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एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने ली उप मुख्यमंत्री की शपथ!

महाराष्ट्र में भाजपा नेतृत्व का चैंकाने वाला फेसला

देवसिंह रावत
आज सांय 7.34 पर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राजभवन में एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस को उपमुख्यमंत्री की शपथ दिला कर तमाम अटकलों पर विराम लगाया। भले ही शपथ ग्रहण करने समय जहां शिंदे के चेेहरे पर प्रसन्नता साफ झलक रही थी परन्तु देवेंद्र के चेहरे पर प्रसंन्नता गायब थी।
एक सप्ताह से महाराष्ट्र में चल रहे सत्ता संघर्ष में 30 जून 2022 की दोपहरी से सांयकाल तक  भाजपा आलानेतृत्व ने शिवसेना के विद्रोही गुट के नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने व आज सुबह तक मुख्यमंत्री के एकमात्र दावेदार समझे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस को उपमुख्यमंत्री बनाने का बहुत ही नाटकीय ढ़ग से किया। भाजपा नेतृत्व द्वारा यह ऐसा नाटकीय दाव चलाया कि जिसने भी सुना व देखा उसे विश्वास नहीं हुआ। न केवल महाराष्ट्र सहित  भाजपा के अधिकांश राजनेता व एकनाथ शिंदे भी भौचंक्के रह गये। अपितु शिंदे गुट सहित विरोधी दलों को भी विश्वास नहीं हुआ।
इन सब घोषणाओं के पीछे भी असली रणनीतिकार ‘यानि भाजपा के चाणाक्य समझे जाने वाले अमित शाह कहीं सामने नहीं आये। आज दोपहरी में एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने का ऐलान खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के एकमात्र दावेदार समझे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने किया। कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।  वे आज शाम 7.30 बजे सीएम पद की शपथ लेंगे। देवेंद्र फडनवीस के इस ऐलान से भाजपा सहित सभी राजनेता भौचंक्के रह गये। क्योंकि शिवसेना नेेतृत्ववाली  उद्धव ठाकरे सरकार के इस्तीफे से यह तय माना जा रहा था कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री होंगे और एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री होंगे।  लेकिन खुद को सत्ता से बाहर रहने का ऐलान करने वाले देवेंद्र फडनवीस को इस बात का भान भी नहीं था कि भाजपा नेतृत्व उनको मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गौर की तरह उपमुख्यमंत्री के पद पर आसीन करने का आदेश दे सकती है।
फडनवीस के ऐलान के एक घण्टे के अंदर ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने ऐलान किया कि देवंेंद्र फडनवीस को शिंदे सरकार में उप मुख्यमंत्री का दायित्व निर्वहन करना चाहिए। इसके साथ नड्डा ने साफ किया कि यही भाजपा नेतृत्व की इच्छा है। माना जा रहा है कि भाजपा ने ??यह दाव अपनी छवि को साफ करने के लिए किया। क्योंकि भाजपा पर आरोप लग रहा था कि उसने शिवसेना की सरकार को गिराया। इसके साथ भाजपा व संघ की राजनीति के मर्मज्ञों का मानना है कि हो सकता भाजपा को एकक्षत्र राज करने के लिए उसे भी हिंदू महासभा की तरह अंकुश में रखने के लिए यह दाव खेला गया। जिस प्रकार से भाजपा के पूर्व सहयोगी अकाली व शिवसेना आदि आरोप लगाती है कि भाजपा अपने सहयोगियों को भी कांग्रेस की तरह ही कमजोर करने का काम करती है। यह तो समय ही बतायेगा कि भाजपा की रणनीति कहां तक सफल होती है।
अब एक नजर डालते है महाराष्ट्र के नये मुख्यमंत्री शिंदे पर,  9 फरवरी 1964 को महाराष्ट्र सतारा जिले के पहाड़ी जवाली तालुका में मराठी समाज में जन्में एकनाथ शिंदे ने 11वीं कक्षा तक ठाणे में ही पढ़ाई की । गरीब पृष्ठभूमि के कारण वे पढ़ाई करने के बजाय परिवार के जीविकोपार्जन के लिए ऑटो रिक्शा चलाने लगे । इसके बाद उनका रूझान राजनीति की तरफ बढ़ा वे शिव सेना से जुडे। वहां उनको ठाणे इलाके में शिवसेना के दिग्गज नेता आनंद दीघे का संरक्षण मिला। दीघे के आशीर्वाद से ही वे 1997 में ठाणे महानगर पालिका से पार्षद बने, उसके बाद 2001 में नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता बने।  सन 2002 में दूसरी बार निगम पार्षद बने।  तीन साल तक मजबूत स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य भी रहे  । इसके बाद वे कोपरी-पंचपखाड़ी सीट से साल 2004 में पहली बार विधायक भी बने। इसके बाद  2009, 2014 और 2019 में भी विधायक बने। आज वे सम्पन्न जीवन यापन कर रहे है। शिवसेना में नारायण राणे व राज ठाकरे के छोडने के बाद वे उद्धव ठाकरे के सबसे करीबी व विश्वासी नेता बन गये। उद्धव ठाकरे 2019 में उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे परन्तु उनके नाम पर राकांपा व कांग्रेस के विरोध के कारण उनके अरमानों पर पानी फिर गया। हालांकि उनके समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में प्रचार कर रहे थे। बाद में उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने पर वे मौन साध गये। परन्तु अंदर से वे बहुत व्यथिथ थे। शायद इसी दुखती रग पर हाथ रख कर भाजपा नेतृत्व ने उनको शिवसेना की उद्धव सरकार को अपदस्थ करने को तैयार किया। वह भी हिंदुत्व व बाला साहब ठाकरे के नाम पर। शायद शिंदे को मुख्यमंत्री बना कर भाजपा पूरे देश में मजबूत संदेश देना चाहती है। जिससे 2024 के लोकसभा चुनाव में काफी लाभ होगा।
वहीं अपना इस्तीफा देते हुए उद्धव ठाकरे से एकनाथ व उनके साथियों पर विश्वासघात का आरोप लगाया। क्योंकि 2019 में एकनाथ को विधायक दल का नेता भी उद्धव ठाकरे ने ही बनवाया था। वे उन्हे मुख्यमंत्री भी बनाना चाहते थे। परन्तु जब भाजपा के दाव से उद्धव चित हुए तो वे इसे विश्वासघात बता कर गमगीन रहे।

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