उत्तराखंड देश

गैरसैण को तुरंत उत्तराखंड की राजधानी घोषित कराने के लिए 3 मार्च को आंदोलनकारियों ने दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी को दिया ज्ञापन

उत्तराखण्ड  राज्य गठन की जनांकांक्षाओं,चहुंमुखी विकास व देश की सुरक्षा के प्रतीक‘गैरसैंण’को तुरंत उत्तराखण्ड की राजधानी घोषित करायें प्रधानमत्रीं जी

जनांकांक्षाओं व आपके वादे का सम्मान करते हुए  गैरसैंण को राजधानी घोषित करने के बजाय बलात गैरसैंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाने के  षडयंत्र  पर अंकुश लगायें प्रधानमंत्री जी  

नई दिल्ली (प्याउ)।  एक तरफ गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण में उतराखण्ड विधानसभा में बजट सत्र 2020 -21का  शुभारंभ हो रहा था वहीं दूसरी तरफ राज्य गठन के 20वें साल बाद भी  प्रदेश के हुक्मरानों (देहरादून में कुण्डली मार कर प्रदेश को पतन के गर्त में धकेलने वाले) द्वारा प्रदेश की जनांकांक्षाओं, चहुंमुखी विकास व देश की सुरक्षा के प्रतीक प्रदेश की राजधानी गैरसैंण घोषित न किये जाने से आहत उतराखण्ड राज्य गठन के शीर्ष आंदोलनकारियों ने  देश की राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से उतराखण्ड राज्य की राजधानी गैरसैंण को तत्काल घोषित करने की पुरजोर मांग  करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में एक ज्ञापन भी सौंपा। इस ज्ञापन में आंदोलनकारियों ने प्रधानमंत्री आग्रह किया कि सत्तामद में चूर हुक्मरान, देहरादून की पंचतारा सुविधाओं की मोह व निहित स्वार्थों के लिए देहरादून में राजधानी बनाये रखने के लिए प्रदेश की जनभावनाओं व प्रदेश के हितों को रौंदते हुए गैरसैंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाने का उतराखण्ड व भारत विरोधी षडयंत्र कर सकते है। इसका उतराखण्ड की जनता पुरजोर विरोध करती है। जनता हैरान है कि जब प्रदेश में एकमात्र विधानसभा गैरसैंण में है। प्रदेश के बजट, शीतकालीन सहित सभी सत्र गैरसैंण में संचालित हो गये तो फिर क्या कारण है प्रदेश सरकार राजधानी गैरसैंण को घोषित करने के बजाय ग्रीष्मकालीन का जनविरोधी राग छेड़ रहे हैं। प्रदेश की जनता केवल राजधानी गैरसैंण ही बनाना चाहती है। किसी भी सूरत में ग्रीष्मकालीन राजधानी स्वीकार नहीं करती है।
03मार्च 2020 को प्रधानमंत्री को ज्ञापन देने वालों में अध्यक्ष देवसिंह रावत, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता धीरेन्दर प्रताप, राष्ट्रीय लोकदल के नेता मनमोहन शाह व इफ्तिखार अहमद के नेतृत्व में  संसद की चैखट से प्रधानमंत्री कार्यालय तक पदयात्रा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री को जो ज्ञापन दिया गया। प्रस्तुत हैे प्रधानमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन।

मान्यवर प्रधानमंत्री मोदी जी
जय हिंद! जय उत्तराखण्ड!
आज 3 मार्च  2019 को उतराखण्ड का सबसे महत्वपूर्ण बजट सत्र प्रदेश की एक मात्र निर्मित विधानसभा भवन गैरसैंण में हो रहा है। परन्तु प्रदेश गठन के 20 साल होने को है परन्तु प्रदेश की सरकारें देहरादून की पंचतारा सुविधाओं के मोह में ग्रसित हो कर जानबुझ कर जनभावनाओं को रौंदते हुए गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी घोषित नहीं कर रहे है। भारी जन दवाब पड़ने के बाद ये गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने का षडयंत्र कर रहे है। इसकी आशंका से ही उतराखण्डी जनमानस बेहत आहत है।  परन्तु  उतराखण्ड की सवा करोड़ जनता (जिसने कांग्रेस द्वारा छले जाने से आहत होकर आपके अच्छे दिन लाने के वादे पर विश्वास करके 2014,2017 व 2019 के चुनाव में भाजपा को उतराखण्ड सहित पूरे देश में भारी बहुमत से सत्तासीन करने में योगदान दिया था,) आज उतराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत जनभावनाओं का घोर अपमान करके प्रदेश गठन के बाद निर्मित एक मात्र विधानसभा भवन गैरसैंण में शीतकालीन सत्र  सहित सबसे महत्वपूर्ण बजट सत्र भी दो बार आयोजित कराया जा चूका है। जबकि प्रदेश की जनता व राज्य गठन के आंदोलनकारियों की एक सूत्री मांग है कि प्रदेश में करोड़ों रूपये की लागत से बने एशिया के पर्वतीय क्षेत्र में सबसे सुन्दर बने गैरसैंण विधानसभा भवन में ही संचालित हो। 13 जिलों के उतराखण्ड में से 9 जिलों का वातावरण गैरसैंण की तरह ही है। परन्तु पंचतारा सुविधाओं में डूबे प्रदेश के नौकरशाहों की तरह ही प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत अपने पूर्व मुख्यमंत्रियों का अंधानुशरण करके दुराग्रहएनिहित स्वार्थ व सत्तामद में चूर हो कर प्रदेश की जनांकांक्षाओं की राजधानी गैरसैंण को नापसंद करके इसकी राहों में समय समय पर अवरोध खडे कर रहे है।
आपको विदित ही है कि 9 नवम्बर 2000 में राजग की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा गठित उत्तराखण्ड राज्य के गठित 19 सालों में प्रदेश की सरकारों ने राज्य गठन जनांदोलन की जनांकांक्षाओं को साकार करने के बजाय उसको निर्ममता से रौंदने का ही कृत्य किया। सबसे शर्मनाक बात यह है कि लोकतंत्र में जनता की सर्वसम्मत मांग ‘ राजधानी गैरसैंण’ को  राजधानी घोषित करने के बजाय बलात देहरादून में राजधानी थोपे रहने का षडयंत्र कर रहे है
राजधानी गैरसैंण इस लिए जरूरी है
(1)-प्रदेश में एक मात्र, विधानसभा  भवन गैरसैंण के भराड़ी सैण में बना हुआ है। जहां 3 मार्च 2020 से बजट सत्र चल रहा है।
(2)- गैरसैंण विधानसभा भवन में विधानसभा का शीतकालीन सत्र 2017 में सम्पन्न हो चूका है। गैरसैंण में ही विधानसभा का ग्रीष्मकालीन सत्र भी सम्पन्न हो चूका है।
(3) हरीश रावत सरकार के समय गैरसैंण में आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र में तत्कालीन भाजपा के नेता प्रतिपक्ष मदन कोशिक (हरिद्वार के विधायक व वर्तमान सरकार में कबीना मंत्री)ने सदन में गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने का विधेयक भी पेश किया।
(4) प्रदेश भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी कर्णप्रयाग विधानसभा चुनाव में ऐलान किया था कि अगर भाजपा विजयी होगी तो गैरसैंण में राजधानी बनायी जायेगी।
(5) 2019 में राज्य स्थापना दिवस के दिन 9 नवम्बर को प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल (रिषिकेश के विधायक)ने गैरसैंण          विधानसभा में ही विधानसभा सचिवालय में मनाया राज्य स्थापना दिवस।

(6)-उत्तराखण्ड प्रदेश का बजट सत्र 2018 भी गैरसैंण में किया गया।  

(7) राज्य गठन जनांदोलन से पहले ही  राज्य गठन आंदोलनकारियों ने  सर्व सम्मति से प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने को एकमत थी।

(8)-उत्तराखण्ड राज्य व राजधानी गैरसैंण के लिए ही प्रदेश के सवा करोड़ जनता ने ऐतिहासिक जनांदोलन  किया और शहादत दी।  (9)-राज्य गठन के बाद, राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग को लेकर बाबा मोहन उत्तराखण्डी ने दी शहादत
(10)-राज्य गठन से पहले ही पूर्व उप्र सरकार द्वारा गठित रमां शंकर कौशिक आयोग द्वारा उत्तराखण्ड की राजधानी के लिएआंदोलनारियों, जनता व विशेषज्ञों से गहन चिंतन मंथन व निरीक्षण कर  गैरसैंण को जनांकांक्षाओं को साकार करने वाली राजधानी घोषित की।
(11)  -राज्य गठन के बाद जनभावनाओं, दीक्षित आयोग व हिमालयी राज्यों की तरह गैरसैंण बनाने के बजाय देहरादून में राजधानी बनाने के षडयंत्र के तहत ‘राजधानी चयन के लिए दीक्षित आयोग’ बनाया। इस आयोग ने जानबुझ कर करोड़ों रूपये बर्बाद कर  दस साल तक इसे उलझाये रखा। परन्तु इस दीक्षित आयोग ने भी दो तिहाई से अधिक लोगों ने राजधानी के लिए गैरसैंण बनाने के लिए अपना मत दिया। 

(12)-आजादी के संग्राम में ‘पेशावर क्रांति ’ के महानायक चंद्रसिंह गढवाली ने गैरसैंण क्षेत्र में ही इस पर्वतीय क्षेत्र का आदर्श शहर बसाने का संकल्प लिया। 

(13)   गैरसैंण उत्तराखण्ड प्रदेश के मध्य में स्थित है।

(14) हिमालयी राज्यों की तरह हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसैंण पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है। आशा है कि आप जनभावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश सरकार को राजधानी गैरसैंण घोषित करने की सनमति देंगे।
            उतराखण्ड आदंोलनकारी संगठनों की समन्वय समिति

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