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सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार की बड़ी जीत, SC ने उत्तराखंड के चारधाम ऑल वेदर रोड के 10 मीटर चौड़ीकरण की अनुमति दी

पीएम मोदी ने उत्तराखंड के लोगो के सामने यह वादा किया था की हम ऑल वेदर रोड का निर्माण करेंगे और जब पीएम मोदी ने इसका शुभारंभ किया तो तब कहा था की ये प्रोजेक्ट उत्तराखंड का भविष्य बदलने और विकास के एक प्रमुख स्रोत बनने वाला है। आज इसमें केंद्र सरकार और राज्य की धामी सरकार की जीत हो गयी है और सुप्रीम कोर्ट ने इसको अनुमति दे दी है की सरकार अब 10 मीटर तक चौड़ी सड़क बना सकती है।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘हाल के दिनों में सीमाओं पर सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां सामने आई हैं। यह अदालत सशस्त्र बलों की ढांचागत जरूरतों का दूसरा अनुमान नहीं लगा सकती है। शीर्ष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके सीकरी के नेतृत्व में एक समिति का भी गठन किया है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि पर्यावरण के हित में सभी उपचारात्मक उपाय किए जाएं और परियोजना के साथ आगे बढ़ते हुए समिति की सिफारिशों को लागू किया जाए। निगरानी समिति को रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और सभी जिलाधिकारियों से पूरा सहयोग मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में 5.5 मीटर कर दी थी अब इसको केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से बढाकर 10 मीटर करने की मांग की है। जिस पर ख़ुशी जताते हुए उत्तराखंड के CM धामी ने ट्विट्ट करते हुए कहा की
” केन्द्र सरकार एवं यशस्वी प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘ऑल वेदर रोड’ का कार्य अब अंतिम चरणों में है। सुप्रीम कोर्ट ने सामरिक महत्व को देखते हुए चार धाम सड़क परियोजना के तहत तीन ‘डबल लेन सड़क’ बनाने की मंजूरी दे दी है”

इसके पीछे केंद्र की मोदी सरकार के तरफ से अटॉर्नी जर्नल वेणुगोपाल जी ने कहा की उत्तराखंड की अंतराष्ट्रीय सिमा चीन से मिलने की वजह से यह सामरिक दृष्टि से काफी जरुरी है की चौड़ाई 10 मीटर तक बढ़ाई जाय ताकि सेना की अपने हथियार( रॉकेट लांचर,मिसाइल, बम,हथियार और हैवी आर्टलरी और सेना की टुकड़ी ) बॉर्डर तक ले जाने में आसानी हो।
इसमें NGO के वकील ने कहा की सेना कहीं भी ये नहीं चाहती की जो 900 किलोमीटर की ऑल वेदर रोड बन रही है उसकी चौड़ाई बढ़ाई जाय ये सरकार केवल चारधाम यात्रा के मद्दे नजर बना रही है। और इसमें वकील ने भू स्खलन और इसकी खामियों का जिक्र किया।
जिसपर सरकार के वकील ने कहा की ये गलत है की सेना नहीं चाहती रोड चौड़ा बल्कि इसमें खुद बीआरओ (बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन) खुद काम कर रही जो सेना की जरुरत वाली गुणवत्ता के हिसाब से भी रोड बना रही है। और बाकि सरकार के तमाम काम गिनाये चाहे वो रेल ब्रिज और सभी प्रकार के कनेक्टिविटी की जानकारी सरकार ने कोर्ट के सामने रखी। जिसके बाद कोर्ट ने सरकार से चीन की तरफ हो रहे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में जानकारी देने को कहा है।

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