23 जनवरी 2023 नई दिल्ली से पसूकाभास/ प्यारा उत्तराखंड डॉट कॉम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भारतीय भाषा आंदोलन ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के बारे में भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई.चंद्रचूड़ के विचार की सराहना की है।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया;
‘हाल ही में आयोजित एक समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की आवश्यकता के बारे में चर्चा की। उन्होंने इसके लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने का सुझाव भी दिया। यह एक प्रशंसनीय विचार है, जिससे अनगिनत लोगों, विशेषकर युवाओं को काफी मदद मिलेगी।’
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा,
‘भारत में अनगिनत भाषाएं हैं, जो हमारी सांस्कृतिक जीवंतता को काफी हद तक बढ़ा देती हैं। केंद्र सरकार भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए अथक प्रयास कर रही है, जिसमें इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे विषयों को संबंधित विद्यार्थियों की मातृ भाषा में पढ़ने का विकल्प देना भी शामिल है।’
वहीं भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने देश के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को भारतीय भाषाओं में जारी करने के विचार का खुले दिल से स्वागत किया। श्री रावत ने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि देश की न्यायालय में अंग्रेजों से मुक्ति के बाद 1947 से ही सारा कामकाज भारतीय भाषाओं में होना चाहिए था। परंतु देश का दुर्भाग्य है कि आजादी के 75 साल बाद भी देश के सर्वोच्च न्यायालय में आज भी भारतीय भाषाओं में न्याय होने की बजाए उन्हीं अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजी में न्याय का कार्य होता है जिन्होंने देश को 200 सालों तक गुलाम बनाया, लाखों भारतीयों का कत्लेआम किया और इस देश को बर्बरता से लूटा।
उल्लेखनीय है कि भारतीय भाषा आंदोलन कई वर्षों से देश की न्यायपालिका, कार्यपालिका व विधायिका को भारतीय भाषाओं से संचालित करने के लिए आंदोलनरत है। देश की संसद से लेकर, देश की लोकशाही के कुरुक्षेत्र राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर व प्रधानमंत्री कार्यालय तक भारतीय भाषा आंदोलन के अध्यक्ष देव सिंह रावत व उनके साथियों ने निरंतर अलख जगाई हुई है। कोरोना काल से ही भारतीय भाषा आंदोलन प्रतिदिन प्रधानमंत्री के इंटरनेट खातों में हर रोज शिक्षा, रोजगार, न्याय व शासन भारतीय भाषाओं में प्रदान करने की मांग कर रहा है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शर्म की बात है कि अभी तक इस दिशा में कोई कार्य नहीं किया गया। इस स्थिति को देखते हुए देश के मुख्य न्यायाधीश द्वारा भारतीय भाषाओं को आत्मसात करने की दिशा में विचार करना एक सकारात्मक कदम है तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार, भारतीय भाषाओं के उत्थान के लिए कार्य करेगी, इसकी भी आशा भारतीय भाषा आंदोलन को है।
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