पंजाब में कांग्रेस की आशाओं वज्रपात और भा ज पा की आशाओं को परवान चढ़ायेगी सिद्धू और कैप्टन की सियासी जंग
अभी अभी हुई अमरेंद्र की मुलाकात, सिद्धू पर गाज गिरा सकती है कांग्रेस
नई दिल्ली से देव सिंह रावत
29 सितम्बर 2021 को इस समय 6:15 बजे गृह मंत्री अमित शाह जी आवास पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के असंतुष्ट नेता अमरेंद्र सिंह की मुलाकात हो रही है।
पूरे देश के राजनीतिज्ञों व बुद्धिजीवियों की नजर इस 45मिनट की मुलाकात पर लगी हुई है।
आखिर यह मुलाकात क्या रंग लाती है?
उल्लेखनीय है कि पंजाब में अति महत्वकांक्षी नवजोत सिंह सिद्धू व पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह के बीच हुई सियासी जंग के कारण जहां अमरेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा।
कॉन्ग्रेस आला नेतृत्व के आशीर्वाद से सिद्धू कांग्रेस के भले ही पंजाब प्रांत के अध्यक्ष बन गए हो परंतु कैप्टन के आक्रमक रुख के कारण कांग्रेस आलाकमान को पंजाब के मुख्यमंत्री का ताज नवजोत सिंह सिद्धू के सर पर आसीन करने के बजाए चरणजीत सिंह चन्नी को पहनाना पड़ा।
कांग्रेस ने जिस प्रकार से चलने को मुख्यमंत्री बनाने को दलित समाज का सम्मान के नाम पर ऐतिहासिक कदम बताया। उससे सिद्धू की पंजाब के मुख्यमंत्री बनने की आशाओं पर वज्रपात ही हो गया।
जिस प्रकार से चन्नी ने अपने पहले ही पखवाड़े में अनेक जन लुभाने कार्यों का ऐलान किया। उससे साफ हो गया की अगर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जनादेश मिलता है, तो चन्नी ही मुख्यमंत्री के पद पर आसीन रहेंगे। क्योंकि चन्नी को हटाने से राजनीतिक विरोधी पूरे देश में दलित का अपमान करने का प्रचार करेंगे।जो कांग्रेस के लिए काफी घातक साबित होगा।
इसी कारण नवजोत सिंह सिद्धू ने चंन्नी सरकार में नौकरशाही व मंत्रिमंडल में अपनी मनमानी ( मनमाफिक मंत्रालय बांटने) में असफल रहने पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। इससे पंजाब की राजनीति में एक प्रकार से भूकंप आ गया।
कांग्रेस आलाकमान पूरी कांग्रेस सकते में आ गई ।चारों तरफ से दबाव पड़ रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू की मनमानी व सड़क पर कांग्रेस आला नेतृत्व अंकुश लगाए नहीं तो न केवल पंजाब में अभी तो देश के अन्य प्रांतों में भी कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
कांग्रेस ने सिद्धू को मनाने की अपनी तरफ से कोई कोशिश नहीं की है और प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपने स्तर पर सिद्धू से बातचीत करने को कहा।
हालांकि कांग्रेस में पंजाब का नया अध्यक्ष बनाने की भी मांग उठ रही है।
वहीं दूसरी तरफ सिद्धू के लिए आप सहित स्थापित राजनीतिक पार्टियों के दरवाजे एक प्रकार से बंद हो गए हैं।
सिद्धू के समर्थन में कई मंत्री व कांग्रेस के पदाधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिए।
सबसे महत्वपूर्ण खबर यह है कि पंजाब के असंतुष्ट कांग्रेसी नेता पूर्व मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह व अमित शाह की जो इस समय मुलाकात चल रही है उसका पंजाब की राजनीति में भारी बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है।
अटकलें हैं कि पंजाब में अमरेंद्र सिंह अपने समर्थकों के साथ या तो नए दल का गठन कर प्रदेश सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार को अपदस्थ कर सकते हैं या भाजपा में मिलकर प्रदेश सरकार को अपदस्थ कर वहां राष्ट्रपति शासन लगवा सकते हैं।
ऐसी भी अटकलें हैं कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह को भारतीय जनता पार्टी में सम्मलित करके उनको केंद्रीय कृषि मंत्री भी बनाया जा सकता है तथा राज्यसभा सांसद भी बनाया जा सकता है।
ऐसी भी अटकलें लगाई जा रही है कि पंजाब में अमरेंद्र के नेतृत्व में सरकार का गठन भी किया जा सकता है।
आखिर क्या रंग लाएगी अमरेंद्र अमित शाह की मुलाकात ?
नवजोत सिंह सिद्धू का आत्मघाती इस्तीफा कॉन्ग्रेस को पंजाब की राजनीति बनाकर रखेगा ना घाट का।
इसी आशंका को भापकर कांग्रेस सिद्धू को कांग्रेस पार्टी से निष्कासित कर नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए बिट्टू या किसी और नेता की ताजपोशी कर सकती है।
परंतु कांग्रेस के लिए सिद्धू को कांग्रेस में शामिल करना और उस पर अंकुश न लगाना एक प्रकार से आत्मघाती साबित होगा। देखना यह है कि आने वाले समय में पंजाब की राजनीति कांग्रेस व भाजपा को क्या अवसर प्रदान करेगी? यह तय है कांग्रेस का नुकसान व भाजपा को अकाली दल से किनारा करने के बाद अमरेंद्र का साथ मिलना है इस प्रकार से वरदान ही साबित होगा।।
जो हवा कांग्रेस पार्टी की कन्हैया अभी युवाओं को जोड़ने से बन रही थी वह सिद्धू के अपरिपक्तता से इस्तीफा देने से बदरंग हो गई है। कांग्रेस आला नेतृत्व को बिना समय गवाएं सिद्धू पर कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें कांग्रेस से निष्कासित कर देना चाहिए था।
ऐसी भी अटकलें लगाई जा रही है कि भाजपा के शह पर आ कांग्रेस के आला नेतृत्व से असंतुष्ट नेताओं के साथ केप्टन बैठक करके कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ खुला विद्रोह कर सकते हैं।
इस प्रकार से सिद्धू के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं ने जिन्हें g-23 के नाम से भी जाना जाता है, उनका कांग्रेस नेतृत्व पर बयान बाजी को इसी दिशा में संकेत करता है।इसी आशंका को लेकर युवा कांग्रेस ने कपिल सिब्बल के आवास पर प्रदर्शन भी किया।
हालांकि अमरेंद्र सिंह के सलाहकार ने साथ ही साथ कैप्टन की मुलाकात के बारे में ट्वीट करके बताया कि यह मुलाकात पंजाब में किसानों की समस्या के समाधान के लिए की गई थी। ऐसा माना जाता है कि कैप्टन किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाकर किसान आंदोलन पर मरहम लगाना चाहते हैं।
किसान आंदोलन पर लगने वाले इस मरहम से पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव में अमरेंद्र के साथ भाजपा गठबंधन की चुनावी नौका कैसी पार लगेगी? शायद इसकी रणनीति पर भी विचार किया गया होगा।