भारत के मित्र ईरानी राष्ट्रपति के निधन पर भारत में आज 21 मई को एक दिन का राजकीय शोक
देवसिंह रावत
भारत के मित्र देश ईरान के राष्ट्रपति डा सैयद इब्राहिम रईसी, विदेशमंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान सहित 9 प्रमुख शीर्ष लोग,अजरबैजान के दौरे के समय ईरान की राजधानी तेहरान से 600 किमी दूर उतर पश्चिम में अजरबैजान देश की सीमा पर स्थित जुल्फा के जंगल में रहस्यमय परिस्थितियों में 19मई को दुर्घटनाग्रस्त होने से मारे गये। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इस पर गहरा दुख प्रकट करते हुये जनता को दिये शोक संदेश में कहा कि ईरान अपने मिशन पर अडिग हो कर चलता रहेगा। उन्होने इस शहादतों को नमन करते हुये जहां ईरान में 5 दिन का राजकीय शोक का ऐलान किया वहीं उन्होने ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को कार्यवाहक राष्ट्रपति के पद पर आसीन करने का ऐलान किया। मोखबर ने सरकार में प्रमुख पदों पर कार्य किया है। उन्होंने खास तौर पर बोनयाद या धर्मार्थ संगठनों में बड़ी भूमिका निभाई है। ईरान की 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद जब्त की गई संपत्ति से इन संगठनों को बढ़ावा मिला। वे भी ईरान के सर्वोच्च नेता के विश्वासी है । इसी कारण यूरोपीय यूनियन ने पहले भी उन पर प्रतिबंध लगाया था।
इस हादसे की सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि मौसम की जानकारी देने वाले सेटलाइट में 19 मई दुर्घटना के दिन के आंकडे ही गायब है, इसमें 18 मई के बाद सीधे 20 मई का चार्ट आ रहा है। इसके साथ हेलीकप्टर में छेडछाड की आशंका भी प्रकट की जा रही है। उल्लेखनीय है अजरबैजान व इजराइल के बीच संबंध प्रगाढ है । ऐसी धारणा भी है कि अजरबैजान ने इजरायल को अपने यहां इ्र्ररान पर नजर रखने के लिये गतिविधियां चलाने की छूट दी गयी थी। ईरान के राष्ट्रपति, अजरबैजान में ईरान के साथ एक सांझे बांध परियोजना को हरी झण्डा दिखाने के लिये गये थे। सबसे हैरानी है कि ईरानी राष्ट्रपति के काफिले के दो अन्य हेलीकप्टर सुरक्षित ईरान लोट आये पर दुर्घटना केवल उसी हेलीकप्टर की हुई जिसमें ईरान के राष्ट्रपति व विदेशमंत्री आदि शीर्ष लोग बेठे थे। इस दुर्घटना में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के साथ ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीराब्दुल्लाहियन, ईरान के पूर्वी अजरबैजान प्रांत के गवर्नर और अन्य अधिकारी भी यात्रा कर रहे थे। इस हेलीकप्टर की खोज में बचावकर्मी घटनास्थल तक यहां पर प्रतिकुल मौसम के कारण तेज हवाओं के साथ भारी बारिश और कोहरे कारण बहुत परेशानी के बाद मलवा व पार्थिक शरीर ढूंढने में सफल हुये। इसके साथ दिवंगत शीर्ष नेताओं का अंतिम संस्कार भी राजकीय सम्मान के साथ किये जाने का ऐलान किया है।
इस दुर्घटना पर शोकाकुल ईरान के दिवंगत आत्माओं के प्रति सम्मान स्वरूप भारत सरकार ने पूरे देश में 21 मई 2024 ( को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। राजकीय शोक के दिन देश भर में उन सभी भवनों पर, जहां राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराया जाता है, राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और उस दिन कोई आधिकारिक मनोरंजन की गतिविधि आयोजित नहीं होगी।
ईरान के दिवंगत राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने राष्ट्रपति बनने से पहले, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के अधीन न्यायपालिका के अंदर विभिन्न पदों पर काम किया.। वे उन प्रमुख नेताओं में थे जिन पर सर्वोच्च नेता खोमेनेई को विश्वास व ईरान को मजबूत बनाने के लिये जाना जाता है। वहीं उनके विरोधियों की भी ईरान सहित शेष विश्व में कमी नहीं है। इसका प्रमुख कारण यह भी रहा कि वे खोमेनेई के ईरान सर्वो्र्र्रेच्च के अभियान के प्रमुख ध्वजवाहक रहै। उन्होने इस मिशन के विरोधियों पर निर्ममता से अंकुश लगाया। इससे अमेरिका व उसके मित्र राष्ट्र तथा विरोधी उनको तेहरान का कसाई के रूप में भी पुकारते थे। क्योंकि वे एक अभियोजक के रूप में, और 1988 में ईरान-इराक युद्ध के अंत में, वो उस समिति का हिस्सा थे जिसने हजारों राजनीतिक कैदियों को मौत के घाट उतारा था। वे विरोधियों को ईरान विरोधी अमेरिका के प्यादे बता कर रौदने के लिये कुख्यात थे। इसके साथ कुछ समय पहले ही ईरान पर हुये ईरानी हमला कराने वाले तथा इजरायल के खिलाफ खुली जंग लडने वाले गाजा के हमास, हिजब्बुल्ला व हुती जैसे इस्लामिक चरमपंथियों के संरक्षक व इनके द्वारा इजरायल पर हमला कराने के लिये जिम्मेदार मानते हैं। इसी कारण इस हेलीकप्टर दुर्घटना के पीछे कायश लगाये जा रहे हैं कि कहीं अजरबेजान में मोसाद ने यह कृत्य को तो अंजाम नहीं दिया। हिजब्बुल्ला के प्रमुख नेता ने धमकी दी है कि अगर इसके पीछे इजरायल होगा तो वह दुनिया का नक्शा ही बदल देंगे।
इस्लामिक देशों के साथ रूस, चीन व भारत ने भी इस हादसे पर गहरा शोक प्रकट किया है। वहीं अमेरिका व इजरायल ने इस पर कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। भारत के साथ कुछ समय पहले ही बंदरगाह परियोजना को मूर्त रूप देने का ऐलान कर ईरान ने भारत से अपनी मजबूत मित्रता का प्रमाण दिया। यह ऐलान व समझोता अमेरिका का पसंद नहीं आया। परन्तु ईरान भारत का सदा मित्र रहा। भारत ने अपने अनैक नेता व प्रतिभाये इसी प्रकारे के अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र में खोये है। नेताजी सुभाष, देश के परमाणु जनक डा होमी भाभा, प्र्रधानमंत्री लाल बहादूर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी व जनरल रावत सहित अनैक भारतीय प्रतिभायें भी इसी प्रकार के षडयंत्रों के शिकार हुई। भारत इस दुख की घडी में अपने मित्र ईरान के साथ खडा है। भले ही जहां तक इजरायल का सवाल है वह भी भारत का मित्र है पर इस्लामिक जगत में ईरान हर संकट के क्षण भारत के साथ खडा रहा। देश की इसी भावना को प्र्रदर्शित करते हुये भारत सरकार ने 21 मई 2024 को एक दिन का राजकीय शोक का ऐलान किया। रईसी भारत के मित्र के रूप में सदा याद किये जायेंगे। अब कार्यवाहक राष्ट्रपति व विदेश मंत्री भी भारत के प्रगाढ मित्र हैं। उल्लेखनीय है कि ईरान के सर्वोच्च नेता खोमेनेई के पूर्वज भी भारतीय मूल के हैं।