(तीन वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ)
31 अगस्त 2024, दिल्ली से पसूकाभास
केंद्र सरकार में मेरे सहयोगी मंत्री अश्विनी वैष्णव जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल जी, तमिलनाडु के राज्यपाल आर. मंत्रिगण, न्यूनतमगण…देशों के अलग-अलग विशिष्टता से जुड़े अन्य सार्वभौमगण…देवियों और सज्जनों,
आज उत्तर से दक्षिण तक, देश की विकास यात्रा में एक और अध्याय जुड़ रहा है। आज से मदुरै-बेंगलुरु, चेन्नई-नगरकोविल, और सेक्टर-लखनऊ के बीच वंदे भारत स्टॉक की सेवा शुरू हो रही है। वेदं भारत की सूची का ये विस्तार, ये आधुनिकता, ये सचिवालय….हमारा देश ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर कदम बढ़ा रहा है। आज जो तीन वंदे भारत ट्रेनें शुरू हुई हैं, उनमें प्रमुख देश के महत्वपूर्ण शहर और ऐतिहासिक स्थान शामिल हैं। टेम्पल सिटी मदुरै अब आईटी सिटी से वंदे भारत सीधे जुड़ गया है। त्योहारों या सप्ताहांत पर मदुरै और कॉमर्स के बीच की छुट्टियों के लिए वंदे भारत ट्रेन द्वारा काफी सुविधा होगी। साथ ही ये वंदे भारत ट्रेन तीर्थयात्रियों के लिए भी बहुत उपयोगी साबित होगी। चेन्नई से नागाकोविल रूट की वंदे भारत से भी छात्रों को, किसानों को और आईटी पेशेवरों को बहुत लाभ होगा। जिन स्थानों तक वंदे भारत एक्सप्रेस की सुविधा पहुंच रही है, वहां के भूभाग की संख्या बढ़ रही है। यूक्रेन की संख्या बढ़ने का मतलब है वहां, समुद्र तट की आय में बढ़ोतरी हो रही है। हमारे यहां रोजगार के नये अवसर भी तैयार हो रहे हैं। इन सिक्कों के लिए मैं देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
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भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए दक्षिण राज्यों का तेज विकास बहुत जरूरी है। दक्षिण भारत में अपार प्रतिभा है, अपार संसाधन और अपार अवसरों की भूमि है। इसलिए, तमिल और कर्नाटका सहित पूरे दक्षिण का विकास हमारी सरकार की प्राथमिकता है। 10 वर्षों में इन राज्यों में रेलवे की विकास यात्रा उदाहरण है। इस साल के बजट में हमने तमिलनाडु को 6 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का रेलवे बजट दिया है। इस बजट 2014 की तुलना में 7 बार, 7 गुना से अधिक है। तमिल में 6 वंदे भारत मंदी पहले से ही चल रही हैं। इन दो डेस्टिनेशन के साथ ये संख्या अब 8 हो जाएगी। इसी तरह, कर्नाटक के लिए भी इस बार सात हजार करोड़ से ज्यादा का बजट पेश किया गया है। यह बजट भी 2014 की तुलना में 9 बार, 9 गुना अधिक है। आज वंदे भारत की 8 मूर्तियां पूरे कर्नाटक को जोड़ रही हैं।
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पहले के थोक राजस्व ने तमिलनाडु, कर्नाटक सहित दक्षिण भारत के राज्यों में रेल यातायात को और मजबूत किया है। इन राज्यों में रेलवे ट्रैक्स बेहतर हो रहे हैं, रेलवे ट्रैक्स का इलेक्ट्रिक बिजनेस हो रहा है…अनेक रेलवे रेलवे का आधुनिकीकरण हो रहा है। इन लोगों को ईज ऑफ लिविंग में भी मदद मिली है और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भी मदद मिली है।
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आज यूपी-लखनऊ रूट पर वंदे भारत ट्रेन के माध्यम से यूपी और खासकर पश्चिमी यूपी के लोगों को भी अपडेट मिला है। उत्तर प्रदेश और पश्चिमी यूपी क्रांति की धरती है। आज ये क्षेत्र विकास की नई क्रांति का साक्षी बन रहा है। एक ओर आरआरटीएस के माध्यम से राजधानी दिल्ली से जुड़ रहा है, दूसरी ओर इस वंदे भारत से प्रदेश की राजधानी की दूरी बहुत कम है। आधुनिक ट्रेनें, एक्सप्रेसवेज़ का नेटवर्क, हवाई सेवाओं का विस्तार…. स्पीडशक्ति का विज़न कैसे देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बदलेगा, एनसीआर इसका उदाहरण बन रहा है।
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वंदे भारत आधुनिक है भारतीय रेलवे का नया चेहरा। आज हर शहर में, हर रूट पर वंदे भारत की मांग है। हाई स्केच स्टोरी के आने से लोगों में अपने व्यापार और रोजगार को, अपने सपने को विस्तार का विवरण विश्वसनीय लगता है। आज पत्रिका में 102 वंदे भारत रेल सेवाएँ संचालित हो रही हैं। अब तक 3 करोड़ से ज्यादा लोग इन कैटलॉग से यात्रा कर चुके हैं। ये संख्या वेदं भारत की सफलता का प्रमाण तो है ही! ये आकांक्षी भारत के निशानों और स्वप्न का प्रतीक भी है।
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आधुनिक रेल इन्फ्रा पोर्टेबल ने भारत के दर्शन का एक मजबूत स्तंभ विकसित किया है। रेल वैगन का डिप्लॉयमेंट हो, रेल वैगन का इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन हो, नई ट्रेनों को चलाना हो, नई रूट्स का निर्माण हो, इन सभी पर तेजी से काम हो रहा है। इस साल के बजट में मुख्य बजट को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक दिया गया है। हम भारतीय रेल को उसकी पुरानी छवि से निकालने के लिए उसे हाईटेक सेवाओं से जोड़ रहे हैं। आज वंदे भारत के साथ-साथ अमृत भारत का भी विस्तार हो रहा है। बहुत जल्द वंदे भारत का स्लीपर संस्करण भी आने वाला है। महानगरों में लोगों को उनकी सुविधा के लिए नमो भारत ट्रेन चालू की जा रही है। शहरों में ट्रैफिक की समस्या से निपटने के लिए जल्द ही वंदे मेट्रो भी शुरू होने जा रही है।
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हमारे उद्यमों की पहचान उनकी रेलवे से होती रहती है। अमृत भारत स्टेशन योजना से स्टेशन भी संवर रहे, शहरों को नई पहचान भी मिल रही है। आज देश के 1300 से अधिक रेलवे का नवीनीकरण किया जा रहा है। आज देश में जगह-जगह एयरपोर्ट की तरह ही रेलवे स्टेशन भी बन रहे हैं। छोटे से छोटे वैद्यक को भी हॉस्टल से जोड़ा जा रहा है। इससे यात्रा में आसानी भी बढ़ रही है।
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जब रेलवेज, रेलवेज, वाटरवेज़ जैसे उत्पादों के मुद्रास्फीति होती है तो देश में मंदी होती है। इस देश के सामान्य नागरिक को लाभ होता है, देश के गरीब और मध्यम वर्ग को लाभ होता है। आज देश देख रहा है, जैसे भारत में आधुनिक आर्किटेक्चर का निर्माण हो रहा है, गरीब और मध्यम वर्ग का वर्ग हो रहा है। उनके लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इन्फ्रा एबॅलेजमेंट के विस्तार से गाँवों में भी नए अवसर पहुँचे हैं। मूल डेटा और डिजिटल डेटा की वजह से हर गांव में नए आंकड़े बन रहे हैं। जब, शौचालय, और रिकॉर्ड संख्या में पक्के मकानों का निर्माण होता है, तो सबसे गरीबों को भी देश के अस्पताल के विकास का लाभ मिलता है। जब कॉलेज, विश्वविद्यालय और संस्थान जैसे अनुपात बढ़ रहे हैं, तो इससे मूल्यों की प्रगति की संभावना भी कम हो जाती है। ऐसे ही कई प्रयास के कारण, लक्ष्य 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर हैं।
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दशकों में रेलवे ने अपनी मेहनत से दशकों पुरानी समस्याओं के समाधान की उम्मीद जगाई है। लेकिन, अभी हमें इस दिशा में बहुत भारी यात्रा करनी है। हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक भारतीय रेल गरीब, मध्यम वर्ग, सभी के लिए सुखद यात्रा की सद्भावना नहीं बन जाती। विश्वास मुझ पर है, देश में हो रहे इन्फ्रा आचल का ये विकास गरीबी को ख़त्म करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाना चाहता है। मैं एक बार फिर से तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के लोगों को तीन नई वंदे भारत के लिए बधाई देता हूं। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यवाद।
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