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भयमुक्त देश प्रदेश बनाने के लिये जरूरी है अपराधियों के साथ उनके संरक्षकों पर भी अंकुश लगाना


खुंखार अपराधी  सरगना मुख्तार असांरी जैसे अपराधियों से अधिक गुनाहगार है अपराधियों को संरक्षण देने वाले नेता प्रशासन

देवसिंह रावत

28 मार्च 2024 की रात को उप्र के बांदा जेल में बंद कुख्यात अपराधी सरगना की हदयघात होने से बांदा चिकित्सालय में इलाज के दौरान मौत हो गयी। पूरे देश में यह खबर फैल गयी। इस खबर को सुन कर अंसारी के परिजनों ने जहां मुख्तार की मौत को हत्या बताई। वहीं सपा बसपा, कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इस पूरे प्रकरण पर प्रश्न उठाते हुये तुरंत उच्चस्तरीय जांच की माग कर रहे है। हालांकि देश की जनता इस बात से प्रसन्न है कि आखिर देश में एक ऐसी सरकार तो है तो प्रदेश को अपराधियों से मुक्त करने का वादा करके उसको साकार कर रही है। प्रदेश की जनता हैरान  थी कि वर्तमान योगी सरकार के पहले कैसे उप्र में अपराधियों के आगे शासन प्रशासन बेशर्मी से सेवक व सहयोगी की भूमिका निभा कर अपराधियों का अभ्यारण पूरा प्रदेश कर आम जनता का जीना दूश्वार कर रखा था। आज जब उप्र को ऐशगाह बनाने वाले गाजीपुर के मुख्तयार अंसारी, अतीक अहमद, विकास दुबे मुन्ना बजरंगी, संजीव जीवा, अनिल दुजाना, उदय भान यादव आदि अपराधियों से मुक्त करने वाले आदित्यनाथ योगी की सरकार के दृढ इच्छा शक्ति की सराहना करने के बजाय मुख्तार अंसारी की मौत पर घडियाली आंसू बहाने वाले राजनेताओ का असली चेतरा जनता के सम्मुख बेनकाब हो चूका है। शैलेंद्र सिंह जैसे पुलिस के समर्पित अधिकारियों को मुख्तार अंसारी पर कानून का शिकंजा कसने के लिये उप्र के पूर्व सरकार ने दण्डित करने का कृत्य किया। जांबाज अधिकारियों पर दर्ज किये गये मुकदमों को  उप्र में योगी सरकार ने सत्तासीन होने के बाद हटाये। जिस प्रकार से योगी सरकार द्धारा प्रदेश के अपराधियों पर अंकुश लगाने का व्यापक अभियान के तहत प्रदेश में कुख्यात मुख्तार अंसारी , विकास दुबे व अतीक जैसे खुंखार अपराधियों से मुक्त करने में सफलता अर्जित की उससे आम जनता के साथ प्रदेश के जांबाज सुरक्षाबल भी प्रसन्न है। केवल दुखी है अपराधियों को संरक्षण देने वाले राजनैतिक नेता। जिस प्रकार से योगी आदित्य नाथ के उप्र में अपराधियों के खिलाफ कडी कार्यवाही किये जाने से बचने के लिये अपने राजनैतिक आकाओं के सहयोग से उप्र से पंजाब की जेल में अपना अभ्यारण बना दिया। जब योगी सरकार ने पंजाब की जेल से मुख्तार को उप्र लाने का प्रयास किया तो पंजाब की कांग्रेस सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी। तब मजबूरन योगी सरकार ने सर्वोर्च्च न्यायालय में गुहार लगा कर जहां मुख्तार को उप्र की अदालतों में उपस्थित करा कर उसको सजा दिलाने में सफलता अर्जित की। वहीं अपराधी को शर्मनाक संरक्षण देने वाले कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के आकाओं को पूरी तरह से बेनकाब करने में सफलता अर्जित की।
65मामले दर्ज कुख्यात माफिया डॉन रहे मुख्तयार अंसारी बांदा, अस्पताल में 28 मार्च को हृदयाघात हो ने से मौत हो गई।  हालांकि 8मामलों में सजा पाने वाले माफिया डॉन को 2मामलों में उम्र कैद की सजा मिली थी। इसकी खबर पाते ही मुख्तार के भाई सांसद अफजाल अंसारी ने जेल में बंद उसके भाई की हत्या करने का आरोप लगाया। सरगना के छोटे बेटे उमर ने धीमा जहर देने का आरोप लगाया। गौरतलब है कि इसी माह 21 मार्च को बाराबंकी की एमपी-एमएलए कोर्ट नंबर 4 में गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की चर्चित एंबुलेंस मामले में पेशी थी। इसी दौरान मुख्तार अंसारी के वकील ने कोर्ट में मुख्तार की तरफ से प्रार्थना पत्र जज को सौंपा. जिसमें लिखा था कि साहब 19 मार्च की रात मुझे खाने में विषाक्त पदार्थ दिया गया है। जिसकी वजह से मेरी तबियत खराब हो गई है. ऐसा लग रहा है कि मेरा दम निकल जाएगा और बहुत घबराहट हो रही है। इसके बाद न्यायालय ने चिकित्सा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। उसके बाद बांंदा जेले में जाने के चंद दिनों बाद 28 मार्च की रात को हदयघात से उसका इंतकाल हो गया। सुत्रों के अनुसार वहीं मऊ दंगे के पीडितों को न्याय दिलाने के तत्कालीन सांसद आदित्यनाथ योगी की राह को रोकने की हिमाकत करना भी मुख्तार अंसारी के अपराध जगत का सूर्यास्त होने का एक प्रमुख कारण बना। योगी उप्र के एकमात्र ऐसे नेता थे जो प्रदेश के अपराधियों से सीधे टकराने की हिम्मत सत्ता में आने से पहले भी रखते थे। इसलिये उनको इनके खौपनाक सम्राज्य को उखाड फैंकने के लिये जो संकल्प लिया वह उप्र के मुख्तार अंसारी जैसे अपराधियों के लिये साक्षात काल साबित हुआ। इस प्रकरण से जहां प्रदेश की आम जनता चैन की सांस ले रही है वहीं अपराधियों को पालने व संरक्षण देने वाले राजनेताओं में बेचेनी उनको  खुद बेनकाब कर रही है।

इस प्रकरण पर जहां विपक्ष आंसू बहा रहा है वहीं ं कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय व बेटे ने भगवान के दर पर न्याय होना बताया।

मऊ दंगे के आरोप में  2005से जेल में बंद रहे मुख्तार अंसारी पर  जेल में रहते हुये तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की निर्मम हत्या करने का आरोप भी लगा पर इस मामले में गवाह के अभाव में उसको सजा नहीं हो पायी। उल्लेखनीय है कि भाजपा विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के दबदबे में 1985 से रही  गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट सन 2002में विजय हुये थे। इसे मुख्तार अंसारी ने प्रतिष्ठा का प्रश्न भी बना लिया। क्योंकि अंसारी को इस बात का विश्वास था कि कृष्णानंद राय उनके प्रबल विरोधी अपराधी सरगना ब्रिजेश सिंह के समर्थन भी मिला हुआ है। ब्रिजेश सिंह से अंसारी की दुश्मनी कालेज काल से है। कालेज जीवन से ही रही। भले ही मुख्तार अंसारी का परिवार गाजीपुर का सबसे संभांत परिवार रहा। उनके दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे.मुख्तार के पिता सुभानउल्ला अंसारी गाजीपुर में अपनी साफ सुधरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे।
 नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की नौशेरा लड़ाई के जांबाज नायक के लिए महावीर चक्र से सम्मानित थे।  परन्तु युवा अवस्था में कालेज जीवन में मुख्तार उस समय के कुख्यात अपराधी साधु सिंह के गिरोह में जुड गया। साधु सिंह गिरोह की ब्रिजेश गिरोह का जमीन के विवाद में सीधा टकराव रहा। जो बाद में स्थानीय शराब के ठेकों पर बर्चस्व की जंग में मुख्तार 21 साबित हुआ। अपराध गाथा के अनुसार उसके बाद ब्रिजेश सिंह मुम्बई में अपराधी सरगनाओं का दांया हाथ बना। उसने मुख्तार के राजनैतिक ताकत को कमजोर करने के लिये कृष्णानंद राय को समर्थन दिया।
  यह बात मुख्तार अंसारी को नागवार गुजरी. इसके बाद कृष्णानंद राय विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और तीन साल बाद यानी साल 2005 में उनकी हत्या कर दी गई।कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके लौट रहे थे. तभी उनकी गाड़ी को चारों तरफ से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की गई. हमले के लिए ऐसी जगह को चुना गया था, जहां से गाड़ी को दाएं-बाएं मोड़ने का कोई रास्ता नहीं था. हमलावरों ने एके-47 से करीब 500 गोलियां दागी थीं. इस हमले में कृष्णानंद राय समेत गाड़ी में मौजूद सभी सातों लोग मारे गए।
इस हत्याकांड में मुख्तार अंसारी का नाम सामने आने के बाद मुख्तार जेल में ही बंद रहा। यही प्रकरण भाजपा सरकार के आने के बाद उसके लिये जी का जंजाल बन गया।  इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी.
दिल्ली की स्पेशल अदालत ने इस केस में साल 2019 में फैसला सुनाते कहा था कि अगर गवाहों को ट्रायल के दौरान  गवाहों के मुकर जाने की वजह से मुख्तार अंसारी जेल से छूट गया. हालांकि, मुख्तार अंसारी भले ही जेल में रहा, लेकिन उसका गैंग हमेशा सक्रिय रहा।

मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश का राजनेता और अपराधी था। अंसारी मऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य के रूप में रिकॉर्ड पांच बार विधायक चुने गया था। वह अन्य अपराधों सहित कृष्णानंद राय हत्या के मामले में मुख्य आरोपी था। 24 साल से लगातार यूपी की विधानसभा पहुंचता रहा। साल 1996 में बसपा प्रत्याशी के रूप में पहली बार विधयक बना। इसके बाद मिले राजनैतिक संरक्षण के कारण विधानसभा पहुंचने वाले मुख्तार अंसारी ने साल 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की। इनमें से आखिरी 3 चुनाव उसने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े और जीते. राजनीति की ढाल ने मुख्तार को जुर्म की दुनिया का सबसे खुंखार चेहरा बना दिया था और हर संगठित अपराध में उसकी जड़ें गहरी होती चली गईं।
अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक उम्मीदवार के रूप में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता, और अगले दो जिसमें एक स्वतंत्र के रूप में 2007 में, अंसारी बसपा में शामिल हो गया और 2009 के लोकसभा चुनाव में चुनाव लड़ा लेकिन असफलता मिली। जिसके बाद बसपा ने 2010 में उन्हें आपराधिक गतिविधियों के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया था बाद में उसने अपने भाइयों के साथ अपनी पार्टी कौमी एकता दल का गठन किया। वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 में मऊ सीट से विधायक चुना गया। 2017 में बसपा के साथ कौमी एकता दल को विलय कर दिया, और बसपा उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव में पांचवीं वार विधायक के रूप में जीता था।
योगी सरकार की अपराधियों पर अंकुश लगाने की कार्यवाही के तहत ही 15 मामलों में मुख्तार को जल्द सजा दिलाने का युद्धस्तर पर कार्य हुआ। योगी सरकार अब तक अंसारी और उसके गैंग की 192 करोड़ रुपये से ज्यादा संपत्तियों को या तो ध्वस्त कर चुकी है या फिर जब्त कर चुकी है। मुख्तार गैंग की अवैध और बेनामी संपत्तियों की लगातार पहचान की जा रही है. मुख्तार गैंग के 292 अपराधियों की जन्म कुण्डली बना कर अब तक 96 अभियुक्त गिरफ्तार किए जा चुके हैं. इनमें से मुख्तार के 75 गुर्गों पर गैंगेस्टर एक्ट में कार्रवाई की जा चुकी है.। इसके 5 गूर्गो को मुठभेड में सफाया किया जा चूका है। मुख्तार अंसारी का बडा बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का अंतरराष्ट्रीय  खिलाड़ी है। वो  दुनिया के दस श्रेष्ठ निशानेबाजों में सम्मलित रहे अब्बास न सिर्फ नेशनल चौंपियन रह चुका है. बल्कि दुनियाभर में कई पदक जीतकर देश का नाम रौशन कर चुका है। लेकिन अब वो भी पिता के कर्मों की सजा भुगत रहा है. उसे धन संसोधन के मामले में गिरफ्तार किया गया। मुख्तार के कृत्यों का दंश झेलने के लिए यह प्रतिभावान खिलाडी भी अभिशापित है। इसके अलावा मुख्तार की पत्नी भी अनैक मामलों में वांछित है। इस प्रकार एक देशभक्त परिवार से संबंध रखने वाले मुख्तार जिसे युवा अवस्था में क्रिकेट का शौक था. मगर, फिर वह महाविद्यालय में छात्र जीवन में लडखडाते कदम से साधु सिंह जैसे अपराधी की संगत से भले ही अपराध की दुनिया का सरगना बनकर दमकने की आत्मघाती ललक को साकार करने के खातिर उसने अपने खुद के जीवन के साथ अपने परिवार व संग साथियों की दुनिया खुद ही उजाड दी।
इस प्रकरण से यह साफ उजागर हो गया कि अगर शासक ईमानदार व दृढ इच्छाशक्ति वाला हो तो समाज में अपराधी सर नहीं उठा सकते है व देश प्रदेश में कानून का राज चल सकता है।  आम लोगों का जीवन भयमुक्त हो सकता है। इसके लिये जरूरी है ेअपराध मुक्त समाज स्थापित करने के लिये अपराधियों के साथ अपराधियों को संरक्षण देने वाले नेताओं व अधिकारियों पर भी अंकुश लगाना। तभी समाज में कानून का राज होगा व लोकशाही स्थापित हो कर निष्पक्षता से संचालित हो सकेगी।

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