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उत्तराखंड को वीरों की धरती कहा जाता है और चाहे वो गढ़वाल राइफल हो या कुमाऊँ राइफल या ITBP हो सभी में पहाड़ के नोजवानो ने अपना लोहा मनवाया है। उत्तराखंड के जवानो के साहस को देखते ही उत्तराखंड के गढ़वाल राइफल के जवानो की एक टुकड़ी को चीन के साथ जब गलवान में तनाव चरम पर था तब उनकी वह तैनाती की गयी थी।
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लेकिन इस बार जो खबर हमारे देवभूमि से आ रही है वो सुनकर आप सभी को गौरवान्वित महसूस होगा क्यूंकि इस बार हम पहाड़ी के वीरो की नहीं वीरांगना की बात कर रहे है। पिथौरागढ़ के मुवानी घाटी की निधि रावत सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं। उनकी सफलता से क्षेत्रवासियों ही है अपितु पुरे प्रदेश में खुशी है।
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चार साल की बेहद ही कठिन प्रशिक्षण के बाद लखनऊ कमांड हॉस्पिटल में आयोजित कमीशनिंग सेरेमनी के दौरान वह लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त हुईं ।उन्होंने अखिल भारतीय मिलिट्री सर्विसेस की परीक्षा में निधि पहले ही प्रयास में सफल रहीं थीं। वह स्कूल में एनसीसीसी (एट यूपी गर्ल्स बटालियन ) का भी हिस्सा रह चुकी है।
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निधि रावत की पढ़ाई आर्मी स्कूल बरेली से हुई है। निधि के पिता हरीश कुमार रावत भी सेना में नायब सूबेदार थे।हालाँकि उनका निधन हो चुका है माँ बीना रावत गृहिणी हैं। उनका परिवार उत्तर प्रदेश के बरेली में रहता है।
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