सरकारी हिमालयी क्षेत्र में हिमसंक्रामकता के खतरे सामने आ रहे हैं जिससे मानव जीवन और संपत्ति को नुकसान हो रहा है। हिमसंगति जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे उच्च भूमि वाले क्षेत्रों में समय-समय पर प्राकृतिक घटनाएं/आपदा होती रहती हैं।
सरकार उचच खतरनाक वाले क्षेत्रों में हिमखंड की पूर्व चेतावनी और साइबेरिया के लिए शक्तिशाली अवशेषों का निर्धारण करती है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीडीआरओ) हिमाच्छादित साइबेरियाई राष्ट्रीय एजेंसी है और वह रक्षा सैननोमी बल को दैनिक कार्य के लिए हिमाच्छादित ड्राईवाल देता है। डीआरडीओ के तहत रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान संस्थान (डीजीराय), चंडीगढ़ में भी हिमसंकेतन विज्ञान अध्ययन और विकास से संबंधित एजेंसी है। इसके सूचीबद्ध में टोही हवाई अड्डे और ग्राउंड सर्वेक्षक शामिल हैं, जिसमें प्लांटेशन हिमसंवेदन आशंकित क्षेत्र का मानचित्रण शामिल है। डीजेराय उत्तर-पश्चिमी हिमाचली बर्फ़ीले क्षेत्रों में सेना और नागरिक आबादी को नियमित हिम चेतावनी जारी करती है। इसके अतिरिक्त भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) स्थिति जनवरी मौसम जागरूकता के लिए छह घंटे का अपडेट देता है। हिमालयन आपदा वाले क्षेत्रों में बेहतर निर्माण के लिए स्वचालित मौसम स्टेशन और डॉपलर रजिस्ट्रार स्थापित किए गए हैं। डीजेराय ने 72 हिम साइंस सीज़न वेदशालाएं स्थापित की हैं। इसके अलावा, 45 ऑटोमैटिक सीज़न स्टेशन (एड मोटरसाइकिल स्टूडियो) की स्थापना चल रही है, 100 (एड मोटरसाइकिल स्टूडियो) के ट्रायल चल रहे हैं और 203 (एड मोटरसाइकिल स्टूडियो) की स्थापना जारी है। हिमचलन एसोसिएटेड डेटा नियमित रूप से 3 घंटे के अंतराल पर हिम वेधशालाओं से और 1 घंटे के अंतराल पर डीजेराय में एडब्ल्यूएस से प्राप्त होता है। यह जानकारी विशेषज्ञ और की राय से कम से कम 24 घंटे पहले विभिन्न क्षेत्रों के लिए हिमाच्छादित घाटी के लिए तैयार की गई है। डीजेराय ने स्वयं का हिमखंड मानचित्र भी विकसित किया है जिसमें हिमालयी क्षेत्र के हिमखंड अशंकित क्षेत्र को शामिल किया गया है। इसका उपयोग स्नोकीले क्षेत्र में सुरक्षित आभूषण के लिए किया जा रहा है। आवश्यक मशीनरी उपकरण भी उपलब्ध हैं।
हिमालयी बर्फ़ीले इलाक़ों में जीवन की सुरक्षा के लिए डीजीराय ने निम्नलिखित तकनीकें विकसित की हैं:
- आर्टिफिशियल वैज्ञानिक – कृत्रिम वास्तुशिल्प और मशीन लर्निंग आधारित हिमांदाघाट।
- स्नोकिल क्षेत्र के लिए स्वचालित मौसम स्टेशन (एडब्ल्यूएस) और सतह वेधशालाओं की मशीनरी की सुविधा।
- हिमसंरचना संरचनाएं।
- हिमसंवेदन एसोसिएटेड ऑटोमोबाइल ऑटोमोबाइल का लेबल।
- हिमसंक्षेप इलेक्ट्रॉनिक प्रकाशन के लिए सामान्य प्रभाव (सीएपी) ऑनलाइन ऐप।
- सुदूरवर्ती सुदूरवर्ती क्षेत्र में उपग्रह आधारित संचार का उपयोग।
- बहु-सामग्री सामग्री अवस्टा स्टॉक।
- लैन स्थिरता के लिए प्रक्रिया आधारित 3डी – स्नोपैक स्कैंडल।
- हिमसंवेदन से बचाव के लिए कम भार की मजबूत संरचना।
- उपग्रहों से प्राप्त पृथ्वी की सतह का मापन और मानचित्रण उपयोग के आधार पर सलाह सलाह तकनीक इंटरफेरो पिरामिड का उपयोग करके पृथ्वी की सतह का मापन और मानचित्रण का उपयोग किया जाता है।
डीजीराय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार देश में पहली बार उत्तरी बांग्लादेश में हिमखंड सुपरवाइजरी की स्थापना की गई है। शुरुआत में तीन सेकंड के भीतर हिमसंवेदनशीलता का पता चल सकता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (वैश्विक विज्ञान मंत्रालय) के अंतर्गत राष्ट्रीय मध्यम अवधि सीड बेसिड सेंटर (एनसी मासएड डब्ल्यूएफ) अपने वैश्विक, क्षेत्रीय और सामूहिक सीड बेसिस से दैनिक आधार पर डीजेराय को अधिक रिजॉल्यूशन (विवरण) वाला सीड अभ्यास देता है। डीजेराय अपने पर्वतीय मौसम मॉडल और हिमखंड मॉडल के प्रदर्शन के लिए एनसी मास्टिव डब्लूएफ मॉडल का उपयोग करता है। इसके अलावा शीतकालीन एशिया में एनसी मार्टडब्ल्यूएफ डीजेरी के साथ युग्मित मॉडल के हिमपात शेयरधारिता भी है। डिजीराय की ओर से दी जाने वाली हिमपात और कुल अवक्षेपण एशिया के लिए बहुत उपयोगी हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीएलएमए) ने जून 2009 में राज्य में हिमस्खलन से शुरू करने, तैयारी और शमन समुद्र तट की जानकारी के लिए निर्देश जारी किये। इनमें हिमसंवेदना के प्रभाव को कम करने और प्रारंभिक चेतावनी के उपाय शामिल हैं।
454 करोड़ 65 लाख रुपये की प्रति संपत्ति ‘कैपी’ आधारित संरचना की पुष्टि की गई है। देश के सभी 36 राज्यों/केंद्रीय जहाजों के लोगों को नष्ट कर दिया गया, वैज्ञानिक भू-लक्षित प्रारंभिक चेतावनियां/अलर्ट के प्रसार के लिए विभिन्न प्रचार माध्यमों जैसे एसएमएस, कोस्टर्न, सेल प्रसारण, इंटरनेट (आरएसएस वाणिज्य और वाणिज्य विभाग), गगन और समुद्री जहाज और समुद्री उद्यम आदि का उपयोग कर सभी सलाह [भारतीय मौसम विभाग, जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), भारतीय राष्ट्रीय सूचना सेवा केंद्र (जीपीएल), डीजेराय, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीपीएल) और भारतीय सर्वेक्षण (एफ)] के. एकीकरण माध्यम से फ्रेम की अलगाव है।
प्रारंभिक पद और कार्य के लिए अतिरी सरकार हिमसंचालन प्रभावितों में आरक्षण के लिए उन्नत पद का कार्य जारी है। इनमें ठोस-आधारित वैज्ञानिक बरीड (बर्फ में दबे हुए) ऑब्जेक्टिव डिटेक्शन सिस्टम और हेलीकॉप्टरों के समय पर रॉकेट जैसे उपाय शामिल हैं। ये क्रशन के दौरान सक्रिय प्रतिक्रिया और कुशल उत्पादकों को अक्षम बना दिया जाता है। इसी प्रकार राज्य और जिला स्तर पर आपदा नियंत्रण कक्षों की स्थापना, हिमसंरचना के दौरान पुनर्निर्माण कार्यों के दौरान चौबीस घंटे की निगरानी और समन्वय सुनिश्चित किया जाता है। गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने नोटव्यू में एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी।
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