उत्तराखंड देश

अंकिता भण्डारी के बडे गुनाहगार का नाम उजागर कर सजा दिलाने की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के देहरादून धरने में उमडे लोग  

प्यारा उतराखण्ड डाट काम
अंकिता भण्ड़ारी हत्याकांड़ के कई माह बाद भी इस काण्ड के एक बडे नामी गुनाहगार को बचाने के प्रदेश सरकार के कृत्य से जहां पूरा उतराखण्ड उद्देल्लित हो कर प्रदेश सरकार को धिक्कार रही है वहीं प्रदेश सरकार की न्याय का गला घोंटने वाले इस प्रवृति के खिलाफ उतराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने देहरादून के  गांधी पार्क के गेट के बाहर 24 घण्टे के अखण्ड धरने पर बेठ गये। इसमें बडी संख्या में युवाओं, महिलाओ, बुजुर्गों, कांग्रेसी सहित अन्य राजनैतिक दल से जुडे जागरूक लोगों ने कडाके की ठण्ड में भाग लिया। लोग इस प्रकरण पर प्रदेश सरकार की इस बेशर्मी पर उसे धिक्कार रहे थे और हरीश रावत के इस कदम की मुक्त कंठो से सराहना कर रहे थे। अंकिता भण्डारी को न्याय दो, गुनाहगार को छुपाओ नहीं अपितु दण्ड दो के नारों से धरना पूरे समय गुंजायमान रहा।  वहीं इस धरने में भाकपा के समर भण्डारी, उक्रांद के काशी सिंह ऐरी, प्रदेश के चिंतन एस एस पांगती व राज्य गठन आंदोलनकारी प्रकाश थपलियाल आदि नेताओं के सम्मलित होने की सराहना कर रहे थे और प्रदेश कांग्रेस के गुटबाज नेताओं के सम्मलित न होने की संकीर्ण राजनीति पर ही प्रश्न चिन्ह लगा रहे थे। इस धरने में जहां कांग्रेसी पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, पूर्व मंत्री गोविन्द कुंजवाल, हीरा सिंह बिष्टॉ मंत्री प्रसाद नैथानी,सतपाल ब्रह्मचारी, संगठन महामंत्री विजय सारस्वतॉ राजपाल खरोलाॉ  पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत, आदि नेता सम्मलित हुये
धरने में सम्मलित लोगों ने इस बात पर गहरा आक्रोश प्रकट किया कि अंकिता हत्याकांड के तीन माह बीत जाने के बावजूद इस प्रकरण में लिप्त तथाकथित बडे गुनाहगार का नाम प्राथमिकी तक उजागर नहीं कर रही हैै। इस प्रकरण में सत्तारूढ दल के नेताओं की संलिप्तता को देखते हुये प्रदेश की जनता शुरू से ही इसकी जांच हाईकोट की देखरेख में केंद्रीय जांच व्यूरो से कराने की मांग कर रही है। परन्तु सरकार जनभावनाओं को दर किनारे करके अपने पुलिसिया तंत्र की एसआईटी करा कर एक प्रकार से गुनाहगार तक का नाम उजागर तक नहीं कर पायी। जिससे लोगों की आशंका सच साबित हुई। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा भाजपा सरकार में उत्तराखण्ड की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। इसका शिकार अंकिता भण्डारी जैसी बेटी को भुगतना पडा। यमकेश्वर ब्लाक के वनंतरा रिजॉर्ट में घटित अंकिता हत्याकांड जैसी घटना से उत्तराखंड राष्ट्रीय पटल पर शर्मसार हो गया है। अंकिता को उसकी मौत से १५ दिन पहले भाजपा सरकार में राज्य मंत्री रहे डा. विनोद आर्य के रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के पद पर नौकरी में लगाई गई थी। विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य ने मानसिक उत्पीडन किया। किसी वीआईपी के लिये  दबाव डाला। राज खुलने के डर से अंकिता को चीला नहर फेंक दिया गया। घटना के तीन माह बीत जाने के बाद भी उत्तराखण्ड सरकार और पुलिस प्रशासन मामले की लीपापोती में जुटे हैं। रावत ने अंदेशा जताया कि कहीं न कहीं जिस वीआईपी को बचाने का ऐडईीदृचोटी का जोर लगाया जा रहा हैॉ वह इतना बडा नाम है कि उसका खुलासा करने से भाजपा को बेनकाब होने का डर है। हरीश रावत ने कहा कि अंकिता हत्याकाण्ड में बहुत सारे सवाल उलझे हुए हैं। बहुत से सवाल अनुउत्तरित हैं। रिजॉर्ट में बुलडोजर किसके आदेशों से चलाया गया और क्यों चलाया गया। रिजॉर्ट को सील क्यों नहीं किया गया। रिजॉर्ट में पुलिस/प्रशासन की मौजूदगी में दो बार आग कैसे लगी। क्या इस लापरवाही के लिए किसी की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की गई। उन्होंने कहा कि भाजपा शासन में न तो बच्चियां सुरक्षित हैं और न महिलाएं।अपने 24 घण्टे के इस धरने के बारे में इंटरनेट से प्रदेश की जनता को संदेश देते हुये पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लिखा कि आज मैं गांधी पार्क देहरादून में 24 घंटे के रुधरने पर बैठा हूं।
हे ईश्वर, हे केदार बाबा,हे बद्री विशाल
अंकिता भंडारी की आत्मा को न्याय दो।
हे सरकार हमारी बेटी की आत्मा को न्याय दिलाने का विकल्प बनाएं।।
बेटियां मांगे न्याय।
अंकिता के बलिदान से उत्तराखंड का भावनात्मक जुड़ाव इस तथ्य से स्पष्ट हो जाता है कि केवल फेसबुक पर धरने का उल्लेख करने से मात्र हजारों भाई-बहन गांधी पार्क में अपनी एक जुटता जारी करने आए हैं, कुछ लोग एक-एक, दो-दो मिनट के लिए आए मगर चंद शब्दों में …अपनी भावना का गागर उड़ेल गए। रात देर तक बहनों को हटाने में मुझे बड़ी कोशिश करनी पड़ी 60-70 साल के महिला-पुरुष जो रुग्ण भी है वो भी धरना स्थल पर आए। रात कई लोग धरना स्थल पर भी मेरे साथ सोए, बेटा अंकिता ये उत्तराखंड के लोगों का तुम्हारे बलिदान के साथ समर्पण है।
मुझे विश्वास है कि आगे भी उत्तराखंडी संघर्ष का यह क्रम थमेगा नहीं। हमारी अस्मिता से खिलवाड़ करने की सोच, इस संघर्ष के साथ दफन होगी, हमारा यह धरना सरकार के खिलाफ नहीं, हां भाजपा ने जरूर इसे अपने खिलाफ मान लिया है। खैर जाकी रही भावना जैसी………।
गांधी पार्क देहरादून में धरना स्थल पर श्री प्रदीप टम्टा जी व अपने अन्य साथियों के साथ रुकालेऋभट्ट को तवे में भूनकर और रुगडेरी को आग में भूनकर उनका स्वाद लिया।
हमारे इस 24 घंटे के धरने को समर्थन देने के लिए मैं सभी लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं और मीडिया ने भी आवश्यक महत्व दिया उनका भी मैं बहुत धन्यवाद करता हूं और भाजपा को भी धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने यह सिद्ध कर दिया अपने बयानों से कि वो वीआईपी को बचाने में ..।
प्रदेश में घटित हुये इस शर्मनाक प्रकरण पर जहां देश विदेश के लाखों लोगों ने प्रदेश सरकार की निर्लज्जता की कड़ी निंदा की वहीं हरीश रावत के इस कार्य की सराहना करते हुये प्रदेश के लोगों को दलगत राजनीति से उपर उठ कर इस काण्ड के गुनाहगार को बेनकाब कर दण्डित करने के लिये निरंतर आंदोलन तेज करने का आवाहन किया।

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