देव सिंह रावत
कई भाजपा के नेता व अंधभक्त कार्यकर्ता कर्नल कोठियाल के भाजपा में सम्मलित होने से डरे हुए हैं। इसी सप्ताह जैसे ही कर्नल कोठियाल ने आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया उसके बाद जो अपुष्ठ खबरें उत्तराखंड के राजनीतिक क्षतिज पर उभर कर सामने आई, उसके अनुसार ऐसी अटकलें लगाई जा रही है कि कर्नल कोठियाल भारतीय जनता पार्टी में सम्मलित हो सकते हैं।
इन अपुष्ट खबरों से ही भारतीय जनता पार्टी के हवाई नेताओं के चेहरे खेल रंग उड़ गए। भाजपा के कई हवाई नेताओं को लगता है कि कर्नल कोठियाल कहीं उनके मुख्यमंत्री बनने के मार्ग में पुष्कर सिंह धामी की तरह अवरोधक न बन जाए। इसी आशंका से वे और उनके चमचे इंटरनेट की दुनिया में उनके भाजपा में सम्मलित होने का विरोध कर रहे हैं।
ये जड़ मूर्ख इतना नहीं जानते हैं है कि यह मोदी और अमित शाह की वह भाजपा है जो हर मजबूत नेता को अपने संगठन में सम्मलित कर भाजपा को मजबूत बनाने व विरोधी को रसातल में धकेलने के लिए कार्य कर रहे हैं। वे यह भूल जाते हैं की उत्तराखंड में केदारनाथ त्रासदी के समय गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पद आसीन वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी को केदारनाथ धाम में आने से रोकने वाले तत्कालीन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को भी मोदी जी ने पूरे सम्मान के साथ भाजपा में सम्मिलित किया और उनके सुपुत्र सौरभ बहुगुणा को वर्तमान उत्तराखंड सरकार में मंत्री भी के पद पर आसीन किया। भले ही भाजपा कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाती हो परंतु मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा ने वह गुना के सुपुत्र सौरभ बहुगुणा व खंडूरी की सुपुत्री रितु खंडूरी को वर्तमान उत्तराखंड सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन किया।
उल्लेखनीय है कि कर्नल कोठियाल भारतीय सेना के कीर्ति चक्र से सम्मानित जांबाज़ बहादुर सेना अधिकारी रहे। उन्हें उत्तराखंड के नवयुवकों को सेना में भर्ती करने के लिए योग्य प्रशिक्षण देने के लिए उत्तराखंड के नौजवानों में काफी सम्मान अर्जित है। शायद इसी कारण सैनिक बाहुल्य क्षेत्र उत्तराखंड में तेजतरार राजनेता केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी की तरफ से सन 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री का प्रत्याशी घोषित किया था। परंतु केजरीवाल वह उसकी पार्टी के नकारे पन के कारण उत्तराखंड की जनता ने कर्नल कोठियाल सहित आम आदमी पार्टी को चुनावी जंग में बुरी तरह से सफाया कर दिया। लोगों की पसंद कर्नल कोठियाल तो थे, परंतु लोग यह भी कह रहे थे कि आप गलत पार्टी में सम्मलित हो गए हैं। चुनाव के बाद काफी चिंतन मंथन के बाद व आम आदमी पार्टी की उत्तराखंड विरोधी राजनीतिक को देखते हुए शायद कर्नल कोठियाल ने आम आदमी पार्टी से पल्ला झाड़ने का निश्चय किया।
मुझे पूरी आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास भी है कि एक वीर सैनिक की तरह कर्नल कोठियाल राजनीति क्षेत्रों में विगत 22 सालों में हो रही उत्तराखंड की दुर्दशा को देखकर शायद ही घर में बैठेंगे ।वह राजनीति की जंग के मैदान में वीर बहादुर जवान की तरह डटे रहेंगे। उत्तराखंड के वर्तमान तमाम नेताओं को देखकर यह लगता है हरीश रावत के बाद कर्नल कोठियाल ही उत्तराखंड की माटी से निकला हुआ एक लाल साबित हो सकता है जो उत्तराखंड के दर्द को दूर करने के लिए राजनीति में सत्ता मद में चूर नहीं रहेंगे। वह जातिवाद व क्षेत्रवाद के साथ दलीय राजनीति के संकीर्ण दलदल में फंसे उत्तराखंड को परमार व वीरभद्र की तरह आदर्श हिमाचल बनाने का भागीरथ प्रयास अवश्य करेंगे।
मेरा भाजपाई नेताओं से एक ही निवेदन है कि कन्नल कोठियाल से डरने की जरूरत नहीं है ।
अभी कोठियाल का कद बहुत बड़ा नहीं है जो वे और नेताओं के मार्ग में अवरोधक बनेंगे?
कोठियाल, भाजपा के अनुशासित संगठन को कोई खतरा नहीं ,अपितु सहयोगी ही होगा। जब खंडूरी, महाराज, बहुगुणा, हरक सिंह रावत व यशपाल आर्य जैसे बड़े नेता भारतीय जनता पार्टी को खतरा नहीं बन सके तो कोठियाल क्या खतरा बनेगा ? भाजपा,कोई कांग्रेस नहीं, यहां तो आला नेतृत्व को छोड़कर सभी पार्टी में कहार होते हैं ध्वजवाहक नहीं। भाजपा नेतृत्व को चाहिए कि कर्नल कोठियाल को तुरंत पूरे सम्मान के साथ भारतीय जनता पार्टी में सम्मलित करके 2024 में पुनीत देश में मोदी को अभूतपूर्व बहुमत से तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए समर्पित होकर कार्य करें।