उतराखण्ड में हुक्मरानों द्वारा सरकारी नियुक्ति मे 22 सालों से की जा रहीं अंधेरगर्दी के खिलाफ देहरादून की सडकों में उमडा आक्रोशित बेरोजगार युवाओं का रैेला
प्यारा उतराखण्ड डाट काम
उतराखण्ड में आम बेरोजगारों को रोजगार देनेे के बजाय ठेंगा दिखाकर राज्य गठन के बाद की सरकारों मे सत्तासीन तथाकथित जनसेवकों द्वारा अपने परिजनों व प्यादों को नियुक्तियों की बंदरबांट करने के खिलाफ उतराखण्ड का आक्रोशित युवा आज 7 सितम्बर 2022 को देहरादून की सडकों पर उतरने से देहरादून से लेकर देश की राजधानी दिल्ली के सत्ता प्रतिष्ठानों में हडकंप मच गया है। सरकारी नौकरियों की बंदरबांट में बुरी तरह घिरी प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री पुुष्कर धामी ने युवाओं के आक्रोश पर मरहम लगाने के लिए तुरंत प्रदेश में लंबित नियुक्तियों की परीक्षाओं का आयोजन करने के लिए भ्रष्टाचार के कारण बुरी तरह बदनाम हो गये अधीनस्थ सेवा आयोग के बजाय लोक सेवा आयोग या अन्य संस्था से कराने के लिए मंत्रीमण्डल शीघ्र निर्णय लेने का ऐलान किया। इसके साथ मुख्यमंत्री धामी पर भी इन परिजनों व प्यादों को बांटी गयी रेवडियों के दायरे में घिरे नजर आये। प्रदेश में विगत 22 साल के अधिकाशं विधानसभा अध्यक्ष से लेकर अधिकांश मंत्री विधायक इन बंदरबांट करने के आरोपों से एक प्रकार से जनता की नजरों में कटघरे में घिरे हैं। ये नेता प्रदेश के हितों को रौदते हुए अपने परिजनों को राजनीति व सरकारी सेवाओं में स्थापित करने में लगे है। जिस प्रकार से अधीनस्थ सेवा आयोग की स्नातक स्तर की भर्ती में फूटा भ्रष्टाचार का गुब्बारा पूर्व विधानसभा अध्यक्षों के कार्यकाल में प्रदेश के मंत्री व विधायकों के परिजनों व प्यादों को नियमों की अवेहलना करके नियुक्तियां प्रदान की गयी। वह एक प्रकार से जनता की नजरों में सीधा भ्रष्टाचार है। प्रदेश के लाखों बेरोजगार व आम जनता स्तब्ध है। इसके साथ देश की जनता भी उतराखण्ड में हुई इस भारी अनिमियता से हैरान है।ं यही नहीं प्रदेश के लाखों उन बेरोजगार युवाओं की आशाओं पर बज्रपात सा हो गया जो सालों से सरकारी सेवाओं में नियुक्ति की आशाओं ंसे प्रदेश के कस्बों में परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे है। प्रदेश में लोकशाही के नाम पर जनसेवकों द्वारा जनता की हितों पर डाले गये सीधे डाका से जनता आक्रोशित है। इसी आक्रोश का एक हल्का नमुना देहरादून में तब देखने को मिला जब उतराखण्ड बेरोेजगार संघ के आवाहन पर 7 सितम्बर को परेड ग्राउंड पर हजारों की संख्या में युवाओं ने इस खुली लूट के खिलाफ प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन का आवाहन उतराखण्ड बेरोजगार संघ ने किया था। भले ही राजनैतिक लोग भी बेरोजगारों के समर्थन देने प्रदर्शन में सम्मलित हुए। परन्तु बेरोजगार इस बात से आहत थे कि इन दलों ने अपने कार्यकाल में जिस प्रकार से बेरोेजगारों को रोेजगार देने के बजाय अपने परिजनों व प्यादों को नियुक्ति प्रदान की उससे युवाओं में भारी आक्रोश है। सुत्रों के अनुसार यह प्रदर्शन कुछ ही समय बाद राज्य भर में जनांदोलन का रूप ले सकता है। उल्लेखनीय है 6 सितम्बर को भी बेरोजगारों के हितों पर नेताओं द्वारा खुलेआम डाका डालने के खिलाफ अनैक संगठनों से जुडे समाजसेवियों ने विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन किया था। उसके अगले ही दिन यानी आज 7 सितम्बर को हजारों की संख्या में बेरोजगार युवाओं का सडकों पर उतरने से साफ हो गया कि प्रदेश का युवाओं का सत्ता में आसीन राजनेताओं से विश्वास उठ गया है। वे ठगे महसूस कर रहे हैं।