स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री और पृथ्वी विज्ञान मंत्री, डा. हर्ष वर्धन ने 15 सितम्बर 2020 को राज्य सभा में एक लिखित जवाब के माध्यम से दी यह जानकारी
15 सितम्बर 2020 नई दिल्ली से पसूकाभास
वर्तमान में, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के पास तीन द्वि-राष्ट्रीय केंद्र हैं, जिनमें 1987 में फ़्रांस के साथ स्थापित इंडो-फ्रेंच सेंटर फॉर प्रमोशनल ऑफ एडवांस्ड रिसर्च (आईएफसीपीएआर), 2000 में अमरीका के साथ स्थापित इंडो-यूएस साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम (आईयूएसएसटीएफ़) और 2010 में अंतर-सरकारी करारों के तहत स्थापित भारत-जर्मनी विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र (आईजीएसटीसी) शामिल हैं।
पिछले तीन वर्षों के दौरान, निम्नलिखित नए कार्यक्रम इन द्वि-राष्ट्रीय केंद्रों द्वारा शुरू किए गए हैं:
भारत – अमरीका विज्ञान और प्रौद्योगिकी फोरम:
- संयुक्त स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान और विकास केंद्र (जेसीईआरडीसी) का द्वितीय चरण
- वास्तविक- समय नदी जल और वायु गुणवत्ता निगरानी (डबल्यूएक्यूएम) अनुसंधान पहल कार्यक्रम
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी, गणित और चिकित्सार्थ (डबल्यूआईएसटीईएमएम) भारत – अमरीका महिला अध्येतावृत्ति
भारत-जर्मनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र:
- आईजीएसटीसी- सीओएनएनईसीटी प्लस कार्यक्रम
जेसीईआरडीसी चरण-II कार्यक्रम के तहत, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर और वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटीपुलमैन के सह-नेतृत्व में “भंडारण के साथ सुव्यवस्थित वितरण प्रणाली के लिए यूआई-असिस्ट: अमेरिका-भारत सहयोग” परियोजना को सितंबर 2017 में पुरस्कृत किया गया था। इस परियोजना का उद्देश्य स्मार्ट ग्रिड संकल्पनाओं के अंगीकरण और इस्तेमाल तथा वितरण नेटवर्क में भंडारण सहित वितरित ऊर्जा संपदा (डीईआर) से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधानकारी प्रयत्न करना है ताकि नेटवर्क का प्रचालन अपव्यय निवारक तथा भरोसेमंद हो सके। भारत सरकार और संयुक्त राज्य अमेरिका के ऊर्जा विभाग (डीओई) प्रत्येक ने निष्पादन की अवधि (5 वर्ष) में सह-संघों के लिए सालाना 1.5 मिलियन डॉलर (10.2 करोड़ रुपये) आवंटित किए हैं।
ऑनलाइन नदी जल और वायु गुणवत्ता निगरानी (डबल्यूएक्यूएम) प्रणाली, के विकास के महत्व को मान्यता देते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार और इंटेल ® ने नदी जल और वायु गुणवत्ता की वास्तविक समय पर निगरानी कार्यक्रम के लिए अनुसंधान पहल संयुक्त रूप से शुरू करने में सहयोग किया। 2017-18 में पुरस्कार के लिए चार परियोजनाओं की पहचान की गई थी। इनमें से दो को क्रमशः ‘वायु’ और ‘जल’ गुणवत्ता निगरानी श्रेणियों के तहत वित्त पोषित किया गया है।
“विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियात्रिकी, गणित और चिकित्सार्थ (डबल्यूआईएसटीईएमएम) भारत-अमरीका महिला अध्येतावृत्ति एक फैलोशिप” कार्यक्रम है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के साथ साझेदारी में आईयूएसएसटीएफ़ द्वारा संकल्पनाकृत किया गया है, ताकि बुद्धिमती भारतीय महिला छात्रों और वैज्ञानिकों को क्षमता निर्माण, एक्सपोजर और अमेरिका के शिक्षा संस्थानों और प्रयोगशालाओं में उत्कृष्ट अनुसंधान सुविधाओं तक पहुंच के लिए अवसर प्राप्त हो सके। वर्ष 2017 के बाद से, दो कॉल की घोषणा की गई है और इस कार्यक्रम के माध्यम से, 40 युवा महिला शोधकर्ताओं/ वैज्ञानिकों/ प्रौद्योगिकीविदों ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी, गणित और चिकित्सा के अग्रणी क्षेत्रों में 3-6 महीनों के बीच की अवधि के दौरान प्रमुख अमेरिकी संस्थानों/विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं में अनुसंधान कार्य किया है ।
आईजीएसटीसी और अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट फाउंडेशन (एवीएच) ने आईजीएसटीसी-कनेक्ट प्लस कार्यक्रम मई 2018 में संयुक्त रूप से शुरू किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उस इंडो-जर्मन फ्रंटियर्स ऑफ इंजीनियरिंग सिम्पोसिया (इंडोजीएफ़ओई) के सहभागियों के बीच इंडो-जर्मन नेटवर्किंग और दीर्घकालिक सहयोग को बढ़ावा देना है, जिसका सह-आयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट फाउंडेशन द्वारा किया जाता है ।