मोदी व शाह के विश्वास पर खरे उतर पायेगे क्या भाजपा के 11वेे अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा
नई दिल्ली(प्याउ)।
20 जनवरी को भारतीय जनता पार्टी के 11वें अध्यक्ष के रूप में डा जगत प्रकाश नड्डा 3 साल के लिए निर्विरोध आसीन हुए। तो भाजपा मुख्यालय में उपस्थित आम कार्यकत्र्ता से लेकर भाजपा के संस्थापक शीर्ष नेताओं के मन में एक ही सवाल उमड़ रहा होगा कि क्या नये अध्यक्ष डा जगत प्रकाश नड्डा भाजपा की वह बुलंदी कायम रख पायेंगे जो उनके पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा को पूरे देश में सत्ता के शिखर में आसीन करके स्थापित किया। वेसे भाजपाईयों की आशंका हवाई नहीं जिस प्रकार से राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के बाद महाराष्ट्र व झारखण्ड की सत्ता भाजपा के हाथों से विपक्ष ने छीन ली। वहीं हरियाणा की सत्ता भी बालबाल बची। अमित शाह ने भाजपा की अध्यक्षता संभालने के बाद जहां भाजपा को देश की सत्ता में दो बार पूर्ण बहुमत से आसीन करने के साथ 29 में से 18 राज्यों में सत्तासीन करने में अभूतपूर्व व अकल्पनीय सफलता अर्जित किया। अमित शाह को लोग सफलता का पर्याय के साथ आधुनिक चाणक्य मानने लगे।ऐसे समय जब उन्होने अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करके डा जगत प्रकाश नड्डा को भाजपा की अध्यक्षता सौंपी तो लोगों के मन में यह आशंका उठनी स्वाभाविक ही है कि क्या शाह के स्थापित कीर्तिमान की रक्षा कर पायेंगे भाजपा के नये अध्यक्ष नड्डा। खासकर उनकी अध्यक्षता में पहला चुनाव परिणाम दिल्ली प्रदेश विधानसभा का आयेगा।जिसकी सभी को आशा है कि भाजपा इस बार भी दिल्ली में केजरीवाल के विजय पथ को रोक नहीं पायेंगे। इस प्रकार नड्डा के खाते में पहली असफलता दर्ज होगी। देखना है इसके बाद नड्डा अपनी किस कुशलता से शाह के कार्यकाल के अंतिम वर्षों में मिल रही मध्य प्रदेश से लेकर झारखण्ड तक की निरंतर असफलता की धारा को किस प्रकार से रोक पाते है। नड्डा के लिए बंगाल, बिहार आदि प्रांतों के विधानसभा चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं होगा। यह तो वक्त ही बतायेगा कि अमित शाह की इस भाजपा की सफलता के कीर्तिमान को आगे बढ़ाते हैं या शाह के कार्यकाल के अंतिम सालों में हार की परंपरा को बनाये रखते है?
उल्लेखनीय है कि भाजपा का नये अध्यक्ष के रूप में नड्डा की ताजपोशी पहले से तय मानी जा रही थी। जिस प्रकार से मोदी व अमितशाह की जोड़ी ने उनको 17 जून 2019 से 20 जनवरी 2020 तक भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी की थी। नये अध्यक्ष के रूप में उनका चयन इसके बाद एक प्रकार से मात्र ओपचारिकता सी लग रही थी। 1960 में पटना में जन्में जगत प्रकाश नड्डा ने बीए और एलएलबी की परीक्षा पटना से पास की थी और शुरु से ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुये थे। हिमाचल मूल के जगत प्रकाश नड्डा 1977 से 1979 तक रांची में रहे। उनके पिता रांची विश्वविद्यालय के कुलपति व पटना विवि के प्रोफेसर रहे। 1975 में जेपी आंदोलन में भाग लेने के बाद जगत प्रकाश नड्डा बिहार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए। यही नहीं 1983 में पहली बार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में वह विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष चुने गए।
श्री नड्डो पहली बार 1993 में हिमाचल प्रदेश से विधायक चुने गये थे. उसके बाद वे राज्य और केंद्र में मंत्री भी रहे । परन्तु हिमाचल के मुख्यमंत्री बनने की हसरत उनके दिल में ही रह गयी।
जगत प्रकाश नड्डा सन 2012 में राज्यसभा का सांसद चुना गया. उन्हें मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय की बागडोर संभाली। प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह सहित भाजपा के सभी शीर्ष नेताओं ने उनके नेतृत्व में भी भाजपा अमित शाह की अध्यक्षता की तरह ही निरंतर नये कीर्तिमान स्थापित करेगी।