देश

कांग्रेस का अध्यक्ष चुनाव बना भाजपा आदि दलों के लिए  गले की हड्डी

खडगे को अध्यक्ष बना कर कांग्रेस ने जीती आंतरिक लोकतंत्र की बाजी 

 
देवसिंह रावत

आज 19 अक्टूबर 2022 को भारतीय लोकशाही के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय तब जुड गया, जब देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के  संगठनात्मक चुनाव में मल्लिकार्जुन खडगे को ऐतिहासिक विजय मिली। भले ही 24 साल बाद कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष गांधी नेहरू परिवार से बाहर के नेता ने संभाली हो। राजनेतिक दल भले ही इसे गांधी नेहरू परिवार से बाहर के नेता को कांग्रेस की कमान मिलने के नजरिये से देखें परन्तु लोकतंत्र की दृष्टि से यह भारत के अंग्रेजों के जाने के बाद के इन 75 सालों के इतिहास की एक बड़ी घटना है कि देश के राजनैतिक दल भले ही लोकसभा, विधानसभा व पंचायती स्तर के चुनाव में अपने प्रत्याशी खडा करके चुनावी जंग में भाग लेते हों। परन्तु देश में लोकशाही के इन तथाकथित झण्डेबरदारों के संगठन में आंतरिक लोकतंत्र नाम की कोई चीज कहीं दूर दूर तक नहीं है। यहां पर अधिकांश राजनैतिक दलों में परिवारों या मातृ संस्था का बर्चस्व होता है। इनके द्वारा थोपे व्यक्ति को ही इन दलों की कमान होती है। यही नहीं इन परिवार या इनकी मातृ संगठन द्वारा थोपे व्यक्ति को ही लोकसभा, विधानसभा व जिला पंचायतों के अध्यक्षों की कमान होती है। इसके साथ इन चुनावों में कोन इन दलों के प्रत्याशी होंगे इसका चयन भी प्रायः परिवार या मातृ संस्था ही करती है। इन तमाम दलों में आंतरिक लोकतंत्र न के बराबर है। इसके बाबजूद ये एक दूसरे दलों पर परिवार व मातृ संगठन के द्वारा संचालित किये जाने का आरोप लगाती रहती है।
इन्हीं आरोपों से बेहद परेशान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व नेहरू गांधी परिवार के वर्तमान कर्णधार राहुल गांधी ने तमाम कांग्रेसी नेताओं व कार्यकत्र्ताओं द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर आसीन होने की पुकार को ठुकरा कर कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र का शंखनाद किया। इसी कारण विवश होकर कांग्रेस को राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव कराने के लिए विवश होना पडा। अब कांग्रेस के आंतरिक चुनाव सम्पन्न होने के बाद देश के कांग्रेस के अलावा तमाम राजनैतिक दलों में भी आंतरिक संगठनात्मक चुनाव कराने का नैतिक दबाब बढ गया हे। अब ये दल जो कल तक कांग्रेस को परिवारवाद के आरोप लगाकर उपहास उडाते थे अब उनको अपने अपने दलों में संगठनात्मक चुनाव कराने का दवाब बढ़ गया। भले ही दिखावा हो परन्तु इसी राह में भारतीय राजनैतिक दलों के अंदर लोकशाही को फलने फूलने का अवसर मिलेगा। हालांकि इन दलों की संरचना व आदत देख कर यह अभी दूर की का सफर नजर आ रहा है। परन्तु यह एक प्रकार से भारतीय लोकशाही के लिए एक जीवनदायनी पहल होगी। इस चुनाव से कांग्रेस भले ही अपने विरोधियों के परिवारवाद के आरोपों से दूर हो गयी परन्तु अब कांग्रेस का यह कदम इन आरोप लगाने वाले दलों के लिए भी गले की फांस बन गया है।
नव निर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे को कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए 9915 मतदाताओं में से 7897 मत मिले। जबकि उनके एकमात्र प्रतिद्धंदी शशि थरूर को 1072 मत मिले। इस प्रकार खडगे ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष की जंग 6825 मतों के भारी अंतर से हराया। इस चुनाव के अधिकारी मधुसूदन मिस्त्री द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार इस चुनाव के लिए 9915 ने 17अक्टूबर 2022 को देशभर में 67 मतदान केंद्रो में 96 प्रतिशत यानी 9389 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।  अमान्य मतों की संख्या 416 थी।
कांग्रेस द्वारा इस चुनाव को संपन्न किये जाने पर प्रधानमंत्री मोदी ने नव निर्वाचित कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को ट्वीट कर कांग्रेस का अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई दी। परन्तु कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर आंतरिक चुनाव कराये जाने के बाद सबसे बडा दवाब प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा पर है कि वह भी अपने दल में आंतरिक चुनाव करके दिखायें

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