देव सिंह रावत
माना चारों तरफ घनघोर अंधेरा है
पर दीपक जलाना कहां मना है?
किसी शायर ने बहुत अच्छे शब्दों में बयान किया है। अगर लोग इमानदारी से संगठित होकर पूरी ताकत से सही दिशा में कार्य करें तो देश प्रदेश गांव और परिवार की दिशा और दशा बदल सकती है।
ऐसा ही अनुकरणीय व सराहनीय उदाहरण उत्तराखंड समाज के सम्मुख पेश किया उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली की दूरस्थ कोठुली क्षेत्र की जागरूक जनता, शिक्षक व जनप्रतिनिधि ने। इन्होंने मिलकर जहां राजकीय इंटर कॉलेज कोठुली को आदर्श विद्यालय बनाया वही इन्होंने क्षेत्र में चिकित्सा संचार सड़क इत्यादि जन समस्याओं का सुधार किया।
इन्होंने मिलकर एक ऐसी मिसाल क्षेत्र व प्रदेश में स्थापित की कि अगर किसी भी क्षेत्र की जनता वहां के कर्मचारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मिलकर क्षेत्र का विकास करना चाहे तो वह हो सकता है,इसका सफल प्रयोग देख सुनकर लोग गदगद हैं।
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद जिस प्रकार से पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा, चिकित्सा, शासन प्रशासन और रोजगार के अवसर पर ग्रहण लगने लगा, उसे अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य आदि के लिए लोग मैदानी क्षेत्रों व देश के महानगरों की तरफ पलायन करने लगे। पर्वतीय जनपदों से अधिकांश कर्मचारी किसी भी सूरत में अपना स्थानांतरण देहरादून सहित मैदानी क्षेत्रों में करने के लिए हर संभव कोशिश करने में जुटे गए। इसके कारण पर्वतीय जनपदों में शिक्षा चिकित्सा आदि की स्थिति निरंतर दयनीय होती गई। यह देख कर जागरूक लोगों के मन में गहरी पीड़ा उमड़ने लगी। इसका समाधान कैसे किया जाएगा इस पर चिंतन मंथन किया जाने लगा।
ऐसी स्थिति से जूझ रहा था उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली का उत्तरी कड़ाकोट क्षेत्र।
जिसे कोठुली क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। राजकीय इंटर कॉलेज कोठुली की स्थिति भी प्रदेश के अन्य दूरस्थ स्थानों के विद्यालय की तरह ही दयनीय हो गई।
सुयोग्य प्रधानाचार्य के अभाव के कारण राजकीय इंटर कॉलेज अन्य सरकारी विभागों की तरह वेतन लेने का स्थान बनकर रह गया।
यह देखकर स्थानीय जनता व जागरूक अध्यापकों को बेहद दुख होता था।
जैसे ही यहां पर प्रधानाचार्य का कार्यभार वरिष्ठ बृजमोहन सौंरियाल को मिला क्षेत्र के अन्य जागरूक जनता के मार्गदर्शन से राजकीय इंटर कॉलेज कोठुली में कार्यरत अध्यापक दर्शन सिंह सौंरियाल, विश्वेश्वर भटियानी, महावीर मेहरा, मुकेश सती, कल्पेश्वर सती, अनीता सती व सुभाष सती आदि स्थानीय अध्यापकों ने समर्पित होकर राजकीय इंटर कॉलेज कोटली का शैक्षणिक स्थिति में गुणात्मक सुधार स्थापित कर दिया।
यह देख कर स्थानीय लोग विद्यालय परिवार की इस उन्नति से बेहद प्रसन्न है।
पिछले दिनों कोठुली क्षेत्र से देहरादून लौटे उत्तराखंड की विख्यात क्रांतिकारी पूर्व अध्यापक बलवंत सिंह नेगी ने दूरभाष पर इंटर कॉलेज के शैक्षणिक स्तर में व्यापक सुधार की मुक्त कंठ से सराहना की। उल्लेखनीय है कि श्री नेगी के नेतृत्व में ही क्षेत्र की जनता ने इस क्षेत्र में राजकीय इंटर कॉलेज मोटर मार्ग व अन्य सुविधाओं के लिए व्यापक जनपद स्तरीय आंदोलन दो दशक पहले किए गए। जिसका सफल परिणाम आज सम्मुख है। विगत एक दशक से इंटर कॉलेज की स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती जा रही थी, जिसको देखकर बलवंत सिंह नेगी सहित तमाम जागरूक लोग बेहद दुखी थे।
इस विद्यालय को अटल आदर्श इंटर कॉलेज के रूप में चयनित कराने में जनपद चमोली के भाजपा नेता पुरुषोत्तम शास्त्री ने विधायक श्रीमती मगनलाल के सहयोग से चयनित कराया।
राजकीय इंटर कॉलेज की व्यवस्था को सुधारने व संवारने में इंटर कॉलेज अध्यापक परिवार के अलावा पुरुषोत्तम शास्त्री, उत्तरी कालाकोट विकास समिति के द्वारिका प्रसाद देवराडी व कांता प्रसाद सती, कोठुलेेश्वर महादेव के श्री महंत खीमा भारती जी, ललित नेगी,थराली की विधायक श्रीमती मगनलाल का भी सराहनीय योगदान रहा।
उत्तरी कडाकोट क्षेत्र में कोठुली गांव के अलावा कफातीर, सैंज, जाख पाटियों, चिरखून, कोथरा, सुनभी, सदगढ़, ग्वाड, भूलकवानी, भट्टियाना,केदार कोट,कोट, आदि गांव स्थित है।
उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधारने के नाम पर प्रदेश के हर विकासखंड में दो अटल आदर्श विद्यालय स्थापित करने का निर्णय।
इसरो प्रदेश के 95 विकास खंडों में 190 अटल आदर्श इंटर कॉलेज स्थापित किए जाएंगे।
इसके तहत सरकार ने निर्णय लिया कि प्रांत में चल रहे राजकीय इंटर कॉलेजों में से ही प्रत्येक विकासखंड के दो इंटर कॉलेजों को अटल आदर्श इंटर कॉलेज बनाया जाएगा। आदर्श इंटर कॉलेजों का शुभारंभ अप्रैल माह से किया जाएगा।
इनके प्रधानाचार्य व अध्यापक 55 साल से कम उम्र के हैं अध्यापकों की नियुक्ति की जाएगी। अटल आदर्श इंटर कॉलेजों में 5 साल की अवधि की कम से कम नियुक्ति की जाएगी। इसके साथ उन अध्यापकों की नियुक्ति की जाएगी जो अंग्रेजी माध्यम से भी शिक्षा प्रदान कर सके। अटल आदर्श इंटर कॉलेज के मानकों में
8800 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की भूमि होना जरूरी है। कक्षा 6 से आवासीय विद्यालय हो। इस विद्यालय में आधुनिक आईसीटी लेब, सभागार व्यायाम शाला, स्विमिंग पूल, इंटरनेट पुस्तकालय ( जिसे डिजिटल पुस्तकालय भी कहते हैं), खेल मैदान, चिकित्सा अधिकारी व चिकित्सा सहकर्मी, होने चाहिए। अटल आदर्श इंटर कॉलेज में स्थानीय विधानसभा क्षेत्र के विद्यार्थी प्रवेश ले सकते हैं।
हैरानी की बात यह है कि शिक्षा में सुधार के नाम पर जो क्रियाकलाप सरकारें 1947 के बाद से करती आई हैं उससे भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता कोई सुधार नहीं आया। कहने को भले ही 1947 से आज तक विद्यालयों महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों, तकनीकी संस्थानों और चिकित्सा विद्यालयों को तकनीकी विद्यालयों की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हो गई। परंतु आज तक देश की सरकार देश में भारतीय शिक्षा प्रदान नहीं कर पाई। देश को गुलाम बनाने के लिए अंग्रेजों द्वारा 1835 में स्थापित इंग्लिश एजुकेशन एक्ट के तहत भारतीय भाषाओं के बजाय अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजी में पश्चिमी मूल्य की शिक्षा प्रदान की जा रही है। वह 1947 में अंग्रेजों के जाने के बाद भी आज तक जारी है। भारत में अंग्रेजों के शासन काल में भारतीयों को सदा के लिए अंग्रेजों का गुलाम बनाने के लिए लागू की गई इंग्लिश एजुकेशन एक्ट के तहत ही शिक्षा दी जा रही है।देश में जब शिक्षा, रोजगार, न्याय व शासन में अंग्रेजी का वर्चस्व बना रहेगा तब तक देश का हर व्यक्ति अंग्रेजी पढ़ने के लिए विवश होगा।
जबकि होना यह चाहिए था कि 1947 में अंग्रेजों से मुक्ति के बाद ही देश में भारतीय भाषाओं में शिक्षा दी जानी चाहिए थी।भारतीय इतिहास भारतीय संस्कारों युक्त नैतिक मूल्यों की शिक्षा, भारतीय चिकित्सा, शिक्षा इतिहास नैतिक मूल्य, सांस्कृतिक विरासत को समावेश करके भारतीय भाषाओं में शिक्षा, न्याय, रोजगार व शासन संचालित किया जाना चाहिए।
देश में जिस प्रकार से आजादी के बाद मौलाना आजाद से लेकर अब तक शिक्षा मंत्री रहे या प्रधानमंत्री रहे, उन्होंने शिक्षा में वह अंग्रेजी की गुलामी की जंजीर है नहीं तोड़ी, जिसको सर्वप्रथम थोड़ा जाना चाहिए था। इस कारण देश कि पूरे संस्थानों में फिरंगी मानसिकता हावी हो गई है। क्योंकि देश के अधिकांश बच्चों का परवरिश भी फिरंगी शिक्षा प्रणाली में ही हो रही है। फिरंगी शिक्षा प्रणाली देश में भ्रष्टाचार व भारतीय संस्कृति की ही विरोधी रही है। इसी कारण देश में भ्रष्टाचार भारत विरोध व शोषण निरंतर बढ़ता जा रहा है। भारत के जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय जैसे अनेक शिक्षा संस्थानों में भारत विरोधी नारे लगाए जाते हैं और भारतीय संस्कृति को अपमान किया जाता है। देश की वर्तमान शर्मनाक हालत पर नजर दौड़ाने के बाद मैंकाले द्वारा अपने पिताजी को लिखा पत्र के एक-एक अक्षर साकार होते नजर आते हैं। इंग्लिश एजुकेशन एक्ट को भारत में थोपने के बाद लार्ड मैकाले ने अपने पिताजी को जो पत्र लिखा था उसमें स्पष्ट लिखा था कि इंग्लिश एजुकेशन एक्ट से शिक्षित भारतीय, केवल शरीर से ही भारतीय नजर आएंगे, उनकी सोच समझ अंग्रेजों के सामान की होगी। वे भारत व भारतीय संस्कृति को अपमानित करने वाले होंगे।
देश की सरकारों की उदासीनता के कारण देश में शिक्षा के नाम पर दुकानदारी की जा रही है। वहीं सरकारी विद्यालयों में भी अनेक प्रकार के विद्यालय खोल दिए गए। नवोदय विद्यालय, राजीव, अटल, केंद्रीय, राज्य स्तरीय, नगर निगम आदि कई स्तर की विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। होना तो यह चाहिए था कि पूरे देश में भारतीय भाषा में भारतीय मूल्यों वाली शिक्षा को प्रदान करने वाली एक ही प्रकार की विद्यालय पूरे देश में निशुल्क रूप से संचालित की जाने चाहिए।
कल्याणकारी सरकार में शिक्षा चिकित्सा न्याय व सुरक्षा किसी भी सूरत में निजी क्षेत्र के हाथों में नहीं सौंपना चाहिए । न किसी बच्चे के साथ शिक्षा प्रदान करते समय किसी प्रकार का भेदभाव ही होना चाहिए। एक जागरूक राष्ट्र अपनी नीव मजबूत करने के लिए सबसे अधिक ध्यान शिक्षा पर देना चाहिए। जिससेेे एक भी नागरिक अशिक्षित न रहे।