रिर्पोट करने पर पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज करने में लगातार आनाकानी की गई और इस घटना के 72 घण्टे के बाद रिपोर्ट दर्ज हुई। इसके बाद 18 सितम्बर को अंकिता भण्डारी की निर्मम हत्या की जानकारी सामने आई और यह तथ्य सामने आया कि रिजार्ट में मौजूद एक अतिविशिष्ट व्यक्ति विशेष सेवा देने से इंकार किये जाने पर रिजार्ट के मालिक पुलकित आर्य ने अपने दो कर्मचारियों की मदद से इस निर्मम हत्या को जंजाम दिया। इस हत्या में शामिल मुख्य आरोपी पुलकित आर्य का पिता विनोद आर्य, भाजपा सरकार में पूर्व दर्जाधारी मंत्री रहा है और वर्तमान में भी उसका सत्ता से सीधा संबंध रहा है। इसलिए शुरूआत से ही इस मामले में प्रशासन और पुलिस की भाूमिका संदिग्ध रही है। घटना के पांच दिन बाद चीला नहर से प्राप्त युवती को जिस तरह से जल्दबाजी में जला दिया गया और घटना स्थल पर बुलडोजर चलाया गया, उससे सबूत नष्ट हो गए और कई सवाल अनसुलझे रह गए। संपूर्ण मामले को देखकर स्पष्ट है कि एक निर्दोष युवती की निर्मम हत्या को कमजोर और लचर जांच सबूतों को नष्ट कर हत्यारों को बचाने के प्रयास हो रहे हैं।
पार्टी के प्रेस सचिव कमल नेगी के अनुसार इस बर्बर अत्याचार की शिकार हुई दोनों पीड़ितों के परिजनों को न्याय देने की मांग को लेकर 12 मार्च 2023 को राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन धरना प्रारंभ किया गया था। परंतु बाद में पुलिस प्रशासन ने यहां निरंतर धरने की इजाजत न देने का फरमान सुनाया। इसके बाद सायंकाल धरना आयोजकों ने 13 मार्च को पुनः धरना देने का ऐलान करके आक्रोशित होकर चले गए।