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विकसित, गौरवशाली, वैभवशाली, सम्पन्न, समृद्ध व शक्तिशाली भारत के निर्माण का महाभियान चला हुआ है: -केंद्रीय कृर्षि मंत्री चौहान

अतल का अमृत महोत्सव

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वदेशी अनुसंधान संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया

सम्मेलन की थीम “भारत का दर्शन 2047”: समृद्ध और महान भारत

 

 25 अप्रैल 2025, दिल्ली से पसुकाभास 

केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री कल्याण सिंह चौहान ने स्वदेशी अनुसंधान संस्थान के विजन ऑफ इंडिया 2047 के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आज वर्चुअल माध्यम से कहा कि भारत महान था, महान है और महान रहेगा। हमारा राष्ट्र अत्यंत प्राचीन और महान है। समृद्धि के पैमाने भी अलग-अलग होते हैं केवल आर्थिक रूप से युवाओं को समृद्धि नहीं माना जाता है। हमारा इतिहास बहुत पुराना है, 5 हजार साल से भी ज्यादा पुराने इतिहास से तो हम परिचित हैं।

उन्होंने प्राचीन काल के कई उदाहरण देते हुए कहा कि जब पश्चिम के लोगों ने अपने शरीर को बाहर निकाला और शिष्यों से ढाका ले लिया तो हमारे यहां मलमल बन गए। हमारे ऋषियों ने कहा है कि वसुधैव कुटुम्बकम् यानी सारी दुनिया एक परिवार है। श्री शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित, गौरवशाली, वैभवशाली, समृद्ध और शक्तिशाली भारत के निर्माण का महाभियान चलाया गया है।

मंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम कई स्कूटरों में काम कर रहे हैं। मुझे यह कहते हुए गर्व है कि एक समय था जब हम अपनी जनता के बजट के लिए अमेरिका से लेकर सिद्धांतों के आंकड़े लेने के लिए मजबूर थे, लेकिन आज देश में अन्न के भंडार भर गए हैं। हमारा शरबती व्यंजन आज दुनिया में धमाल मचा रहा है। हमारे उत्पादों का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के खतरे के बीच, गिरती तापमान वृद्धि और अस्थिर मौसम के बावजूद भी हमने देशों के भोजन को कम नहीं किया है, बल्कि अपनी जनता का पेट भी भरा है, साथ ही कई देशों ने अन्न का भी समर्थन किया है। हम दलहन और तिलहन का उत्पाद भी बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि के लिए हमारी 6 सूत्रीय रणनीति है, पहला उत्पादन उत्पादन और उत्पादन बढ़ाने के लिए अच्छा बीज, कृषियां आदि, दूसरे उत्पाद की लागत कम होना, तीसरी मछली का ठीक होना, चौथा नुकसान की समाप्ति, पांचवा खेती की विविधता और छठा प्राकृतिक खेती।

मंत्री श्री चौहान ने अभिभाषण में बताया कि एक करोड़ किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। हमारा लक्ष्य है कि हम लगभग 15 सौ कलस्टर में साढ़े सात लाख किसानों तक प्राकृतिक खेती करें ताकि ये किसान अपने खेत के एक हिस्से में प्राकृतिक खेती कर सकें। हम सभी को धरती को भी रसायन से बचाना होगा। पशु-पक्षियों के कारण कई पशु-पक्षियों का नामोनिशान ही मिट गया है और नदियाँ भी साझी हो रही हैं।

केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह ने कहा कि शहरों के विकास से ही काम नहीं हो रहा है, स्वावलंबी और विकसित गांव कैसे बनें, गांवों का नेटवर्क, गांव में दोस्त, पक्का मकान, पीने का पानी, पंचायत भवन, सामाजिक भवन, स्थानीय बाजार और गांव के लिए काम कैसे करें, वह काम करने का प्रयास किया जाए। उन्होंने कहा कि हम सब यही कहेंगे कि इसी से गांव का विकास होगा। गाँव का हर परिवार किसी न किसी रोजगार से यात्रा करने के लिए उस दृष्टि से भी प्रयास करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मानवता के साथ-साथ सबका विकास हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि पर्यावरण की भी चिंता है। प्रकृति का दोहन न करें। विकसित देशों की तुलना में भारत में केवल 7 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड होता है। भारत में प्रकृति की भी पूजा की जाती है। इसका ध्यान हमें रखें। प्रकृति का संरक्षण करना ही विकास करना है। भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और तीसरी सबसे जल्दी बनने वाली है। हम अपना विकास भी करेंगे और दुनिया को दिखाएंगे भी।

केंद्रीय मंत्री ने एक रिपोर्ट के अंत में कहा कि जिस दिशा में हम विश्व शांति बढ़ा रहे हैं उसका कोई दर्शन नहीं होगा तो वह भारत ही बनेगा। ऐसे भारत के निर्माण में हम सभी सहयोगी दल।

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