गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर,विश्व भारती और शांतिनिकेतन देश विदेश में सदैव सम्मोहन का केंद्र रहे हैं
विश्व भारती के 100 साल पूरे होने पर यह प्रयास होना चाहिये कि यहाँ से गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के विचार नवपल्लवित होकर निकले
शांतिनिकेतन और विश्व भारती ने देश की शिक्षा पद्धति को एक आधारभूत विचार देने का काम किया
50 साल बाद जब विश्व भारती की 150 वीं जयंती मनाई जाये तो हमें कम से कम दस लोग ऐसे मिलने चाहिए जो विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देते हुए गुरुदेव टैगोर के विचारों को देशभर में संस्थापित करें और उन्हें समाज व जीवन का हिस्सा बनाएँ
विश्व भारती ने सदैव जाति,धर्म और वर्ण से ऊपर उठकर मानवता का संदेश देने का काम किया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर,विश्व भारती और शांतिनिकेतन देश-विदेश में सदैव सम्मोहन का केंद्र रहे हैं। आज पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में विश्व भारती में प्राध्यापकों,छात्रों और बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि देश की सांस्कृतिक विरासत, कला और परंपरा की नई सोच को पल्लवित करने की बात हो या आजादी की लड़ाई, हर क्षेत्र में बंगाल देश के दूसरे हिस्सों से 50 साल आगे रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि विश्व भारती अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। जब इसकी स्थापना हुई थी उस समय कुछ विचार रहे होंगे,अब 100 साल पूरे होने पर यह प्रयास होना चाहिये कि यहाँ से गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के विचार नवपल्लवित होकर निकले। उन्होंने कहा कि शांतिनिकेतन और विश्व भारती ने देश की शिक्षा पद्धति को एक आधारभूत विचार देने का काम किया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि सन 1901 में एक ब्रह्मचर्य आश्रम से शुरू हुई इस यात्रा ने भारत की संस्कार यात्रा में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होने कहा कि गुरुदेव का कहना था कि शिक्षा का उद्देश्य संकीर्णता की सभी सीमाओं को तोड़कर व्यक्ति को अभय बना देना है। विश्व भारती की यात्रा सफल तभी मानी जाएगी जब गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा दिए गए मंत्र के अनुरूप यहां से निकला हुआ विचार हमारी शिक्षा पद्धति में बदलाव लाए। श्री शाह ने यह भी कहा कि विलास,मोह से मुक्त होने के साथ-साथ सभी प्रकार के सामाजिक बंधनों से मुक्त हो आनंद के साथ रह सके ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण और यथार्थ को जानने की यात्रा कभी रुके नहीं ऐसे विद्यार्थी का निर्माण करना शिक्षा का उद्देश्य हो सकता है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि विश्व भारती ने देश को विभिन्न क्षेत्रों में योगदान करने वाले लोग दिये हैं । विश्व भारती के सौवें साल में हमें संकल्प लेना चाहिए कि यह परंपरा रुके नहीं और जब 50 साल बाद विश्व भारती की 150 वीं जयंती मनाई जाये तो हमें कम से कम दस लोग ऐसे मिलने चाहिए जो विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देते हुए गुरुदेव टैगोर के विचारों को देशभर में संस्थापित करें और उन्हें समाज व जीवन का हिस्सा बनाएँ।
श्री अमित शाह ने कहा कि बंगाल के कई सपूतों ने देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 19वीं सदी के नवजागरण में राजा राममोहन राय, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, श्री अरविंदो, विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, सुभाष चंद्र बोस जैसे अनेक लोगों ने भारत की विरासत को समृद्ध करने का काम किया है। गुरुदेव टैगोर के विचारो का प्रभाव और उनके व्यक्तित्व की महानता इस बात से जाने जा सकती है कि महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस दो अलग-अलग विचारधाराओं को मानने के बावजूद गुरूदेव टैगोर से प्रेरणा लेते थे, इससे गुरुदेव टैगोर के विचारों की व्यापकता का पता चलता है। श्री शाह ने यह भी कहा कि पूरे विश्व में गुरुदेव टैगोर ही ऐसे महान व्यक्ति हैं जिनकी दो रचनाएं दो अलग-अलग देशों में राष्ट्रगान के रूप में उपयोग की जा रही हैं। इससे पता चलता है कि गुरूदेव के विचार, संस्कृति, संस्कार और कला का दायरा कितना बड़ा है ।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि विश्व भारती ने सदैव जाति, धर्म और वर्ण से ऊपर उठकर मानवता का संदेश देने का काम किया है। भारतीय धर्म में दर्शन, साहित्य, संगीत और कला के संरक्षण और संवर्धन की व्यवस्था की गई है और विश्व भारती ने हमारे वेदों के विश्व बंधुत्व के मूल मंत्र को ध्यान में रखकर यूरोपियन और अन्य देशों की भाषाओं के साहित्य और दर्शन को शामिल कर सर्वे भवंतु सुखिनः,सर्वे संतु निरामया के मंत्र को चरितार्थ करने का काम किया। उन्होने कहा कि जब तक ग्रामीण विकास की परिकल्पना को तरोताजा नहीं करेंगे, आधुनिक तरीके से आगे नहीं बढेंगे देश का विकास नहीं हो सकता जिसकी शुरूआत गुरूदेव ने विश्वभारती के माध्यम से की थी। यहां से हस्तशिल्प, स्वास्थ्य, सफाई, प्रौद्योगिकी को भी आगे ले जाने का काम किया गया।
श्री अमित शाह ने कहा कि गुरुदेव ने अंत तक अपने अंदर के विद्यार्थी को मरने नहीं दिया और 70 साल की उम्र में चित्रकला की शुरुआत कर देह त्यागने से पहले 3000 से ज्यादा पेंटिंग देकर उन्होंने यह साबित किया कि जीवन की आखिरी सांस तक शिक्षा चलनी चाहिए। श्री शाह ने कहा कि गुरुदेव की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया जाना चाहिए जिसके लिए विश्वभारती खुले मन और अच्छे विचार से आगे बढ़े।
श्री अमित शाह ने कहा कि गुरुदेव ने बड़ी संख्या में गद्य और पद्य के पुष्ट साहित्य की रचना करने के साथ-साथ इतनी बड़ी संस्था का संचालन भी किया जो निश्चित ही सराहनीय है और एक बार फिर टैगोर की सोच को आगे बढ़ाने का समय आया गया है। विश्व भारती ने देश को बहुत से विद्वान दिए हैं। महाश्वेता देवी, नंदलाल बोस, गायत्री देवी, सत्यजीत रे, विनोद बिहारी मुखर्जी सहित बहुत से लोगों ने अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है। आज यह संकल्प लेना है कि यह परंपरा रुके नहीं।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने शांतिनिकेतन में भारत के महान विचारक गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर को श्रद्धासुमन अर्पित किये। श्री शाह विश्व भारती विश्वविद्यालय के विख्यात संगीत भवन भी गये ।