प्यारा उतराखण्ड डाट काम
मुख्यमंत्री जी, उतराखण्ड को ग्रीष्मकालीन राजधानी या ई विधानसभा का झूनझूना नहीं अपितु स्थाई राजधानी गैरसैंण चाहिए। यह दो टूक बात उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलन के अग्रणी आंदोलनकारी संगठन उतराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने आज उस समय कही जब उतराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने 5 मई को विश्व पर्यावरण दिवस पर गैेरसैंण को ई विधानसभा बनाने का ऐलान किया। इसका संदेश मुख्यमंत्री ने इंटरनंेटी संवाद मंच फेसबुक आदि इंटरनेटी संवाद मंचो पर जनता को खुला संदेश देते हुए जारी किया।
फेसबुक में जारी संदेश में मुख्यमंत्री त्रिवेंन्द्र रावत ने लिखा कि विश्व पर्यावरण दिवस पर हमारा यह छोटा सा संकल्प पर्यावरण को बचाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। ई-कैबिनेट के बाद राज्य में ई-आफिस के चलन तथा हाल ही में घोषित ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को हम ई-विधानसभा बनाएँगे। इससे कागज की खपत बहुत कम हो सकती है।
मुख्यमंत्री के उपरोक्त संदेश पर त्वरित टिप्पणी करते हुए उतराखण्डी हितों के प्रमुख ध्वजवाहक देवसिंह रावत ने मुख्यमंत्री के इंटरनेटी संवाद मंचों पर इस आशय की टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री को राज्य गठन जनांदोलन व शहीदों की शहादत की याद दिलाते हुए उन्हें जनभावनाओं का सम्मान करते हुए राजधानी गैरसैंण घोषित करने की मांग की। श्री रावत ने कहा कि जब प्रदेश की एकमात्र विधानसभा गैरसैंण में निर्मित है और इस विधानसभा भवन में प्रदेश विधानसभा के ग्रीष्म, शीतकालीन व बजट सत्र सहित सभी सत्र संचालित हो गये है। तो फिर लोक शाही में जनांकांक्षाओं को रौंदकर केवल निहित स्वार्थ व दुराग्रह से राजधानी देहरादून में कुण्डली मार के बेठे रहने से उतराखण्ड के पर्वतीय व सीमान्त जनपदों से भीषण पलायन हो गया है। वहां शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा सहित शासन आदि उजड रहा है। श्री रावत ने इस अवसर पर प्रदेश सरकार सहित अब तक के सभी सरकारों को जनभावनाओं को रौंदने का गुनाहगार मानते हुए इनको लोकशाही का सम्मान करने का आग्रह करते हुए कहा कि यह राज्य प्रदेश के नेताओं व नौकरशाहों की ऐशगाह बनाने के लिए नहीं किया गया अपितु इस राज्य का गठन जनांकांक्षाओं को साकार करने के लिए किया गया था। प्रदेश की जनता प्रदेश की अब तक की तमाम सरकारों के उतराखण्ड विरोधी कृत्यों से हस्तप्रद है। जनता देश के प्रधानमंत्री से आशा ही नहीं अपितु गुहार भी लगाती है कि वे तत्काल प्रदेश सरकार को राजधानी गैरसैंण बनाने सहित तमाम राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को साकार करने को कहें। क्योंकि राजधानी गैरसैंण बनाने से ही उतराखण्ड का चहुंमुखी विकास होगा और राज्य गठन की जनांकांक्षाओं को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।