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उत्तराखंड राज्य गठन आंदोलनकारी व वरिष्ठ समाजसेवी करण बुटोला को पितृ शोक

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उत्तराखंड राज्य गठन आंदोलन के वरिष्ठ आंदोलनकारियों व समाजसेवी करण बुटोला के 88 वर्षीय पूज्य पिताजी हुकम सिंह बुटोला का आज 15 अगस्त 2022 को निधन होने से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के राज्य गठन आंदोलनकारियों और सामाजिक संगठनों में गहरा शोक छा गया।उनका अंतिम संस्कार अब से कुछ देर बाद दोपहर 2:00 बजे यमुना के पावन तट निगमबोध घाट में किया गया।
दिल्ली के मयूर विहार क्षेत्र के निवासी करण बुटोला का पैतृक गांव रुद्रप्रयाग जनपद डूंगरी_ दश्जुल्ला के मूल निवासी हैं ।
उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए निगमबोध घाट पर अंतिम विदाई देने वालों में उत्तराखंड आंदोलन के शीर्ष आंदोलनकारी नेता उत्तराखंड महासभा के अध्यक्ष हरिपाल रावत, उत्तराखंड संघ संघर्ष समिति के केंद्रीय प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप, उत्तराखंड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देव सिंह रावत, पूर्व अध्यक्ष व उत्तराखंड वरिष्ठ रंगकर्मी खुशहाल सिंह बिष्ट, कांग्रेसी नेता लक्ष्मण रावत व दिल्ली प्रदेश पर्वतीय सेल कांग्रेस  के अध्यक्ष गोपाल सिंह रावत, आम आदमी पार्टी के पर्वतीय  प्रकोष्ठ के अध्यक्ष बृज मोहन उपरेती, भाजपा नेता इंजीनियर गुसाईं, वरिष्ठ समाजसेवी महावीर सिंह राणा, गंगोत्री संस्था के अध्यक्ष गंभीर सिंह नेगी, गढ़वाल हितेषणी सभा के अध्यक्ष अजय बिष्ट, महासचिव द्वारिका प्रसाद भट्ट वरिष्ठ पदाधिकारी अनिल पंत, आंदोलनकारी रामेश्वर गोस्वामी, किशोर रावत, समाजसेवी मोहन जोशी, साहित्यकार पृथ्वी सिंह केदारखंडी आदि ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की एवं शोकाकुल करण बुटोला परिवार को अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। दिवंगत बुटोला जी के निधन पर  उत्तराखंड के वरिष्ठ समाजसेवी महेश चंद्र,विनोद नेगी आदि ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

ल्लेखनीय है कि उत्तराखंड राज्य गठन आंदोलन में करण बुटोला उनके बड़े भाई सुदर्शन बुटोला दोनो ही हरिपाल रावत के नेतृत्व वाले उत्तराखंड महासभा के वरिष्ठ आंदोलनकारी थे। बंगलुरु में सेवारत सुदर्शन बुटोला आज वायु सेवा उपलब्ध न होने के कारण अपने पिता के अंतिम संस्कार में सम्मलित होने के लिए  दिल्ली नहीं पहुंच पाये। जो राज्य गठन की प्रारंभिक दौर से लेकर राज्य गठन तक समर्पित रहे । राज्य गठन के बाद भी उत्तराखंड के हितों के लिए दिल्ली में उत्तराखंड की समाज को एकजुट करने के लिए सदैव समर्पित रहते हैं।  अपने पिताजी के निधन पर करण बुटोला ने बताया कि आज सुबह मैंने जब उन्हें स्नान कराया तो स्नान कराते समय ही उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। श्री बुटोला ने बताया कि 3 दिन बाद ही उनका अट्ठासीवां जन्मदिन मनाने की तैयारी परिवार कर रहा था परंतु विधि का  विधान ही कुछ और था।

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