घर से मतदान की शुरुआत: 18वीं लोकसभा का चुनाव इतिहास रचेगा
एक पथप्रदर्शक पहल करते हुए, भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने लोकसभा चुनाव 2024 में पहली बार बुजुर्गों और दिव्यांगजनों के लिए घर पर मतदान की सुविधा प्रदान की है। 85 वर्ष से अधिक आयु के मतदाता और 40 प्रतिशत बेंचमार्क दिव्यांगता वाले दिव्यांगजन(पीडब्ल्यूडी) वैकल्पिक घर से मतदान करने सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। इस श्रेणी के मतदाताओं ने पहले और दूसरे चरण के मतदान के लिए अपना वोट डालना शुरू कर दिया है। यह पहल चुनावी प्रक्रिया की समावेशिता व पहुंच सुनिश्चित करने और लोकतांत्रिक भागीदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। देश भर में 81 लाख से अधिक 85+ वृद्ध मतदाता और 90 लाख से अधिक दिव्यांग मतदाता पंजीकृत हैं।
(छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और राजस्थान में 85 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग मतदाताओं ने घर से मतदान करने सुविधा का उपयोग कर मतदान किया)
मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार ने चुनाव आयुक्तों श्री ज्ञानेश कुमार और डॉ. सुखबीर सिंह संधू के साथ घोषणा की थी कि बुजुर्गों और दिव्यांगों को घर पर मतदान की सुविधा देकर यह आयोग की उनके प्रति चिंता और सम्मान की अभिव्यक्ति है। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि यह लोगों को दैनिक जीवन में इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। पहले चरण के मतदान में घर पर मतदान की सुविधा का लाभ उठाने वाले मतदाताओं ने ईसीआई की पहल के लिए आभार और संतोष व्यक्त किया है। मतदान कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों के पूरे दल की भागीदारी से घर से मतदान होता है और पूरी मेहनत के साथ मतदान की गोपनीयता बनाकर रखी जाती है। इसके साथ, ईसीआई ने अधिक न्यायसंगत और अपना प्रतिनिधि चुनने की लोकतांत्रिक सुविधा की दिशा में एक और निर्णायक कदम उठाया है, जहां शारीरिक सीमाओं या उम्र की परवाह किए बिना प्रत्येक नागरिक की आवाज मायने रखती है।
राजस्थान के चुरू में एक ही परिवार के आठ दिव्यांग मतदाताओं ने भारत के चुनावी लोकतंत्र की ताकत पर जोर देते हुए घर से मतदान करने की सुविधा का प्रयोग किया। छत्तीसगढ़ में, बस्तर और सुकमा आदिवासी जिलों की 87 वर्षीय इंदुमती पांडे और 86 वर्षीय सोनमती बघेल ने घर पर डाक मतपत्र का उपयोग करके अपने मताधिकार का प्रयोग किया और इस सुविधा के लिए चुनाव आयोग के प्रति आभार व्यक्त किया। महाराष्ट्र में, ईसीआई मतदान टीमों ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र गढ़चिरौली जिले के सिरोंचा शहर में दो बुजुर्ग मतदाताओं को घर पर मतदान की सुविधा प्रदान करने के लिए 107 किलोमीटर की यात्रा की।
राजस्थान के चुरू में दिव्यांग मतदाता
जयसिंह नगर, मध्य प्रदेश के श्री बीआर मिश्रा ने घर पर मतदान का लाभ उठाने के बाद खुशी और सराहना करते हुए कहा, “आप लोगों ने अपना जो कर्तव्य किया है वो प्रशंसनीय है, बहुत अच्छा काम किया है कह सकता हूं आपने जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है वो असाधारण है, ऐसे ही सब करें तो हमारा देश गौरवयुक्त हो जायेगा”।
ऐसी ही खबरें देश के अन्य हिस्सों से भी आ रही हैं जहां घर से मतदान करने की सुविधा प्रदान की गई है। इस तरह की अनुशंसा, न केवल एक तार्किक सुविधा के रूप में बल्कि हमारे समाज के लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर समावेशिता, सहानुभूति और सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में घरेलू मतदान के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर देती है। देश की विशाल मतदाता सूची में 85 वर्ष के बुजुर्गों और दिव्यांग व्यक्तियों की पहचान करना अपने आप में एक कठिन कार्य रहा है।
श्रीमती रुक्मणि सिंह (91 वर्ष), 6-मुरादाबाद संसदीय क्षेत्र से और उत्तर प्रदेश के नगीना संसदीय क्षेत्र से श्री सुमित जैन
राजेन्द्र लाल अग्रवाल, 95 वर्ष, अलवर, राजस्थान दीमापुर, नागालैंड
उत्तराखंड के चमोली में बुजुर्ग मतदाता घर से मतदान की सुविधा का उपयोग करते हुए
हरिद्वार में 107 वर्षीय श्री धर्म देव और उत्तराखंड के चमोली में घर से मतदान कराने के लिए जाते मतदान कर्मी
(घर से मतदान करते वरिष्ठ नागरिक: सौजन्य सीईओ राजस्थान)
एक अन्य मतदाता, श्री मित्तल ने कहा, “बहुत ही खुशी हुई, बहुत प्रसन्नता हुई, कि हम लोगों के लिए जो 85 साल से उम्र के ऊपर के लोग हैं उनको घर में ही वोट डालने की सुविधा दी है और ये चुनावों का सर्वोत्तम कार्य है……उसके लिए मैं बहुत ही आभारी हूं”।
घर से मतदान की सुविधा के बारे में जानकारी :
घरेलू मतदान का प्रावधान एक प्रगतिशील उपाय है जिसका उद्देश्य उन मतदाताओं को सशक्त बनाना है जो मतदान केन्द्रों पर चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने में बाधाओं का सामना करते हैं। विशेष रूप से, यह सुविधा दो प्रमुख जनसांख्यिकीय समूहों तक विस्तारित है: 40 प्रतिशत के बेंचमार्क के दिव्यांगता मानदंडों को पूरा करने वाले दिव्यांग व्यक्ति (पीडब्ल्यूडी) और 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक। मतदाताओं के इन वर्गों के लिए इस वैकल्पिक सुविधा का विस्तार करके, निर्वाचन आयोग ने इस आवश्यकता को पहचाना है कि शारीरिक अड़चनें और दिव्यांगता नागरिकों के वोट देने के अधिकार में कोई बाधा नहीं है। यह सुनिश्चित करने के आयोग के आदर्श वाक्य को कायम रखता है- कोई भी मतदाता न छूटे।
इस सुविधा का लाभ उठाने की प्रक्रिया सरल लेकिन संपूर्ण है। चुनाव अधिसूचना के पांच दिन के भीतर, पात्र मतदाताओं को फॉर्म 12डी पूरा करना होगा और रिटर्निंग अधिकारी को जमा करना होगा। दिव्यांग मतदाता अपने आवेदन के साथ एक आधारभूत दिव्यांगता प्रमाणपत्र जमा करते हैं।
आवश्यक दस्तावेज पूरा होने पर मतदाता के निवास स्थान से फॉर्म 12डी प्राप्त करने की जिम्मेदारी बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की है। जवाबदेही और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए उम्मीदवारों को इन मतदाताओं की एक सूची प्राप्त होती है; यदि वे चाहें तो प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक प्रतिनिधि चुन सकते हैं।
इसके बाद, सुरक्षा अधिकारियों के साथ मतदान अधिकारियों की एक समर्पित टीम मतदाताओं के वोट लेने के लिए उनके निवास पर जाती है। महत्वपूर्ण रूप से, मतदाताओं को नियोजित यात्रा के समय से पहले सूचित किया जाता है, जिससे उन्हें सुरक्षित और आरामदायक तरीके से मतदान के अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए तैयार रहने की अनुमति मिलती है। प्रक्रिया को और तेज़ करने व पहुंच में सुधार करने के लिए, मतदाता उन दिनों के बारे में एसएमएस के माध्यम से सूचनाएं भी प्राप्त कर सकते हैं जब उनके घर पर मतदान की सुविधा कार्य करेगी। पारदर्शिता के लिए पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है।
यह पहल चुनावी प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के ईसीआई के समर्पण पर जोर देती है। डिजिटल सूचनाओं से लेकर वीडियोग्राफरों की तैनाती तक, नवीन समाधानों का समावेश पात्र व्यक्तियों के लिए एक सहज और पारदर्शी मतदान अनुभव की सुविधा प्रदान करता है। जैसे-जैसे भारत 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए तैयार हो रहा है, घरेलू मतदान की शुरुआत सहभागी, समावेशी और चुनावों की सुलभता को बनाए रखने की ईसीआई की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
फोटो यहां उपलब्ध होंगे https://elections24.eci.gov.in/
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सारणी ए
राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में 85 वर्ष से अधिक मतदाताओं और दिव्यांग मतदाताओं के आंकड़े
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